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है फैली चहुँ ओर समाज मे ,
रूढ़िवादी परम्पराएं ।
कुप्रथाएं खुद के होने का ,
पल पल ही एहसास कराए ।
इन सबसे ऊपर उठने को ,
जागरूक हम समाज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने,
वंश जाती पर नाज करे ।
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स्वारथमयी घनघोर निशा में,
खुद का प्रकाश हम आप बने ।
साम्यवाद प्रगति के पथ पर,
एक दूजे का विश्वाश बने ।
अपनो बीच सद्भाव जगाने ,
मिलकर हम आगाज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने,
वंश जाती पर नाज करे ।
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कुचली जा रही नवीन सोच ,
सब कुरीतियों के पांव तले ।
लगा हुआ बाजार है जहं तहं,
अंधविश्वास के छांव तले ।
ऐसे छद्म कुटिल सियार को,
भगाने हेतु आवाज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने ,
वंश जाती पर नाज करे ।
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बिखर रही है टूट के अपने,
बंधी हुई थी जो आशाएं ।
अनुभव और जज्बात लिए दिल,
पीढ़ियों की हर मर्यादाएं ।
द्वेष जलन सब दुर्भावनाएं ,
दूर करने हित काज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने ,
वंश जाती पर नाज करे ।
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नशे और कमजोर मनोबल,
दीमक बनकर चांट रही है।
गलतफहमी की दीवारें ,
अपनो को ही बांट रही है ।
सही दिशा मिले कुंठित मन को,
भरकर उमंग परवाज भरे ।
हम सब कुल के गौरव अपने ,
वंश जाति पर नाज करे ।
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आडम्बर और पाखण्डवाद सब,
खोखली करती है मेहराबें ।
टूट के चकनाचूर हो जाते ,
आईने सा सच निर्मल ख़्वाबे।
सोये हुए हतभाग्य जनो को ,
जागृत करने आवाज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने ,
वंश जाति पर नाज करे ।
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सागर में उठती हुई लहरो
को अंजाम पता नही होता
पंकज प्रेम पराग में डूबे ,
मधुकर को ये खता नही होता।
ऐसे हम अपनो में खो जाए
कुछ तो ऐसा रिवाज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने ,
वंश जाति पर नाज करे ।
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पुरखो की अनमोल धरोहर ,
खो न जाय यह जतन करे हम ।
निज समाज के उत्थानों हित ,
कर्म कठिन शुभ यतन करे हम ।
तम उलूक अज्ञान मिटाकर ,
बन के आदित्य हम राज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने ,
वंश जाती पर नाज करे ।
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मोड़ दे नदियों की धाराएं ,
बहा रही जो अपनी पहचानें।
तारागण से हमे क्या लेना ,
चन्दा सूरज हमे खूब जाने ।
खुले व्योम पृथ्वी सागर पर ,
स्थापित साम्राज्य हम आज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने,
वंश जाति पर नाज करे ।
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ऊँचा मस्तक हो समाज का ,
वह पुरुषार्थ अब करना होगा ।
उज्ज्वल और संगठित पाकमय ,
निर्माण समाज का करना होगा ।
दिव्य दिवाकर सा तेजोमय ,
युवाओ में ओज हम आज भरे ।
हम सब कुल के गौरव अपने ,
वंश जाति पर नाज करे ।
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अप्प दीपो भव की यह भावना ,
को समाज मे भरना होगा।
सुषुप्त हृदय में अलख जगाने ,
युवाओ को क्रांति अब करना होगा ।
बुद्ध के पावन पदचिन्हों पर ,
मिलकर चलने का रियाज करे ।
हम सब कुल के गौरव अपने ,
वंश जाति पर नाज करे ।
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जारी है .....