दिल्ली : पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने वाले जांबाजों को पठानकोट आतंकी हमले के घायल जवान श्रीरामूलू ने बेहद खास संदेश भेजा है. श्रीरामूलू ने कहा कि
"जब मैंने सुना कि उरी में हुए आतंकी हमले में 17 जवान (ये आंकड़ा बढ़कर 19 हो गया है) शहीद हुए हैं, मुझे लगा कि मैं अपने बिस्तर से उठकर दौड़ने लग जाऊं. आज मैं बहुत खुश हूं कि भारत ने पाकिस्तान को उन्हीं के अंदाज में जवाब देना शुरू कर दिया है."
"मैंने सुना कि भारतीय जवानों ने LOC के उस पार मौजूद आतंकी कैम्प को ध्वस्त कर दिया. मैं इस कार्रवाई से बहुत खुश हूं, लेकिन मुझे दुख इस बात का है कि मैं वहां नहीं था."
ये बातें 36 वर्षीय कनागला श्रीरामूलू ने कही है. ये भारतीय सेना के जवान हैं जो जनवरी में पठानकोट में हुए आतंकी हमले में घायल हो गए थे. रामूलू बम निरोधक जानकार थे, जो ग्रेनेड धमाके में घायल हो गए. उनके सिर और दिमाग में ग्रेनेड में शामिल विस्फोटकों के करीब 50 टुकड़े घुस गए. इससे उनके शरीर का दायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया.
श्रीरामूलू के भाई संगम नायडू ने बताया कि जब उन्होंने टीवी चैनल्स पर उरी हमले की वीडियो फुटेज और तस्वीरें देखी तो हिल गए.
श्रीरामूलू के भाई कनागला संगम नायडू ने बताया कि वह खुद से न तो खा सकते हैं और न ही टहल सकते हैं. उनकी दाहिनी आंख खराब हो गई है और वह शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस से पीड़ित हैं. श्रीरामूलू के भाई कनागला संगम नायडू दिल्ली आरआर अस्पतला में उनका इलाज चल रहा है.
रामूलू अपने गांव वोन अग्रहरम पहुंच चुके हैं. ये गांव हैदराबाद से 800 किमी. दूर श्रीकाकुलम जिले के वंगारा ब्लॉक है. बता दें कि रामूलू 10 दिनों तक कोमा में रहे और 9 महीने से अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है.