::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
समय बहुत अनमोल रे मनवा,
हर घड़ी का सम्मान करें हम ,
समय की धार में बह बह जाए,
नही इनका तिरस्कार करे हम।
कितने भी विपरीत हो घड़ियां,
नही तनिक दुखों का भान रहे,
हर एक समय का आदर करना ,
हर एक घड़ी का ध्यान रहे ।।
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
समय अश्व पर हो सवार जब,
मंजिल हमको तब ही मिलेगा,
प्रतिकूलता के घोर तिमिर में,
नित ही आस का दीप जलेगा।
मानवता के पृष्ठभूमि पर ,
नही कर्तव्यों का गुमान रहे,
हर एक समय का आदर करना ,
हर एक घड़ी का ध्यान रहे ।।
:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
समय के मूल्यों पर निर्धारित,
जीवन को तुम्ह करके देखो,
समय की बलि वेदी पर हर पल,
खुद को अर्पण करके देखो ।
समय के ड्योढ़ी पर जीवन के,
सुख - दुख तब मेहमान रहे,
हर एक समय का आदर करना ,
हर एक घड़ी का ध्यान रहे ।।
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
रोज मुंडेर पे रवि की किरणें,
समय पे दस्तक दे जाता है,
सोये हुए हतभाग्य जनों के,
उर में प्रकाश वह भर जाता है।
पोखर में यह खिले कमल दल,
हम सबसे तब यह "बान "कहे ,
हर एक समय का आदर करना ,
हर एक घड़ी का ध्यान रहे ।।
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
समय समय पर सबने अपना ,
दुनियां में है हुकुम चलाया,
कंस हो रावण हो या सिकन्दर,
समय की मार से बच नही पाया ।
समय के पदचिन्हों पर चलकर,
हमे नैतिकता का अभिमान रहे,
हर एक समय का आदर करना ,
हर एक घड़ी का ध्यान रहे ।।
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
कठिन समय हो या अनुकूलता,
हे पथिक पथ से विचलित न होना,
समय के नियमो का पालन कर,
सफलता का हर शिखर है छूना ।
नित हो धर्ममय जीवन अपना,
नित अधरों पर मुस्कान रहे,
हर एक समय का आदर करना ,
हर एक घड़ी का ध्यान रहे ।।
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
(बान = बात ,सन्देश)