🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮
स्वतन्त्रता का दीपक है वो जला गया,
महाकाल बनके दुश्मन को है दला गया।
तमारी बनके उसने तम को खूब हरा है,
करके फ़िजा को रोशन है वो चला गया ।।
🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮
अभ्यन्तर में जन के उसने है प्रेम भर दिया,
बनके पारस कुधातु को भी हेम कर दिया।
तब का जीवन हम जी रहे थे अर्थहीन हो,
करके जीवन को मुक्त उसमें छेम भर गया।।
🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮
तन से सहते गुलामी हिय में आग दह रहे,
अपने ही जमीं को न कभी अपना कह रहे।
ये कैसी विवशता ये कैसा इम्तिहान था,
थी रोटी की लाचारी शीत घाम सह रहे।।
🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮
कोई पूछे पराधीन से क्या होती स्वतन्त्रता है,
पिंजरे में कैद खग को क्या भांति कनकता है।
पराधीनता में सुख नही ये तुलसी ने भी कहा है,
स्वतन्त्रता है सुख की कुंजी बन पुष्प महकता है।।
🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮
बीती वो काली रातें आजाद हो गए अब ,
तब रंक हो गए थे शहजाद हो गए अब।
लहराती हुई ये तिरंगा सन्देश दे रही है ,
बिखरे हुए कभी थे आबाद हो गए अब।।
🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮
उन्मुक्त अब गगन में उड़ जाओ पवन बनकर,
वसुधा की गोदी अब लहराओ चमन बनकर।
'अवतार' अब मिला है खुशियों का ये खजाना,
इठलाओ लहर बनकर खिल जाओ सुमन बनकर ।।
🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮🇨🇮