यमुना की पाती नेताओं के नाम
यमुना नदी के दुखों को दिल से
शिद्दत से करते हुए महसूस
नेताओं के नाम यमुना की ओर
से पाती लिख रहा हूं मखसूस
लाचारी को समझकर तुम
सब मना रहे हो क्यों मौज
समय रहते यदि कुछ किया
नहीं हो जाओगे जमींदोज
अब भी वक्त है कुछ करो
तुम मिले प्रदूषण से मुक्ति
वर्ना मानव समाज को ही
आगे झेलनी पड़ेगी दुर्गति
यमुनोत्री से दिल्ली तक की
राह को शीघ्र करो प्रशस्त
आइंदा तुम साफ जल के
लिए भी तरसोगे हर वक्त
केंद्र. राज्यों की सरकारों
का कैसा है कार्य व्यवहार
दूषण के झाग देखकर ही
तुम सब करो खुद विचार
संसद की स्थापना को भला
क्या रहा पुरखों का उद्देश्य
जब विकास में लगी मशीनरी
भूल गई जन कल्याण का ध्येय
दिल्ली में ही जमा रहता देश के
सब माननीयों का बड़ा कुनबा
फिर भी किसी को नजर आता
नहीं मुझमें प्रवाहित होता मलबा