चाहत है तो आइये,
शिकवा है तो जाइये
खबर तो बस चलती रहेगी,
निर्भीक बन सच्चाई लाइये,
चंद रुपयो की खातिर रिश्ते बनते बिगड़ते रहेंगे
पर भी हो सके तो हाथ से हाथ मिलाइये
पत्रकारों को आपस में जगाइये,
चाहत है तो आइये...
5 अप्रैल 2016
चाहत है तो आइये,
शिकवा है तो जाइये
खबर तो बस चलती रहेगी,
निर्भीक बन सच्चाई लाइये,
चंद रुपयो की खातिर रिश्ते बनते बिगड़ते रहेंगे
पर भी हो सके तो हाथ से हाथ मिलाइये
पत्रकारों को आपस में जगाइये,
चाहत है तो आइये...
धन्यवाद चंदेश जी
7 अप्रैल 2016
बहुत खूब आलोक जी !
6 अप्रैल 2016