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पथिक

18 मई 2022

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    कविता का नाम - पथिक
रचनाकार -रामावतार चन्द्राकर

ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,
पग पग देख के चलना,
शूल है बिखरे हुए हर पथ पर,
तुम मत कभी मचलना ।                                   🌻
सुन ले पथिक कभी भूल न जाना ,
दुनिया की ये चाले,
चलते चलते पांव में दोनों  ,
तेरे पड़ सकते हैं  छाले ।
आत्मविश्वास और स्वाभिमान की ,
भावना मन मे भरना,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,
पग पग देख के चलना ।

                                🌻

बहुत जटिल और उलझी हुई है ,
जीवन की पगडण्डी,
मानो लगा चहूं ओर हर कहीं, 
छल कपट द्वेष की मंडी।
उलझ न जाना, बेर सी कांटे,
सम्भल सम्भल पग धरना ,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के,
पग पग देख के चलना।

                             🌻   
           
मानवता की पृष्ठभूमि पर ,
मानवधर्म कुछ ऐसा गढ़ देना ,
मानव बनने का दृढ़ मन्त्र  ,
तुम हर मानव पर मढ़ देना ।
मानव, मानव बन जाये बस,
इतना ही फर्ज अदा करना ,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,
पग पग देख के चलना  ।।
                                  🌻
शुचिता का भाव लिए मन मे ,
कर्तव्य बोध की लाठी टेक,
पर सेवा पर उपकार सदा ,
गैरो में भी अपनापन देख ।
जो जन दीन दुखी असहाय , 
भूल के भी न उसे छलना,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,
पग पग देख के चलना ।।
                                🌻

मन मे नही राग न द्वेष कहिं ,
तुम ऐसा जीवन अपनाना,
जीवन के मुश्किल घड़ियों में ,
दुसवारियों से ना घबराना।
उत्साह और सौहार्द भरा दिल,
हिल मिल सबसे निभना,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के  ,
पग पग देख के चलना ।

                                    🌻

पर्वत सा अडिग हो तेरा मन ,
जो झुके न बुरी अदाओ से ,
जीत लेना लोगो का दिल तुम ,
प्रेम की मीठी सदाओं से ।
कर्मठ कठिन दृढ़ लेखनी से,
तुम्ह रूठे भाग्य को बदलना,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,
पग पग देख के चलना ।

                               🌻

जो भटक रहे कर्तव्यों से ,
उनको यह मार्ग सुझा जाना ,
जो जला रहे घर अपना ही ,
उस चिंगारी को बुझा जाना ।
तुम्ह मित्रकिरण की भांति ,
जग में फैले तम को दलना  ,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,
पग पग देख के चलना ।                                                  
                 🌻

मानवधर्म  के मंजिल हेतु ,
सुन ऐ पथिक अवतार हो तुम्ह,
राह चराचर को दिखलाने, 
कर्तव्य पुरुष उदार हो तुम्ह ।
भावी पीढ़ी के कर्णधार तुम ,
नित ज्योतिर्मय हो जलना,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,
पग पग देख के चलना ।

                                🌻

दसानन रूपी बुराई हेतु ,
तुम धरना राम अवतार सदा ,
युवाओं के विस्मृत ललाट पर ,
बनना स्मृति करतार सदा।
शुचि जन मन के उद्धारक बन,
पथ को पवित्र तुम्ह करना,
ऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,
पग पग देख के चलना ।।

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻












रामावतार चन्द्राकर की अन्य किताबें

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रचनाएँ
मेरी आराधना
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इस पुस्तक में मैंने जीवन के यथार्थ पहलुओं को एवं मानव मानस के भावो को कविता के माध्यम से आप सभी सुधिजनो के मध्य लाने का प्रयास किया है ।यह मेरा प्रथम काव्य संग्रह है जिसमे मैन अपने जीवन के अनुभवों को शब्दों के रूप में पिरोया है ,दिल से पढियेगा तो अवश्य ही आप मेरे अंतश की गहराइयों तक पहुँचने में सफल होंगे ।।इस पुस्तक में मैंने जीवन के यथार्थ को जनमानस के मध्य प्रसारित करने का प्रयास किया है ,मैंने अपनी जीवन में जो कुछ भी देखा, सुना,पढ़ा, समझा, अनुभव किया और जिया भी, उन्ही सभी भावनाओं को कविता के रूप में सँजोकर पाठकों के बीच लाने की कोशिश की है , मेरी भाषा सरल एवं सहज है अधिक व्याकरण का ज्ञान नही है । “कवित्त विवेक एक नही मोरे सत्य कहउँ लिखी कागज कोरे “-गोस्वामी तुलसीदास पाठक वर्ग से निवेदन है कि वह मेरी कविता को पढ़ते समय शब्दों की गलतियों को ध्यान न देकर भावों को समझने की कृपा करेंगे । धन्यवाद :::::::::::::::::::::::::::::::::::: कृपया अवश्य पढ़ें- मेरी आराधना जय श्री राम
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1-🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳अवनी के आभूषण बनकर , सुंदरता मैनें ही बढ़ाया ।मेरे ही फल -फूल- पत्र से ,

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नई आस

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विषय - स्वतन्त्रतादिनांक - 17 अगस्त 2021रचनाकार - श्री रामावतार चंद्राकर🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮चीर तमय के गहन हिय को, दिव्य दिवाकर चमका है ।कुंठित मन की अभिलाषाएं,&nbsp

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🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮 स्वतन्त्रता का दीपक है वो जला गया,महाकाल बनके दुश्मन को है दला गया।तमारी बनके उसने तम को खूब हरा है,करके फ़िजा को रोशन है वो चला गया ।।🇨🇮🇨🇮🇨🇮

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🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮स्वतन्त्रता अच्छी नही , होती जो संस्कार हीन।कभी कभी बेगैरत भी, कर जाती घर को मलि

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आश्चर्य कैसा!

