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प्रवाह

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*इस संसार में जन्म लेने के बाद प्रत्येक मनुष्य जीवन को सफल बनाने के लिए , या किसी भी प्रकार की सफलता प्राप्त करने के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करता है और उसी लक्ष्य पर दिन रात चिन्तन करते हुए कर्म करता है तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है | कोई भी लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब

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*इस संसार में कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं है जिसके मन में कल्पनाएं ना उत्पन्न होती हों | प्रत्येक मनुष्य का मन कल्पनाओं के पंख लगाकर उड़ता रहता है | इन कल्पनाओं की गति असीम होती है तथा यह अपरिमित वेग के साथ दृश्य और अदृश्य लोकों में घूमती रहती हैं | पूर्व काल में हमारे देशवासियों ने इन्हीं कल्पनाओं के बल

अंत सही,।ता उम्र आँग की लपटों में जलते रहे, अंत मे राख़ हो गए।ता उम्र पानी की लहरों में नहाते रहे, अंत में जल प्रवाह हो गए। ता उम्र मिट्टी में खेलते रहे अंत हुआ, उसी में दफन हो गए।ता उम्र हवाए घेरती रही, अंत मे वह खुद छोड़कर चली गई।पुनर्जन्म की कहानियां तो अतीत से भी परे होती है।इस जन्म का हमे कुछ पता

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