पत्रकार है देश का चौथा स्तम्ब तो इतना जूल्म क्यो नेता मंत्री और पुलिस से भद्दी_भद्दी गालीयाँ क्यो
सभी पत्रकार भाई एक सबाल मेरे मन में बार_बार उठता है आखिर क्यों ये हमे भी नहीं मालूम पत्रकार कितना भी क्यों न एस्पार्ट हो लेकिन चंन्द नेता मंत्री पुलिस के आगे बेबस नजर आता है मै अनुज यादव पूछ रहा हूँ की पत्रकार होना कोई गुनाह है क्या अगर नहीं तो ये सब क्यों पत्रकार का एक अपना भी परिवार होता है उसके भी अपने बच्चे,पति,पत्नी,माँ,पिता,भाई,बहन होते है तो बो अपने परिवार से अलग क्यों क्योंकि उसका मकसद खबर कबरेज कर जनता को दिखाना है पीड़ित लोगों की खबर अधिकारियों,समाजसेवी,नेताओ तक पहुचाना आपको बताना चाहेता हूँ पत्रकार पुलिस,डॉक्टर,नेता,मंत्री से कितना एस्पार्ट होता है अगर कही कोई घटना होती है तो सबसे पहले आपको बहाँ पर पत्रकार मौजूद मिलेगा पानी बर्ष रहा,शर्द हवाएँ चल रही भीषड़ गर्मी सर्दी कोहरा है अगर घटना हुई तो पत्रकार कबरेज करता मिलेगा लेकिन पुलिस,डॉक्टर,नेता,मंत्री आपको बहा 2,3घंटे बाद मिलेंगे जबकि उनको सरकार की तरफ से सारी सुभिदाये मिल रही फिर भी वो इतनी लेट लेकिन पत्रकार अपना वाहन प्रेट्रोल डीजल पैसा खर्च कर खबर कबरेज करने पहुँच जाता है तो पत्रकार को शुभिदाये क्यों नहीं अगर मंत्री नेता मरता है तो हमरा तिरंगा झुका दिया जाता है उस नेता के लिए जो ऐसी,लक्ज़री कार,फाईब स्टार होटल में रहता हो उस के लिये पत्रकार के लिये नहीं क्योंकि बो हमेशा सड़क पर रहता है न्यूज़ कबरेज के लिये अरे जनता देश भलाई के लिये समाज सेबा करने के लिये अरे बो भी देश का चौथा स्तम्भ है तो उसके लिये क्यों नहीं पुलिस या अन्य कर्मचारी तो छूट्टी पर जाते है लेकिन पत्रकार की छूट्टी कभी होती ही नही पुलिस य कर्मचारी की ड्युटी के समय मौत हो जाये तो उसके परिवार को नौकरी पैसा सब मिलता है लेकिन पत्रकार देश की जनता को जीवन सौप कर जिन्दगी और मौत से लड़ रहा है तो उसके लिये कुछ नहीं
पत्रकार भाईयो अगर कुछ गलत कहा हो लिखा हो माफ़ करना अच्छा लगे तो पत्रकार हित के लिये आगे फॉरवर्ड करे