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प्रथम दृश्य

27 जनवरी 2022

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संवत् 1941
(एक गीतिरूपक)
हिमालय का अधोभाग।
तृण लता वेष्टित एक टीले पर बैठी हुई तीन अप्सरा गाती हैं।।
br /> 1. अप्सरा- (राग झिझौंटी)
जय जय श्री रुकमिन महारानी।
निज पति त्रिभुअन पति हरि पद में छाया सी लपटानी।
सती सिरोमणि रूपरासि करुनामय सब गुनखानी।
आदिशक्ति जग कारिनि पालिनि निज भक्तन सुखदानी।।
br /> 2. अप्सरा- (राग जंगला या पीलू)
जग में पतिब्रत सम नहिं आन।
नारि हेतु कोउ धर्म न दूजो जग में यासु समान ।।
अनुसूया सीता सावित्री इन के चरित प्रमान।
पति देवता तीय जग धन धन गावत वेद पुरान ।।
धन्य देस कुल जहँ निबसत हैं नारी सती सुजान।
धन्य समय जब जन्म लेत ये धन्य व्याह असथान ।।
सब समर्थ पतिबरता नारी इन सम और न आन।
याही ते स्वर्गहु में इन को करत सबैन गुन गान ।।
br /> 3. अप्सरा- (रागिनी बहार)
नवल बन फूलीं द्रुम बेली।
लहलह लहकहिं महमह महकहिं मधुर सुगंधहिं रेली ।।
प्रकृति नवोढ़ा सजे खरी मनु भूषन बसन बनाई।
आंचर उड़त बात बस फहरत प्रेम धुजा लहराई ।।
गूंजहिं भंवर बिहंगम डोलहिं प्रकृति बधाई।
पुतली सी जित तित तितली गन फिरहिं सुगन्ध लुभाई ।।
लहरहिं जल लहकहिं सरोज मन हिलहिं पात तरु डारी।
लखि रितुपति आगम सगरे जग मनहुं कुलाहल भारी ।।
(पटाक्षेप) 

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रचनाएँ
सती प्रताप
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यह दुखांत नाटक की परंपरा के नजदीक है । ' भारत दुर्दशा ' में पराधीन भारत की दयनीय आर्थिक स्थिति एवं सामाजिक – सांस्कृतिक अधः पतन का चित्रण है । 'सती प्रताप' सावित्री के पौराणिक आख्यान पर लिखा गया है। भारतेंदु ने अंग्रेजी के ' मर्चेंट ऑफ वेनिस ' नाटक का ' दुर्लभबंधु ' नाम से अधूरा अनुवाद भी किया है।
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प्रथम दृश्य

27 जनवरी 2022
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संवत् 1941 (एक गीतिरूपक) हिमालय का अधोभाग। तृण लता वेष्टित एक टीले पर बैठी हुई तीन अप्सरा गाती हैं।। br /> 1. अप्सरा- (राग झिझौंटी) जय जय श्री रुकमिन महारानी। निज पति त्रिभुअन पति हरि पद में छाय

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दूसरा दृश्य

27 जनवरी 2022
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तपोवन-लतामंडप में सत्यवान बैठा हुआ है। (रंग गीति-पीलू-धमार) ”क्यों फकीर बन आया वे मेरे वारे जोगी। नई बैस कोमल अंगन पर काहे भभूत रमाया वे ।। किन वे मात पिता तेरे जोगी जिन तोहि नाहि मनाया वे ।। काच

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तीसरा दृश्य

27 जनवरी 2022
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जयन्ती नगर गृहोद्यान (जोगिन बनी हुई सावित्री ध्यान करती है) (नेपथ्य में बैतालिक गान) प्र. वै. : नैन लाल कुसुम पलास से रहे हैं फूलि फूल माल गरे बन झालरि सी लाई है। भंवर गुंजार हरि नाम की उचार तिमि

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चौथा दृश्य

27 जनवरी 2022
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स्थान-तपोवन। द्युमत्सेन का आश्रम (द्युमत्सेन, उनकी स्त्री और ऋषि बैठे हैं) द्युमत्सेन : ऐसे ही अनेक प्रकार के कष्ट उठाए हैं, कहाँ तक वर्णन किया जाय। पहला ऋषि : यह आपकी सज्जनता का फल है। (छप्पय) क

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