नई दिल्ली
पठानकोट हमले से ठीक पहले आतंकियों द्वारा अगवा किए गए पंजाब पुलिस के एसपी सलविंदर की कहानी का सच क्या है, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) उनके पॉलिग्राफ टेस्ट के जरिए यह जानने की कोशिश कर रही है। कोर्ट की मंजूरी के बाद मंगलवार को सलविंदर को पॉलिग्राफिक टेस्ट किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक सलविंदर का एम्स में ब्रेन मैपिंग टेस्ट भी करवाया जा सकता है।
सलविंदर उस रात 'पेमेंट' लेने गए थे?
जानकारों के मुताबिक, पॉलिग्राफ टेस्ट कराने के फैसले का मतलब ही यह है कि संबद्ध व्यक्ति पर शक ही नहीं, बल्कि अब वह बड़े शक के घेरे में आ चुका है और जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, जांच कर रहे अफसरों को यह जानकारी कई जगह से मिली है कि सलविंदर के तार ड्रग सिंडिकेट से जुड़े हैं। वह पाकिस्तान से आने वाले नशीले पदार्थों की खेप को इस पार लाने, कुछ दिन छिपाने औैर फिर खेप को आगे ले जाने में मदद करता था।
इसके लिए उसे जूलरी के रूप में पेमेंट मिलता था। इसीलिए जूलर राजेश वर्मा के अलावा दो और जूलर भी इस सिंडिकेट में शामिल थे। सलविंदर अपने दो कुक के अलावा दो-तीन लोकल लोगों की मदद भी लेता था। ड्रग के बड़े कारोबारियों के अलावा छोटे पैडलर्स की भी मदद की जाती थी।
इस पूरे सिंडिकेट के कई लोगों के बारे में एनआईए को जानकारी मिली है। जांच अफसरों ने कुछ से पूछताछ भी है। कुछ लोग फरार हैं। अभी तक के सारे संकेत सलविंदर की सांठगाठ की तरफ जाते लग रहे हैं। यह भी पता चला है कि सलविंदर अपने कुक मदन गोपाल औैर जूलर राजेश वर्मा को लेकर 31 दिसंबर की रात बमियाल इलाके की दरगाह पर डील के लिए ही गया था।
वहीं का समय दिया गया था। पिछली खेप का पेमेंट लिया जाना था और ताजा खेप आगे पार लगानी थी। लेकिन जो लोग आए, वे ड्रग माफिया के लोगों की बजाए आतंकी निकले? इस लाइन पर जांच अफसर जांच को बढ़ाने की कोशिश में हैं। अभी तक के संकेत इसी तरफ जाते हैं। लेकिन ठोस सबूत औैर पक्की गवाही की दरकार है।
जांच अफसर सलविंदर की विदेश यात्राओं और वहां हुए लेन देन की छानबीन में भी लगे हैं। इस लिहाज से दूसरी एजेंसियों की मदद भी लेनी पड़ सकती है। सलविंदर ने अभी तक कुछ भी स्वीकार नहीं किया है। वह जांच अफसरों के सवालों के जवाब या तो घुमा देता है या जवाब देता ही नहीं है।
अपनी सिक्यॉरिटी और ड्राइवर की बजाए बॉर्डर एरिया में, घनी रात में कुक और एक जूलर को साथ क्यों ले गए? इसका सही जवाब सलविंदर से नहीं मिला है। जांच अफसरों ने यह भी पूछा है कि एक जूलर एसपी रैक के बड़े अफसर की गाड़ी ड्राइव करने की हिम्मत कैसे कर सकता है? आखिर ऐसी पक्की दोस्ती क्यों औैर किस आधार पर? क्या इसलिए कि ड्रग खेप पार कराने के बदले जूलरी के रूप में मिलने वाले पेमेंट की सही पहचान जूलर दोस्त से करा ली जाए? ऐसे ही कई सवालों पर सलविंदर बौखलाया भी है, लेकिन अभी तक जांच अफसरों की लाइन के हिसाब से कुछ नहीं बोला है।
सूत्रों के मुताबिक, सलविंदर का पॉलीग्राफ टेस्ट होने के बाद आगे की लाइन तय की जा सकती है।