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एक दोस्ती ऐसी भी..

3 अगस्त 2024

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अरे यह क्या, भला यह कैसे संभव है, ऐसा तो नहीं हो सकता। लेकिन मंडल साहब माता बंगलामुखी के अनन्य भक्त होने के साथ-साथ अदृश्य शक्तियों को बहुत मानते थे। लेकिन आज तो जैसे उन्होंने अपने खुली आंखों से चमत्कार देखा । हुआ यूं कुछ था कि मंडल साहब तकनीक कार्यालय में सीनियर पद पर ऑफिसर थे, और उनका बाबू विवेक जैसे उनका साया था। 
            
वह कहने को ही मात्र बाबू था, लेकिन बचपन से ही मंडल जी और विवेक साथ साथ बड़े हुए, दोनों अच्छे दोस्त थे। मंडल बाबू उम्र में विवेक से थोड़े बड़े थे, इसलिए विवेक मंडल बाबू की सारी बात भी माना करते थे। विवेक के पास पढ़ने के लिए पैसे नहीं थे तो, मंडल बाबू के परिवार ने पढ़ा लिखा कर इस काबिल बनाया की वह अपनी मेहनत पर ही पहली बार में ही बोर्ड में चयनित होकर उच्च श्रेणी लिपिक के पद पर उसी कार्यालय में पदस्थ हुआ, जहां मंडल बाबू एक सीनियर ऑफिसर थे।               
पूरे कार्यालय में उनकी जोड़ी राम-भरत सी लगती थी। वह खुद कहते थे कि यह मेरा बाबू नहीं ,मां का आशीर्वाद है, और मेरा छोटा भाई है। इसे मां ने मेरे जीवन के खालीपन को भरने के लिए भेजा है। उनकी जोड़ी को देखकर बहुत से लोग ईर्ष्या भी करते थे, और कहते भी थे कि आखिर कब तक तुम्हारा साथ रहेगा। आज नहीं तो कल ट्रांसफर हो ही जाएगा।        

लेकिन विवेक भी बड़ा जिद्दी था। वह भी मंडल जी की सेवा में ऐसा डूबा था कि उसने अपने 3-3 प्रमोशन ठुकरा दिए थे। वह कहता था दादा, अगर मर भी जाऊं तो भी अपने आपको अकेला मत समझना । इस ऑफिस की एक-एक फ़ाइल को अच्छे से जानता हूं। 
           
तब किसे पता था कि उसे उसके यह कथन बहुत जल्द सही होने वाले हैं। नियति ने ऐसा खेल खेला कि एक दिन ऑफिस से लौटते समय मंडल दा का स्कूटर अचानक अनबैलेंस हुआ। तभी विवेक जो गाड़ी में पीछे बैठा था, अचानक दादा को अपने ऊपर ले कर लिया। जिसके कारण रोड के किनारे पर लगा हुआ साइन बोर्ड  विवेक के सिर से जा टकराया और वह वहीं घायल होकर गिर पड़ा। 

मात्र 2 दिन के समय में ही डॉक्टरों ने उसे पहले कोमा फिर मृत घोषित कर दिया। मंडल बाबू पूरे 15 दिनों तक एकांत कमरे में माता बंगलामुखी के सामने बेसुध से पड़े रहते, उनका विवेक के लिए वास्तविक प्यार तब सामने आया जब उन्होंने अपने त्यागपत्र कि घोषणा कर दी कि भाई के बिना ऑफिस में मन नहीं लगेगा, क्योंकि मंडल दा बहुत ही ईमानदार और न्याय प्रिय व्यक्ति थे। 
             
अफसरों ने समझा-बुझाकर पुनः काम पर उन्हें बुला लिया। आज अचानक एक जलगांव की फाइल जो महत्वपूर्ण विवाद का विषय हुआ करता था, को न्यायालय में पेश करना था। इसलिए मंडल दा को वापस बुलाया। वह बुझे मन से ऑफिस तो आए लेकिन आते ही विवेक कि कुर्सी को देख कर फफक-फफक कर रोने लगे, फिर काम में लगे। 
               
फिर ऐसा भी क्या काम वो लगातार दोपहर तक हर पन्नों को अपने हाथों से लिखकर डिस्पैच के लिए देने गए और थकावट में वही कुर्सी पर बैठ गए। सभी ऑफिस के लोग लंच के लिए चले गए। तभी अचानक मंडल दा को ऐसा महसूस हुआ कि कंप्यूटर स्क्रीन चमक रही है। 

