कुछ अपनी और कुछ कल्पना कर के लिखती हूँ , मैं कहानी ,कविता , शेर , गीत और गजल भी लिख लिया करती हूँ । अभी तो शुरूआत हैं ये , आगे शायद मेरी लेखनी में और निखार आ जायेगी ।
मेरी किताब मेरे मन के विचारों पर केंद्रित है न इसमें अनावश्यक चीजों का समावेश है न किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों की रचना मेरी किताब समाज को प्रेरित करने महिलाओं में जाग्रति पैदा करने और वृद्ध लोगों का सम्मान करने के साथ साथ समाज की कुरी
इस पुस्तक में वर्तमान में चल रहे लोगों के चरित्र के विषय में वर्णन किया है जिसमें आज के लोग प्रेम में धोखा देकर किसी भी लड़की के चरित्र पर दाग लगाने की कोशिश करते हैं। इस धोखे के कारण इस समय बहुत ही लड़कियों की जिंदगी बर्बाद हो रही है। ।
मानव उत्पत्ति एक रहस्य है। वह कब, कहां और कैसे उत्पन्न हुआ इस विषय पर अनेकों मत हैं। जिसमें से कुछ मत तर्कजनित हैं तो कुछ कल्पनातीत। किसकी सत्यता कितनी है इस पर कोई भी एकमत न हो सका। इस सभी बातों से हटकर आज हम मानव जीवन के विषय में कुछ चर्चा करेंगे ज
सुन्दरी नाम की एक लडकी के जीवन की समस्त घटना का उल्लेख इस किताब में किया गया है। जो बहुत हीं सुंदर रहती हैं। जिस वजह से उसका नाम सुंदरी पड़ा है। क्या कारण है कि सुंदरी के पिता को नशे ने जकड़ लिया । आखिर सुंदरी के पिता क्यों सुंदरी को पसंद नहीं करते
ऐतिहासिक लेखों का संग्रह
राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों की दशा, गुरु की महीमा अपरम्पार
पद्यात्मक, कविता के माध्यम से अनमोल काव्य लेखन संग्रह
यह कहानी एक dog की है जिसका जन्म एक पाइप में होता है और वह बाहर की दुनिया से अनजान अपनी माँ के साथ रहता है वह ही सफ़ेद होता है और सभी भाई काले कभी कभी अपने बारे में सोचता है मैं ऐसा क्यों हूं बाहर की दुनिया के विषय मे भी यही सोचता है और जब बाहर निकलत
ईश्वर की बनाई ममता की मूरत है ‘माँ’ , ईश्वर ने गढ़ी वो अनमोल कृति है ‘पिता’ ! जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है ‘माँ’ , जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त लौ है ‘पिता’ ! ज़िन्दगी के आशियाने का स्तंभ है ‘माँ’ , उस स्तंभ का आधार-‘नींव’ है ‘पिता’ ! मेरे ज
करन कुन्द्रा और तेजस्वी प्रकाश पर कुछ शेर ❤️
रिवांश की वाइफ अपूर्वा उसके ठीक सामने बैठी थी और अपने स्कूल के बच्चों की रिजल्ट्स तैयार कर रही थी । वहीं रिवांश फोन चला रहा था और बीच - बीच में अपूर्वा को देख भी रहा था । आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था , उसे आज बार - बार पहली वाली अपूर्वा की
हम अपने उलझें रहते है और खुद को ही खुद की खबर नहीं होती. अपने -आप में डूबे रहना और खुद से ही खुद को समझा लेना बड़ी कला होती है
यूक्रेन युद्ध के लिए कुछ कविताएं लिखी गई है जिसमें आज के बदले हुए मानव विचारों को व्यक्त किया गया है एवं वर्तमान में मानव के व्यवहार एवं आपसी प्रतिस्पर्धा को व्यक्त किया गया है। इस समय मानव अपनी पहचान और पद बढ़ाने के लिए मानव को मूल्यहीन समझता है और
मसकरी बुंदेली (दोहा संकलन) बुंदेली के श्रेष्ठ समकालीन 20 दोहाकारों के 100 से अधिक बुंदेली भाषा में लिखे दोहे पढ़िएगा संपू - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ मप्र भारत
बचपन का जमाना बहुत अलग था वो लोग कुछ और ही अलग दुनिया के थे. उन्हें याद करती हूँ तो जैसे उन सबको एक बार पा जाती हूँ.
गाय माता से जुड़ी जानकारी
## बधाई ## भगवान का दिया हुआ प्रसाद, और आप दोनों की प्रेम कि निशानी पुत्र / पुत्री में भेदभाव न करें !
मेरे बचपन का दौर अलग था उनका रहन -सहन अलग था उनके जीवन का उद्देश्य सहकार जीवन था सब मिलकर जीते थे दुख -सुख को भोगते थे... उन्हीं की यादों में.