एक लड़की की आपबीती...। विचारणीय और गंभीर मुद्दा..।
अप्रैल माह में अपने लम्हों को और अहसासों को शब्दों में पिरोकर अपनी डायरी में लिख रहीं हूँ...।
प्रतिदिन हम आप ज्योहीं अखबार के पन्ने पलटते हैं पाते हैं अखबार का दो से तीन पेज घरेलू हिंसा के खबरों से पटा रहता है, कहीं पति ने पत्नी का क़त्ल किया, कहीं पत्नी ने पति का. कहीं दोनों परिवार एक दूसरे पर केस डाल दिया, तो कहीं पत्नीं अपने बच्चों समेत ट्
कुछ अल्फ़ाज़ जो बयां ना किए जा सके ...
उर्दू में सआदत हसन मंटो की बहुत सी कहानियाँ पढ़ने के बाद विचार आया कि हिंदी में भी मंटो जैसा कोई विवादस्पद लेखक है? काफी खोजबीन करने पर ज्ञात हुआ कि ऐसा लेखक तो पाण्डेय बेचन शर्मा "उग्र" ही है. उग्र की अनेक कहानियाँ और उपन्यास पढ़ने के बाद विचार आया क
यह कहानी आज के शिक्षित युवाओं की मनो व्यथा को दर्शाता है। वैसे तो यह कहानी लंबी नहीं है, परन्तु.....इसमें समाज में फैले हुए वैमनस्यता एवं उसके कारणों को समाहित किया गया है। साथ ही यह भी दिखाने की कोशिश की गई है, कि आज का युवा चाहे, तो कुछ भी कर सकता
कभी-कभी मजाक या अनजाने में की गई छोटी-छोटी गलतियां भी बड़ा अपराध बन जाती है और उनकी सजा जीवन भर दुख देती है कुशीनगर से मध्य प्रदेश के दुर्ग जा रही ट्रेन में बम होने की अफवाह फैला कर दो सगे भाइयों ने भी ऐसा अपराध किया कि चंद घंटे बाद ही हवालात की हवा
प्रिय पाठकगण सुधिजन व मित्रगण, जयश्रीकृष्ण,, आप सब को मेरा सादर नमस्कार। प्रियवर " खिलते एहसास " का एहसास सहसा ही मस्तिष्क मे उभरा।कई बार हम कई विशेष परिस्थितयों के अधीन बंधे महसूस करते है।वो भी तब जब कोई आस या कामना सामने खडी होती है ।और ऐसे
बाज़ की जिंदगी का एक अनसुना लेकिन प्रेरणादायी सच..।
काल चक्र, मेरी नजर में एक काल चक्र ऐसा हैं जो सब से अधिक हमारे जीवन को प्रभावित करता हैं और हम में से कई लोग उसके बारे में जानते ही नहीं हैं, जो जानते हैं मानते नहीं ! जब अति हो जाती हैं तो सब करने को तैयार हो जातें हैं ! पुस्तक में मैं
Success की सबसे खास बात है की, वो मेहनत करने वालों पर फ़िदा हो जाती है
प्यार को प्रस्तुत करतीं एक मार्मिक कहानी..।
भगवान शिव के भक्तों/ महाकाल के भक्तों को समर्पित शायरी😍
बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
*शिवविचार प्रतिष्ठान* *१६ आॅगस्ट इ.स.१६६२* "अण्णादी दत्तो प्रभूणीकर" हे वाकनिशी करत होते, त्यांना छत्रपती शिवरायांनी सुरनिशीचा हुद्दा सांगितला. *१६ ऑगस्ट इ.स.१६८१* आतापर्यंत केवळ मराठी मुलखाचीच नासधूस करणारा सिद्दी १६ ऑगस्ट पासून इंग्रजांनाही त्रास द
यह भी एक छोटी सी कहानी है, जो कि आज के समय को परिभाषित करती है। आज-कल जिस प्रकार से युवा परिवारिक रिश्ते को महत्व नहीं देते और अलग रहने की कोशिश करते है। आज-कल जिस प्रकार से हमारे समाज में लव का मतलव सिर्फ और सिर्फ कामनाओं की पुर्ति रह गया है और जिस
पाठ विशेष- तंबाकू युक्त नशे न श्यामू की जिंदगी बर्बाद कर दी। अपने पीछे पिता ,बीबी और बच्चों को रोता -विलगता छोड़ गया। एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं होती ।अपितु साथ में पूरे परिवार की। अतः- नशा व्यक्ति को आर्थिक, शारीरिक ,मानसिक हानि तो पहुंचाता है। साथ
भाई - बहन के रक्षा बंधन के अहसास , प्यार की कुछ रोमांचक कहानी का वर्णन किया जा रहा है । ये रिश्ता बहुत ही खास होता है ।