14 कहानियों का संग्रह है पचास के पार कहानियां - 1. छत्रछाया. 2.चीफ द बॉस 3. एक हम सफर 4. घरेलू पति. 5. गिरगिट का जाल 6. कमरे का अभिशाप 7. लाल का पतन. 8. मिस चक्रव्यूह 9.मिस्टर लक्ष्मण 10. पचास के पार 11. प्रारम्भ 12. प्रत
रहिमन इस संसार में भांति भांति के लोग। यह बात शत प्रतिशत सत्य है, इस संसार में हम प्रतिदिन भिन्न भिन्न प्रकार के लोगो से मिलते हैं।कुछ हमारी समझ में आते हैं और कुछ हमारी समझ के परे होते हैं, जो हमारी समझ के परे होते हैं , हम उन्हें अजब, गजब , पागल या
સ્વર્ગપરી ને ધરતીનો વિર🌎💪 સ્વર્ગ ની સુંદર પરી ઉતરી એક દિવસ ધરતી નિહાળવા ને ધરતી પર સુકા રણમાં એક વિર પુરુષ સાથે વાતો વાતોમાં જ દિલ દઇ બેઠી. પ્રણય રંગ જામ્યો ને તે પ્રેમની સુવાસ દેવતાઓ સુધી પહોચી. 💞💃💓🏃
जीवन में हर कोई सफल बनना चाहता है । वह पढ़ लिख कर आगे बढ़ना चाहता हैं । हर कोई किसी न किसी तरीके से अपने जीवन में आगे बढ़ता हैं और हर किसी का कुछ ना कुछ बनने का सपना जरूर होता है जैसे कि कोई डॉक्टर बनना चाहता है । कोई इंजीनियरिंग तो कोई वकील
यह राजा सिंह की तृतीय कहानी संग्रह है जिसमे 13 कहानियां संग्रहित है, जिसे अकादेमिक बुक्स ऑफ इंडिया, दिल्ली110090- द्वारा प्रकाशित किया गया है। कहानियां 1 कामरेड का मकान. 2. आवरण 3. शुरुआत 4. प्रवंधन 5. छल 6. हिसाब किताब बराबर। 7. असफल
प्रिय पाठकगण, अगर आप इस किताब को पढ़ना शुरू कर चुके हैं तो मैं शत-प्रतिशत दावे के साथ कह सकता हूँ कि आप कभी ना कभी निकम्मेपन का शिकार रह चुके हैं। निकम्मापन सिर्फ एक बीमारू शब्द ही नही हैं बल्कि ये अपने आप मे एक सम्पूर्ण सुनियोजित उपाधि हैं जो आप पर थ
यह राजा सिंह का चतुर्थ कहानी संग्रह है जिसे के. एल.पचौरी प्रकाशन,इंद्रपुरी गाज़ियाबाद द्वारा प्रकाशित किया गया है.इस कहानी संग्रह मे 10 कहानियां संग्रहीत है जो सदमजीक ससरोकरों और स्त्री विराश से जुड़ी हुई है.... कहानिया 1. कम्युनिस्ट 2. दादा 3.
कृष्णकांत और रमाकांत चचेरे भाई थे उनके बीच प्रगाढ दोस्ती थी । वे लगभग 24 घंटे साथ बिताते थे।धमधा ग्राम के वे निवासी थे और उनकी खेती की ज़मीन वहां से 5किमी दूर ग्राम धर्मपुरा में थी। वे दौनों अपने खेत को रेघ में दे देते थे और दिन भर दौनों धमधा मेँ
दोस्तों यह किताब मेरे जीवन के निजी अनुभवों की एक झलक है इसमें समाज से जुड़े हुए अनुभवों को कागज के पन्नों पर उकेरा गया है तथा कुछ संस्मरण कुछ स्मृतियां कुछ कविताएं मैंने इस किताब में डालने की कोशिश की है जोकि मार्मिक है सामाजिक है और ऐसा लगेगा कि यह
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया.उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा. संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर
ये कहानी है पारिवारिक रिश्तों में आते उतार-चढ़ाव और उनमें पनपते मतभेदों की !
जाने वाले को कभी रोक नहीं सकते हैं वास्तव में ये बहुत दु:खद घटना है लेकिन कभी - कभी मुझे लगता है कि तय समय पर ना लौटना उससे भी दु:खद होता है एक समय के बाद सब कुछ बदल जाता है जिस शहर में हम रहते हैं वो भी कल छुट जायेगा, यह भी हो सकता है जो लोग हमारे द
पुस्तक में अनेक तरह के मनभावक वाक्य लिखे है जो जमीनी हक्कीत से जुड़े हुए है आपके ओर मेरे सांझे है
धनहीन जीवन -एक अभिशाप____ वास्तव में धनहीनता एक अभिशाप ही है क्योंकि बिना धन का इंसान क्या कर सकता है।ना ही वो अपनी जरुरतें पूरा कर पायेगा और ना ही अपने परिवार का भरण पोषण कर पायेगा। और जब ये सब कुछ इंसान से दूर हो जाते है तो वो इंसान एक अपाहिज या म
शंकर लाल अग्रवाल भिलाई के एक बड़े व्यापारी है। उनके घर में एक बार डकैती पड़ जाती है । चार डकैतों ने एक ठंड की रात उनके घर डकैती डालकर उनके घर से 5 लाख रुपये ले जाते हैं । डकैती के बाद जब शंकर अग्रवाल घटना का विशलेषण करते हैं तो उन्हें लगता है
आज की कहानी बहुत ही मोटिवेशनल है | दीपक नाम का एक लड़का था जो की फूटबाल बहुत ही अच्छा खेलता था , लेकिन उसका मन कही एक जगह तो लगता ही नहीं था | वह वही काम बहुत ज्यादा करता था , जो दूसरे लोग करते थे | कभी वह फूटबाल खेलता था और कभी वह क्रिकेट खेलता था ,
कैसे अपने कॉलेज की सबसे शरारती,,हंसमुख और बिंदास लड़की अपनी एक गलती से समाज के और फिर किसी परिवार के उत्पीड़न का शिकार होती है और आख़िर में कैसे अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से समाज के लिए प्रेरणा बन जाती है,,पढ़िए मेरे धारावाहिक : " मैं तुलसी तेरे आँगन की"
कर्म का लेखा जोखा बहुत समय पहले की बात है एक गांव मे एक बनिये का दुकान था और उसके पडोस एक गरीब किसान का झोपड़ी था एक दिन वहां एक साधु भिक्षा मांगने आया सबसे पहले वह बनिए के निकट गया और बोला भिक्षाम देही पर बनिए ने जवाब म