जैसे जैसे करीब आ रहे
यूपी असेंबली के चुनाव
राजनीतिक गलियारों में
बढ़ गया पुष्पों का भाव
फिर भी मौजूदा माहौल से
पुष्पों के चेहरे दिखे बेहाल
रंज उन्हें कि कोई रखता नहीं
है उनकी मर्यादा का ख्याल
चोर. उचक्के. रहजन सब कर
रहे बेदर्दी से उनका इस्तेमाल
राजनीतिक मंचों पर सब दिखा
रहे दूजों को जलवा. जमाल
भले वही हैं जो दैववश सदा
शाख पर ही जमे रहे ताउम्र
किसी अपात्र के गले पड़़ मन ही
मन उन्हें खुद पर न आई शर्म
पुष्पों की अभिलाषा यही कि
जब कभी टूटे शाखों से संबंध
पूरी दुनिया में बिखेरें वो महज
सज्जनता के मूल्यों की सुगंध