थोड़े ही देर पहले अपने ऑफिस में लगी मां की तस्वीर को देखकर विवेक को खोने का शोक मना रहे थे,  इस बीच कंप्यूटर स्क्रीन की चमक ने उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और उन्हें अपने पास विवेक के होने का एहसास होने लगा, और कंप्यूटर  अपने आप ही चल पड़ा। कंप्यूटर की स्क्रीन पर अचानक वह तस्वीर जिसे विवेक अक्सर देखा करता था, जिसमें एक ओर माता की  और एक  ओर मंडल दा नजर आए, और देखते ही देखते कंप्यूटर अपने आप चलने लगा। 
        
सारे पेपर जिसे मंडल बाबू ढूंढना चाहते थे, अपने आप ही प्रिंट होने लगा है। ऐसे लगा जैसे विवेक हमेशा से ही जानता था कि इन फाइलों की आवश्यकता होगी। सेंट्रल प्रिंटर की आवाज सुनकर चपरासी दौड़कर आया और बोला बाबू कुछ प्रिंट दिए हो। मंडल दा, कुछ नहीं बोले। उनका ध्यान उस कीबोर्ड की ओर था, जिसमें एक अंतिम खत लिखा जा रहा था। 
             
मेरे दादा, मेरे दोस्त आप अपने को कभी अकेले मत समझना, मैं मां के आशीर्वाद से हमेशा आपके साथ ही रहूंगा। 
           "आपका दोस्त विवेक" 
समाचार पूरे ऑफिस में आग की तरह फैल गया। कुछ लोग इसे अफवाह बोल रहे थे, तो कुछ लोग सही समझ रहे थे।अब तो उनके जीवन में जो उनसे ईर्ष्या करने वाले भी नतमस्तक थे कि वाकई जन्म और मृत्यु से परे भी एक दुनिया है,जो उन दोनों दोस्त को भी अलग ना कर पाए।
          
आज भी ना जाने मंडल दा उनके ऑफिस में आकर पुनः प्रफुल्लित हो उठते हैं और मां को भोग लगाने के बाद अनजाने में ही एक बार विवेक को जरूर पुकारते हैं....


समाप्त 

🙏🏻काल्पनिक रचना🙏🏻

Dr. Meenakshi Suryavanshi ✍️ 

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने बहना 😘😘🙏

8 अगस्त 2024

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रचनाएँ
डायरी और कलम
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अकेलापन भी दूर हो जाता है, अगर साथ में डायरी और कलम हो....
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🪔दीपोत्सव🪔

23 अक्टूबर 2022
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दीप चाहे जो जले उजाला होना चाहिए घर तेरा हो या मेरा दीपावली होना चाहिए तू बाँट मेरी खुशी मैं तेरे गम बाँट लु त्यौहार तो है सबका पहले मैं और क्या पहले तू तू भी है हकदार हर खुशी का तेरी भी है दि

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नए वर्ष की शुभकामनाएं

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दोस्तों आइये आज हम बेटियों के ऊपर चर्चा करते हैं । आज भी हमारे देश में ऐसे सोच वाले लोग है जो बेटे और बेटी में भेदभाव करते हैं , क्योकि ऐसे लोगों को लगता है कि बेटे पूरी जिंदगी हमारे साथ रहकर हमारी से

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बिना शर्त का प्रेम

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दुर्बलता, उदासीनता और निराशा जैसे उसके जीवन का अंग बन चुका था, ना जाने क्यों इतनी प्रसिद्धि पाने के बाद जिस कारण से कुछ दिनों से जिस भी प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लेता, उसे निराशा ही हाथ लगती है,

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जीवन में कुछ नया

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जीवन में कुछ नया नया हो तो कुछ बात अच्छी लगे पुराने ज़ख्मों पे मरहम नया लगे तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,किसी को खाना हज़म नहीं तो किसी को रोटी न मिलेये भेद अगर मिट जाये तो जीवन में कुछ अच्छा लगे,द

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नवरात्र

22 मार्च 2023
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माँ एक बार फिर सेधरती पर उतरकर देखोआप देख नहीं पाओगी डरी सहमी बेटियों के चेहरेनहीं मिटा पाओगी आप भी मानस पटल पर अंकितउन बेटियों के जख्म गहरेमाँ आप उन्हें गोद में लेकरसहला लोगी थोड़ी देर बहला

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रामनवमी

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केवट की भक्ति भरी गगरीफल मीठे बेर लिए शबरी,है धन्य अयोध्या की नगरी,अवसादों में जब घिरना,न्याय नीति पर राम अड़े,संग सखा वीर हनुमान खड़े,पशु-पक्षी तक हैं युद्ध लड़े,धन्य हुआ उनका तरना,जो राम नाम रघुराई&

