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पापा

20 सितम्बर 2021

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हर मुश्किल का हल हैं पापा.
कमज़ोरी में संबल हैं पापा.
पापा ने ही संवारा जीवन,
मेरा आज और कल हैं पापा.

मेरा गौरव अभिमान हैं पापा.
ज्ञान दिया, विद्वान हैं पापा.
सभी समस्याओं से जूझे,
सबसे अधिक महान हैं पापा.

शीतलतामय उपवन हैं पापा.
राहतभरी पवन हैं पापा.
पापा से ही है खुशहाली,
मेरा जीवन धन हैं पापा.

कवि विशाल श्रीवास्तव

4
रचनाएँ
जिंदगी
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यह पुस्तक सभी मानवों में एक नव ऊर्जा का संचार करने का काम करेगी। कहीं इसके लेख आपको भावुक कर देंगे तो कहीं मौज भी देंगे तो खूब हंसाएंगे भी। काव्यात्मक शैली में कवि विशाल श्रीवास्तव द्वारा रचित यह पुस्तक प्रेम को सामाजिक तौर पर जोकि वर्तमान स्थिति पर सटीकता दर्शा रही होगी ऐसी रचनाओं से परिपूर्ण होगी। आशा करता हूँ कि मेरी पुस्तक आपको बहुत पसंद आएगी। लेखक कवि विशाल श्रीवास्तव

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