अंत सही,।
ता उम्र आँग की लपटों में जलते रहे, अंत मे राख़ हो गए।
ता उम्र पानी की लहरों में नहाते रहे, अंत में जल प्रवाह हो गए।
ता उम्र मिट्टी में खेलते रहे अंत हुआ, उसी में दफन हो गए।
ता उम्र हवाए घेरती रही, अंत मे वह खुद छोड़कर चली गई।
पुनर्जन्म की कहानियां तो अतीत से भी परे होती है।
इस जन्म का हमे कुछ पता नही अगले जन्म का क्या करे?