दुष्यंत की इस कविता का मिजाज बदलाव के पक्ष में है। वह राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में बदलाव चाहता है, तभी तो वह दरख्त के नीचे साये में भी धूप लगने की बात करता है और वहाँ से उम्र भर के लिए कहीं और चलने को कहता है। वह तो पत्थर दिल लोगों को पिघलाने में
सुनों न! दैनन्दिनी कुछ कहना है....
बाज़ की जिंदगी का एक अनसुना लेकिन प्रेरणादायी सच..।
Maa Ki Mamta koi nahi jaanta yeh to Maa hi jaanti Hai Maa se pucho beta ko ager chote lag jaati to Maa Raat din seva karti beta jab videsh chala jaata Hai to Maa shochti Hai Ki beta kab aayga ek baar ko beta bhool jaata Hai lekin Maa nahi bhoolti hai
ये हमारी कविताओं का संकलन है जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न रूपों को इसको अपनी कलम से सजाया है।
इस काव्य संग्रह में विभिन्न प्रकार की कविताओं का संग्रह किया गया है l मानव की विभिन्न प्रकार की अनुभूतियों, राष्ट्र प्रेम, जीवन संघर्ष, प्रेम भावना, इसी प्रकार की अन्यतम विचारों का प्रस्फुटन मनुष्य को जीवंत करने के लिए और उसकी भावनाओं को सकारात्मक ऊर
कर्पूरमंजरी संस्कृत के प्रसिद्ध नाटककार एवं काव्यमीमांसक राजशेखर द्वारा रचित प्राकृत का नाटक (सट्टक) है। प्राकृत भाषा की विशुद्ध साहित्यिक रचनाओं में इस कृति का विशिष्ट स्थान है।इन सबमें कर्पूरमंजरी सर्वोत्कृष्ट और प्रौढ़ रचना है। राजशेखर का संस्कृत
इस पुस्तक को आप कुछ अपनी और कुछ बाहर की बातों का लेखा-जोखा समझ लीजिए।
यह उनकी विशेषता है कि उन्होंने कृष्ण-राधा, राम-सीता से संबंधित विषयों के साथ-साथ आधुनिक समस्याओं को भी लिया है और उन पर नवीन ढंग से अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। प्राचीन और आधुनिक भावों के मिश्रण से उनके काव्य में एक अद्भुत चमत्कार उत्पन्न हो गया है।
कहानीया एक ऐसी जगह है जहां लोग अपनी पसंदीदा कहानियों को पढ़ और लिख सकते हैं, सिवाय इसके कि उपयोगकर्ता कहानियां पढ़ और लिखकर पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं। लेखक द्वारा लिखी गई कहानियाँ बड़ी संख्या में लोगों द्वारा पढ़ी जाती हैं। लेखक अपनी प्रकाशित कह
भारत दुर्दशा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा सन 1875 ई में रचित एक हिन्दी नाटक है। इसमें भारतेन्दु ने प्रतीकों के माध्यम से भारत की तत्कालीन स्थिति का चित्रण किया है। वे भारतवासियों से भारत की दुर्दशा पर रोने और फिर इस दुर्दशा का अन्त करने का प्रयास करन
भारतेंदु हरिश्चन्द्र द्वारा आधुनिक भारत के महानतम हिंदी लेखकों में से एक और आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामा माना जाता है। हरिश्चंद्र को उनकी कविता, और साथ ही साथ गद्य की नई शैली विकसित करने के लिए भी पहचाना जाता था उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदग
मैं अपनी डायरी में इतिहास के कुछ पन्नों को उकेरने की कोशिश कर रही हूं मैं इसमें कितना सफल हुई हूं यह निर्णय शब्द इन के पाठक गण ही करेंगे।
दैनन्दिनी आपके यादगार पलों को सँजोने के साथ-साथ दूसरे पाठकों को आपकी जीवनी से भी परिचय कराती है। मुझे याद है, जब मैं कक्षा-9 में था तो मेरे पिता जी ने मुझे एक डायरी भेंट की थी, उस समय मैंने उनसे पूछा था कि इसमें क्या लिखूँगा? मेरी बात पर पिता जी न
मेरा पहला प्रयास डायरी लेखन का आशा है आप को मेरे आसपास घटित होने वाले अनुभव पसंद आये।
यह पुस्तक है समाज के उस काले सच की जिस पर लोग प्रकाश नहीं डालना चाहते । यह पुस्तक एक आईना है स्त्री जीवन के उस अंधकार की जहाँ कई बार ना चाहते हुए भी उसे कदम रखने पड़ते हैं यह कहानी है देह व्यापार के इसी काले सच की । अंतिम चंद पंक्तियों में आप के लिए भ
प्रस्तुत उपन्यास कटोरा भर खून चन्द्रकान्ता की ही परम्परा खत्री जी का एक अत्यन्त रोचक और मार्मिक उपन्यास है। इसमें वातावरण सामन्तीय होते हुए भी मानवीय संवेदनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है। "काजर की कोठरी एक लघु उपन्यास है। इसका विशेष महत्त्व इसलिए भी
कभी-कभी मजाक या अनजाने में की गई छोटी-छोटी गलतियां भी बड़ा अपराध बन जाती है और उनकी सजा जीवन भर दुख देती है कुशीनगर से मध्य प्रदेश के दुर्ग जा रही ट्रेन में बम होने की अफवाह फैला कर दो सगे भाइयों ने भी ऐसा अपराध किया कि चंद घंटे बाद ही हवालात की हवा
यह एक ऐसी कुबड़ी गुलकी की कहानी है जो कि घेघा बुआ के चौतरे पर बैठकर तरकारियाँ बेचकर अपना गुजर-बसर स्वयं करती है। उसके पिता की मृत्यु के पश्चात् से वह अकेली ही रहती है। उसके पति मनसेधू ने उसे छोड़कर दूसरा ब्याह कर लिया। वास्तव में गुलकी का कूबड़ उसके