आजकल घर से यूनिवर्सिटी पढ्ने के लिये जाना मुझे उन दिनों की याद दिलाता है कॉलेज और यूनिवर्सिटी पढ्ने जाता था । मोबाईल की जगह हाथ और बैग मे किताबें ही होती थी।काश वो आदत दोबारा पड़ जाये ।
आजकल गौरव सोलंकी की पुस्तक "ग्यारहवीं A के लड़के"पढ़ रहा हुँ।इसके किरदार आपके शहर में भी होंगे तो जरूर, भले ही आपको पसंद न हों! ‘ग्यारहवीं A के लड़के’ की कहानियां आपके भीतर के पीड़ित को सहलाती हैं और उसी शिद्दत से आपके भीतर मौजूद अपराधी को पकड़ती भी हैं।
इसके अलावा भी कई पुस्तकों की सूची बनाई है उम्मीद है उन्हें भी पढ़ पाऊँ ।@ Pehowa Town