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मजदूर दिवस

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मजदूर हूं मैं मजबूर नहीं हां मैं तुमसा नशे में चूर नहीं,निर्माता तो हूं मैं इस जग का,है फक्र मुझे कुछ गुरुर नहीं ईश्वर का दिया वरदान हूं मैं, हर प्रलय परतः निर्माण हूं मैं,नल नील सा बन

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ओडिशा ट्रेन दुर्घटना

3 जून 2023
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किसी की आशा उम्मीदें और वह प्यार रहा होगा, रही होगी किसी की छुट्टी, जुदाईया इतवार रहा होगा, किसी को मिलन की आस होगी तो किसी को अपनों से मिलने का इंतजार रहा होगा,घर से कोई अपने

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मातृ दिवस 🙏🏻

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माँ, जननी, अम्मा, अम्मी, आईइन शब्दों मे पूरी दुनिया समाई अपने पराए सारे रिश्ते धोखा दे देएक मां ही है जो अपने आंचल की छांव दे।जिस दिन मैं धीमी स्वर में बात करूंपता नही मां कैसे पहचान लेते है&nbsp

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विश्व पर्यावरण दिवस

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वृक्षारोपण कर करे ,उत्सव की शुरुआत , पर्यावरण की सुरक्षा ,सबसे पहली बात । 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳नदियाँ मुझसे कह रही,चुभता एक सवाल , कहाँ गया पर्यावरण, जीना हुआ मुहाल । 🌲🌲🌲🌲🌲

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उत्सव

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जिंदगी को कुछ इस तरह से सजाए,हर दिन नए नए उत्सव मनाए ,चलो सबको मिलकर गले से लगाए ,मधुर स्वर सरगम का साज फैलाए,हर दिन दिवाली के दीप जलाए,होली के रंगों से सबको हम रंगाए,सारे ग़म भुला कर खुशी को अपनाए ,ग

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Father's day 💐

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मैं अपने पापा की प्यारी सी परी हूंपापा अपने जज्बातो को आँसूओ मे बहा नहीं पाते पापा हैं न प्यार जता नहीं पाते...मेरी खुशी में खुश बहुत होते हैं लेकिन खुशी जता नहीं पाते पापा है

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अजब सी है यारी हमारी कभी होती है कड़वी तो कभी फूल से भी प्यारीज़िन्दगी के इन सालों में कुछ रिश्ते हैं ऐसे बुनेजैसे काँटों में से हमने हैं फूल चुनेयारों ने दी इस दिल को कुछ ऐसी खुशीजिसका रहेग

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रक्षाबंधन

29 अगस्त 2023
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यह भाई बहन का रिश्ता बडा प्यारा हैयह ना बधां होता किसी डोर से हैयह दिल से दिल का रिश्ता हैमन को उमंग से भरने का किस्सा हैना इसमें कोई छोटा बड़ा हैयह दोस्ती का एक रिश्ता हैहां इसमें नोकझोंक भी हो

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी

6 सितम्बर 2023
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मिलता है सच्चा सुख केवल कृष्ण तुम्हारे चरणों में, यह विनती है पलपल छिन छिनरहे ध्यान तुम्हारे चरणों में, मिलता है सच्चा सुख केवल कृष्ण तुम्हारे चरणों में,चाहे संकट ने आ घेरा हो&nbsp

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हिंदी दिवस

13 सितम्बर 2023
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अपनों में अपनों से तिरस्कृत, इसी व्यथा में जीती हिंदी भाषा पुरातनों से मिली तू स्वर्ण धरोहर,छोड़ तुझे अपनाएं पीतल और कासा पाठ्यक्रमों में भी खूब पढ़ाए, अंग्रेजी जिंगल बेल पहेली&nbs

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बेटियां

24 सितम्बर 2023
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कभी अपने आप में शून्य नजर आती है बेटियां !कभी अपने आप को भीड़ में पाती है बेटियां!कभी किसी गिरे को संभालती है बेटियां!कभी किसी टूटी पतंग सी खुद गिर जाती है बेटियां!कभी अपने आप को बोझ सा पाती है बेटिया

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22 जनवरी 2024
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श्री राम नाम का महत्व है क्या, हर संघर्ष में राम-रामत्व है क्या,कभी अगर तुम संकट में फंस जाओ,एक बार रामचरितमानस पढ़ जाओ।श्री राम नाम रघुराई है। हमारे जीवन की यही दवाई है। सारे महामंत्र

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वो यादगार गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 2024
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26 जनवरी 2013,,, हां बिल्कुल ठीक 11 वर्ष पूर्व नौकरी के शुरुआती कुछ साल काटने के बाद, संडे और पब्लिक हॉलिडे के चक्कर से ऊब चुका मेरा विद्यार्थी जीवन फिर से एक बार उन दिनों में लौट जाना चाहता था, जहां

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एक दोस्ती ऐसी भी..

