कच्चे गर्भ की उबकाई
एक उकताहट-सी आई
मथने के लिए बैठी तो लगा मक्खन हिला,
मैंने मटकी में हाथ डाला तो
सूरज का पेड़ निकला।
यह कैसा भोग था?
कैसा संयोग था?
और चढ़ते चैत
यह कैसा सपना?
3 नवम्बर 2021
कच्चे गर्भ की उबकाई
एक उकताहट-सी आई
मथने के लिए बैठी तो लगा मक्खन हिला,
मैंने मटकी में हाथ डाला तो
सूरज का पेड़ निकला।
यह कैसा भोग था?
कैसा संयोग था?
और चढ़ते चैत
यह कैसा सपना?