16 मई 2022
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🎏🎏🎏🎏🎏🎏नही अवतार जीवन का ,समझ में भेद है आता ।कभी दौर ए मोहब्बत में ,कहीं रंजिश है रह जाता ।बताकर के कभी ख़ंजर ,हृदय को भेद जाए तो ।नही हैरत जमाने में ,कहीं कुछ भी हो जाये तो ।।🎏🎏🎏�

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::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::जिरह दिल की कोई समझे नही ,हम जी रहे कैसे।कहे तो हाल ए मन किससे कहे ,हम जी रहे कैसे।।::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::टूटा तिलिस्म

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:- रामावतार चन्द्राकर ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷दीपक को क्या पता अंधेरा कहाँ है, उजाले में भी जलाओ जलता रहता है !गैरो को क्या पता नब्ज नाजुक है कहाँ, वो तो अपने है जो इशारे किय

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तेरी तरह सब जीना चाहेसबको जीवन का अधिकार!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!क्यों मनमौजी बना है फिरतामूक जीवन क्यों छेड़ते हो तुमजो तेरे घट माँझ बिराजतसबके भीतर देखो ना

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16 मई 2022
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:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:- सौगन्ध मुझे करनी

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भेदी

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÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷दीपक को क्या पता अंधेरा कहाँ है, उजाले में भी जलाओ जलता रहता है !गैरो को क्या पता नब्ज नाजुक है कहाँ, वो तो अपने है जो इशारे किया करते है !!÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷छि

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पथिक

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कविता का नाम - पथिकरचनाकार -रामावतार चन्द्राकरऐ राह ए मुसाफिर जीवन के ,पग पग देख के चलना,शूल है बिखरे हुए हर पथ पर,तुम मत कभी मचलना । &nbs

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ऐ दोस्त

18 मई 2022
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===============================थाम लेती है किनारे अपनी बाहों में ,रूठकर आती हुई लहरों के वेग को ।समा लेती है अपने अंदर समंदर जैसे ,दौड़कर आती सरिताओं के आवेग को।फिसलता हुआ पगडंडियों पर चल रहा था

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भूलें

19 मई 2022
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-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:-:बड़ी भूल हुई इस जीवन में,शुभ कर्म अलंकृत कर न सके।बन मानव तो हम यार गए ,यश भूषण अंग पर धर न सके ।बेअदब हो गए दुनिया में,नैतिकता का अवरोध रहा ।हम भूल गए निज ध

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आचरण

19 मई 2022
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::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::झलकता शब्द से भी है ,हमारा आचरण हरदम ,बयां आंखे भी करती है ,कभी छुपकर कभी हो नम ।हमारा मौन रहना भी, बहुत कुछ बोल जाता है ,क

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अपनी -अपनी अवकाते

19 मई 2022
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शीर्षक - अपनी अपनी अवकातें =======================मौन ही रहकर करता हूं मैं,अर्थपूर्ण गम्भीर इशारे ,मेरे मन की लब्ज़ है ये जिसे,टिमटिमा के कहते हैं तारे ।चिर गगन के खुले पटल पर , ल

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शब्दों की मर्यादा

19 मई 2022
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●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●दिल मे उतरकर अपनो सा, अहसास करा जाती है ।और कभी दिल को ही भेद , विक्षुप्त

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शोषक और शोषित वर्ग

19 मई 2022
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शोषक और शोषित वर्ग::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::टूटी हुई कलम से तुमने ,गैरो का इतिहास लिखा ,

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शेर -ए -जिंदगी ( जीवन का दर्द )

19 मई 2022
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===============================दिल के हकीम दिल के दर्द को बढ़ा गया,राह ए वफ़ा में झूठी अदाएं गढ़ा गया ,कहकर मुझे हमदर्द छलावा किया मुझसे,फिर अपनी दगाओ के भेंट वो चढ़ा गया ।==========================

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पाखण्डता

19 मई 2022
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=========================है सिलसिला ये कैसा, राह- ए- मजार में ,खबर नही किसी को, पर चल रहे हैं सब।मन मे लिए उमंगे न , जाने किस बात की,पाने को सुख कौन सा , मचल रहे हैं सब ।==================

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अहंकार

19 मई 2022
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:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: अहंकार:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

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मेरा समाज

19 मई 2022
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::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::है फैली चहुँ ओर समाज मे ,रूढ़िवादी परम्पराएं ।कुप्रथाएं खुद के होने का ,पल पल ही एहसास कराए ।इन सबसे ऊपर उठने को ,जागरूक हम समाज करे ।हम सब कुल के गौरव अपने,&n

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मिल जाएगा

19 मई 2022
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मिल जाएगा ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::विस्मृत मन में ख्वाब सुनहरे ,यूं ही उलझ उलझ जाए रे,टूटी हुई सी तारे मन की, फिर से राग सुना जाए रे।तिल तिल मरती हुई सांसो म

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