सच्चा मित्र वही जो सन्मार्ग में लगावे
अधर्म से रोक मित्रता का कर्ज चुकावे
कर्ण-दुर्योधन थे महाभारत की कहानी
दी सम्मति होती,न होती जन-धन हानि
मित्र वही जो दुख में भी मन सहलाये
कठिनाई में बांह पकड़ मंजिल पहुंचावे
मित्र शक्तिवर्धक औषधि का ही नाम है
मित्रता निःस्वार्थभाव का सुन्दर पैगाम है
स्वार्थ के तराजू में न कभी मित्रता तोलें
चेतक-प्रताप की दोस्ती से कुछ सीख लें
चाहे दुश्मन हो जाये कभी पूरा जमाना
मित्र मेरा,मैं मित्र का बस साथ निभाना
जाति,धर्म,मजहब से ऊपर दोस्ती है नाव
मित्रता बस है अपनत्व की ठंडी सी छांव
स्वरचित डा.विजय लक्ष्मी