देश ने तैयार की परमाणु हथियारों से लैस पहली पनडुब्बी, सभी परीक्षणों में हुई सफल
नई दिल्ली। देश ने सुरक्षा संबंधी कवायद में एक क़दम और बढ़ाते हुए देश की पहली परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बी तैयार कर ली है। पनडुब्बी ने पिछले पांच महीनों में बहुत सी डीप सी डाइविंग ड्रिल्स और हथियारों के लॉन्च से जुड़े टेस्ट पास किए हैं। इसे अब नौसेना में आधिकारिक तौर पर शामिल करने का फैसला सरकार को करना है।
आईएनएस अरिहंत न्यूक्लियर मिसाइल पनडुब्बी प्रॉजेक्ट से जुड़े कुछ अधिकारियों के मुताबिक नौसेना पिछले पांच महीनों के दौरान अरिहंत से हथियारों के लॉन्च से जुड़े बहुत से टेस्ट को गोपनीयता के साथ अंजाम देने में सफल रही है। इस पनडुब्बी को 700 किलोमीटर से अधिक की रेंज वाली के 15 शॉर्ट रेंज मिसाइलों और 3,500 किलोमीटर की रेंज वाली के 4 बैलेस्टिक मिसाइल से लैस किया जाएगा। देश में निर्मित यह पनडुब्बी अब पूरी तरह ऑपरेशनल है और पिछले पांच महीनों में हथियारों से जुड़े बहुत से परीक्षणों में इसकी क्षमताएं साबित हुई हैं। अरिहंत नौसेना में शामिल की जाने वाली पांच न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन में से पहली है। इसे विशाखापट्टनम में बनाया गया है और वहीं इसका डीप सी डाइविंग टेस्ट परीक्षण भी किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक पिछले वर्ष एक अक्टूबर का आया रूस का डाइविंग सपोर्ट शिप-आरएफएस एप्रन डीप सी डाइव और लॉन्च से जुड़े टेस्ट में अरिहंत के साथ था। एप्रन एक प्रूट क्लास का सबमरीन रेस्क्यू जहाज है। इसे रूस ने हाल ही में विशाखापट्टनम में आयोजित इंटरनैशनल फ्लीट रिव्यू (आईएफआर) में भी पेश किया था। भारत के पास अभी इस क्लास का कोई सबमरीन रेस्क्यू जहाज नहीं है।
आईएफआर में अरिहंत ने सुरक्षा कारणों से हिस्सा नहीं लिया था। आईएफआर में शामिल हुए 24 विदेशी युद्धपोत ऐसे सेंसर और इक्विपमेंट से लैस थे, जो महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस को पकड़ सकते थे और इसी वजह से अरिहंत को इस आयोजन में पेश नहीं किया गया था। अभी अरिहंत क्लास की दो और पनडुब्बियों पर विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर (एसबीसी) में काम किया जा रहा है। ये पहली पनडुब्बी से ज्यादा बड़ी और एडवांस्ड होंगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इसने सभी टेस्ट पास किए हैं और बहुत सी चीजें हमारे अनुमान से बेहतर रही हैं। तकनीकी तौर पर पनडुब्बी को अब किसी भी समय नौसेना में शामिल किया जा सकता है।' सूत्रों की मानें तो अगर मोदी सरकार चाहे तो अरिहंत को अगले महीने की शुरुआत में आधिकारिक तौर पर शामिल किया जा सकता है पनडुब्बी के साथ कम्युनिकेशन की एक सुविधा पहले ही नौसेना के पास मौजूद है।