आप भाजपा से असहमत हैं तो उसके खिलाफ नारे लगाइये ------ वामपंथ से असहमत हैं तो उसके खिलाफ लगाइये ----सरकारों से निराश हैं तो उन्हें निकम्मी कहें , अधिकारपूर्वक। मन करे तो नेताओं को भी खुलेआम खरी -खोटी सुना डालिये ----- यह हक़ आपको लोकतंत्र देता है ----- लेकिन देश के खिलाफ नारा मंज़ूर नहीं हो सकता ---- कभी नहीं --- कतई नहीं ---- देश के खिलाफ नारा लगाने वाली आवाज़ों की जगह जेल ही होनी चाहिए---------