पत्रकार की हत्या पर क्षुब्ध पत्रकारों ने निकाला कैंडिल मार्च
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>सुल्तानपुर जिले के जनसंदेश अखबार के जिला संवाददाता की दिन दहाड़े हत्या का मामला|
>तीन दिन बाद भी हत्यारों का सुराग नहीं ढ़ूंढ़ पायी यूपी पुलिस
>बाराबंकी जनपद के पत्रकारों ने पत्रकार प्रेस परिषद के बैनर तले कैंडल मार्च निकाल कर जताया विरोध
>यूपी सरकार, पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारों से गुंजा शहर का मुख्य छाया चौराहा
>प्रेस परिषद के जिलाध्यक्ष ने कहा मुआवजा बाद में पहले हत्यारों की गिरफ्तारी हो नहीं तो प्रदेश स्तर पर होगी सरकार की थू-थू
बाराबंकी : सूबे में बढ़ रही अराजकता से आमजन ही नहीं लोकतंत्र की आत्मा यानी उसका मुख्य चतुर्थ स्तंभ आहत है| प्रदेश सरकार का दोहरा चरित्र पूरे देश के सामने आ चुका है कि एक तरफ वो कागजी आकंड़ों में तमाम प्रयत्न पत्रकार हित में कर रही हैं वहीं उनकी गोद में बैठा जरायम पेशा व शासन-प्रशासन द्वारा आए दिन पत्रकार उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही हैं| जिसमें मिट्टी खनन पर खबर प्रकाशित करने पर खनन माफियाओं द्वारा सुल्तानपुर जिले में जनसंदेश अखबार के जिला संवाददाता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या बीते शुक्रवार को कर दी गई थी| जिसको लेकर पूरा मीडिया जगत आक्रोशित है| तीन दिन बाद भी एक भी हत्यारे का यूपी पुलिस सुराग नहीं लगा पाई जिसपर क्षुब्द बाराबंकी के पत्रकारों ने पत्रकार प्रेस परिषद के तत्वाधान में सायंकाल करीब साढ़े छह बजे शोक सभा की व कैंडल मार्च निकाल कर विरोध जताया|
सोमवार को भी प्रदेश में पत्रकार जगत पर जारी हमलों को लेकर पत्रकारों में रोष व्याप्त रहा| सुबह जहां सभी पत्रकारों ने एक साथ जिला कलेक्ट्रेट प्रांगण में विरोध का स्वर मुखर करते हुए सूबे के मुख्यमंत्री को ज्ञापित ज्ञापन मजिस्ट्रेट को सौंपा वही सायंकाल सभी पत्रकार बंधू पत्रकार प्रेस परिषद के तत्वाधान में शहर के प्रमुख छाया चौराहा स्थित कमला नेहरू उद्यान पर जुटे व दिवंगत करूण मिश्रा की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा| इसके बाद सभा में बोलते हुए जिलाध्यक्ष संजय वर्मा "पंकज" ने कहा पूरे सूबे में जंगलराज सा माहौल है| कहीं वाजिब सवाल पूछने पर जिलाधिकारी सम्मानित पत्रकार पर अशोभनीय टिप्पणी कर अपमानित करती है व नाजायज मुकदमा तक दर्ज ही नहीं कराती बल्कि कूड़ा कार्यालय के सामने फेंकवाने जैसा असाजिक कृत्य तक करने की हिमाकत करती है| तो कहीं मंत्री पर पत्रकार को जलाकर मारने का मामला है, कही थाने पर बुलाकर मारपीट करने का| महासचिव अर्जुन सिंह ने कहा कि जनपद में ही चार-पांच पत्रकार उत्पीड़न के मामले ज्वलंत सामने हैं| जिसमे सबसे बड़ा जो दुःखद परेशान करने वाला पहलू है वो ये कि किसी मामले में कोई भी दोषी ना तो दण्डित हुआ व ना ही कोई खिलाफ कार्रवाई ही शुरू करते सूबे की जिम्मेदार सत्ता दिखाई दी| सभा में सरकार की कार्यशैली पर प्रहार करते हुए आजतक के संवाददाता कामरान अलवी ने कहा कि सूबे की सरकार व शासन-प्रशासन अपराधियों को अपरोक्ष व परोक्ष रुप से संरक्षण दे रही है| जिससे उनका मनोबल इतना बढ़ गया है कि वो दिन-दहाड़े जघन्य अपराध आए दिन बढ़चढ़ कर कर रहा है| जिसकी ताजा उदाहरण सुल्तानपुर जिले में पत्रकार की हत्या के रूप में सामने आया है| सभा के उपरांत पत्रकारों नें कैंडिल मार्च सरकार व पुलिस प्रशासन विरोधी नारा लगाते हुए कमला नेहरू उद्यान से छाया मुख्य चौराहा तक निकाला| चौराहे पर पहुंच कर पत्रकारों ने यूपी सरकार मुर्दाबाद, पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद, मुआवजा नहीं हत्यारों को फांसी दो, पत्रकार एकता जिंदाबाद के नारे लगाए| चौराहे पर अन्य राजनीतिक पृष्ठ भूमि के लोगों ने पत्रकारों की आवाज को जायज बताते हुए लड़ाई में बराबरी से सहयोग का वायदा किया| वरिष्ठ पत्रकार बाबा बीपी दास, संजय शर्मा ने भी मौके पर पहुंचकर पत्रकार एकता को बल प्रदान किया| मों हसीब, कामरान अलवी, जिला उपाध्यक्ष बी. त्रिपाठी, कपिल सिंह, अजय पाल, संदीप वर्मा, डीके गोस्वामी, दिलीप श्रीवास्तव, दानिश वारसी, आसिफ हुसैन, बृजेश चौबे, अतुल कुमार श्रीवास्तव, वीरेंद्र श्रीवास्तव "बब्बल", बाबा भट्ट, रत्नेश श्रीवास्तव आदि बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद रहे| पत्रकारों के नारों से पूरा छाया चौराहा गुंजायमान रहा|