करियारी-कारी-काजर सी,
इन नैनन में तुम्हे भर लूंगा,
इकबार अगर जो आ जाओ ,
तो प्यार तुम्हे मैं कर लूंगा...
तुम चंचल-चपल-चकोरी सी,
तू वरसाने की गोरी सी,
तुम अमृत भरी कटोरी हो,
तुम गुड़ की मीठी ढेरी हो,
तुम रोज स्वपन में आती हो,
अपने अधरों पर हास लिये,
मैं तुम्हे देख अकुलाता हूँ,
अपने होठों पर प्यास लिये,
तुम हरी भरी हरियाली हो,
तुम मदिरालय की प्याली हो,
तुम कल-कल-छल-छल नदिया हो,
अपने अंजुल में भर लूँगा....
इकबार अगर जो आ जाओ ,
तो प्यार तुम्हे मैं कर लूंगा.....
तुम ऋषियों की तपोभूमि,
तुम वेदों की गुणगान प्रिये,
तुम साधक-सध्य-साधना हो,
तुम देवों का वरदान प्रिये,
तुम गुफा अजन्ता की मूरत,
तुम रजवाड़ों की शान प्रिये,
तुम पर्वत से गिरती झरना,
तुम कवियों की गुणगान प्रिये,
तुम अटल भीष्म प्रतिज्ञा हो,
तुम अर्जुन-अविचल बाण प्रिये,
तुम प्रेम -रति बन मिल जाओ,
स्वीकार तुम्हे मैं कर लूँगा....
इकबार अगर जो आ जाओ ,
तो प्यार तुम्हे मैं कर लूंगा...
करियारी-कारी-काजर सी,
इन नैनन में तुम्हे भर लूंगा,
इकबार अगर जो आ जाओ ,
तो प्यार तुम्हे मैं कर लूंगा...
तुम जीवन की अमराई हो,
तुम कविता की गहराई हो,
तुम सुख-दुख को परिभाषित कर,
हमे जीवन देने आई हो,
तुम दर्पण हो भोलेपन का,
तुम यौवन की अंगड़ाई हो,
तुम शब्दों की हो वरमाला,
तुम गीतों की तरुणाई हो,
तुम हो सेवक की मर्यादा,
तुम स्वामी की अजुराई हो,
तुम हो भोले का भोलापन,
तुम चपला की चतुराई हो,
तुम प्रेम विरह की ज्वाला हो,
तुम रत्न-विभूषित माला हो,
तुम मंदिर और शिवाला हो,
तुम मयकस एक मतवाला हो,
तू प्रेमाधिक की मारी हो,
तुम अपने पी की प्यारी हो,
तुम मादक पुष्प सुगंधित हो,
तुम यौवन की फुलवारी हो,
तुम रस की खान रसीली हो....
गुणगान तेरा मैं कर लूँगा.....
इकबार अगर जो आ जाओ ,
तो प्यार तुम्हे मैं कर लूंगा...
तुम बूंद नक्षत्रा स्वाती की,
मैं हूँ चातक की प्यास शुभे,
शापित उस चकवा-चकवी की,
तुम ही हो आभाष शुभे,
मेरे पतझड़ जैसे जीवन में,
तुम लाती हो मधुमास शुभे,
तुम ऋषियों की सिद्धि ज्ञान,
तुम योद्धा का हो ताप शुभे,
तुम भूखे की छुधा मान,
तुम रोगी की संताप शुभे,
तुम कान्हां कि प्रेम ज्ञान,
तुम राघव का अभिमान शुभे,
तुम राधा प्रेम पहेली हो,
तुम मीरा की गुणगान शुभे,
तुम सीता की मर्यादा हो,
तुम द्रौपती का अपमान शुभे,
तुम धर्म युधिस्ठिर वाली हो,
तुम कर्ण का जीवन दान शुभे,
तुम एकलव्य का कटा अंगूठा हो,
तुम ही गीता का ज्ञान शुभे,
तुम मेरी मन्त्र साधना हो....
संधान तेरा मैं कर लूँगा....
करियारी-कारी-काजर सी,
इन नैनन में तुम्हे भर लूंगा,
इकबार अगर जो आ जाओ ,
तो प्यार तुम्हे मैं कर लूंगा...
....राकेश