3 अगस्त 2024
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अरे यह क्या, भला यह कैसे संभव है, ऐसा तो नहीं हो सकता। लेकिन मंडल साहब माता बंगलामुखी के अनन्य भक्त होने के साथ-साथ अदृश्य शक्तियों को बहुत मानते थे। लेकिन आज तो जैसे उन्होंने अपने खुली आंखों से चमत्क

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अनेकता में एकता 🇮🇳

15 अगस्त 2024
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सोनम..... सोनम.......सुनकर तुम्हारा नाम सोनम ही है ना? सुनकर अचानक वह चौंक पड़ी, पलट कर देखा लेकिन उसके पहले वह कुछ समझ पाती एक जोरदार झटके ने उसे अपनी ओर खींच लिया। &nb

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दर्द भरी पुकार

16 अगस्त 2024
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बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा अब बंद करो, क्या कुछ पल के लिए सोना उसकी इतनी बड़ी भुल है, क्या सच में बेटियां स्वतंत्र है, इसका क्या कोई जवाब है? यह कैसी चीत्कार है कैसी दर्द भरी पुकार है इसमें वेदना

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नारी का सम्मान

24 अगस्त 2024
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दुनिया कहती है अक्सर ये कुछ नहीं आता उस महिला को, झूठी रश्मों में बंधी है धारी तलवार है वो महिला, संसार का यही दस्तूर है अबला नारी का कौन हुआ हो जाता शून्य वजूद है उसका जब जब जो भी मौन हुआ, अगर वो श

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी

26 अगस्त 2024
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कब तक भटके श्याम मेरे इस कालचक्र के पथ पर काले बादल घुमड़ रहे हैं भावों के अध्यात्मिक रथ पर।छाया चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा हमें अर्जुन सा पथ दरसा दो खाली पड़ी मन की भूमि,निर्म

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हमारा सतरंगी प्यार

30 अगस्त 2024
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मैं हृदय की पीड़ा सी तुम इश्क सुहाने से मैं प्रेम में खोयी सी तुम मस्त मौला से मैं भावना में बही सी तुम भाव के स्वप्न से।मैं पौधो में कांटो सी तुम प्रेमरस कलिका सेम

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सपनों की किताब

2 सितम्बर 2024
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मैं तुम्हारे सपनों की किताब जैसे हुं,तुम कभी मुझे एहसासों में पढ़ो,तुम कभी मुझे जज्बातों में पढ़ो ,तुम हर शब्द में मुझे पढ़ो,मैं तुम्हारे सपनों की किताब जैसे हुं।तुम कभी मेरी खुशी को पढ़ो,तुम कभी मेरे

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शिक्षक दिवस

5 सितम्बर 2024
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गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।आप सभी को शिक्षक दिवस की ढेरों शुभकामनाएं🙏💐भारत में सबसे पहले शिक्षक दिवस 5 सितंबर, 1962 को मनाया गया था।

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हिंदी दिवस

13 सितम्बर 2024
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हिंदी तु भाग्यशालीजन-जन की परिभाषामुख वाचाल क्यानेताओं को भी तुमसे आशासंस्कृत वृहद रूपजिसे जनमानस ने अपनायासमस्त भाषाओं को समेट अपने मेंएक नया रूप दिखलायाक्या शास्त्र क्या उपन्यासतेरी सेवा में किये कव

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पुरानी यादें

14 सितम्बर 2024
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कभी हमें भी याद किया तो होता,हमारे भी जज़्बात को पढ़ा तो होता।तुमसे है यह शिकायत शिकवा हमें,हमसे कभी बात करके देखा तो होता।वो गुजरी पुरानी यादें मोहब्बत की,कभी प्यार का इज़हार किया तो होता।आके द

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समय और जीवन

16 सितम्बर 2024
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अमनोल है ये जीवन और समय आज जीने का मौका है इस जिन्दगी को खुलकर जी लो,तुमको किसने रोका है, यही जीवन की एक यात्रा है, जिंदगी एक सांस का झौंका है,न जानें किस समय ये सांस रुख जाये,ना इ

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