All about the woman's struggle, lifestyle,sacrifices and care
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Bhut sundr..
बहुत ही अच्छी कविताओं का संग्रह है। अन्य पाठकों से निवेदन है कि वे भी इस पुस्तक को खरीद कर पढ़ सकते हैं आपको बहुत अच्छा लगेगा। आप भी मेरी पुस्तक खरीद कर, पढ़कर समीक्षा दीजिएगा 🙏🏼
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<div align="left"><p dir="ltr"> "<b>ओरत</b>"</p> <p d
<div align="left"><p dir="ltr"><i><b>This poetry is based on the pain of a women's day to day
<div align="center"><p dir="ltr"><b>दुध मे घोलकर </b><br> <b>संस्कार पिला दिये</b></p> <p dir="ltr">
हाँ डरती हू अन्धेरे से अकेले बहार निकलने से रात को लेट हो जाने से हा डरती हू ओरत होने से ऐसा नहि हे कमजोर हू मे बस समाज के हर पहेलू से वाकिफ हू मे जानती हू गीदड़ अन्धेरे मे निकलते हे ओरत हू मे इस लि
घूंघट जो मजबूरी था कभी क्यो आज परम्परा बन गया घूंघट जो हथियार था कभी क्यो आज प्रथा बन गया जो सूरज की तपन मे सर को ढका था क्यो छांव मे भी सर का बोझ बन गया शर्म जब आंखो की हे तो क्यो घूंघट लाज का
कभी तो खुद से इश्क कर ले थोड़ा खुद को भी आजाद कर ले ओरो के लिये तो हर पल हे कभी खुद के लिये भी श्रृंगार कर ले तुने तो अपनी हर कोर दे दी कभी खुद के जज्बातो का भी हिसाब कर ले ओरत हे तो क्यो झुक गई कभी