शब्द की देवी माँ सरस्वती
को दोनों हाथ जोड़ प्रणाम
शब्द इन पर शब्द संधान के
सफर का कर रहा अब ऐलान
गौरीपुत्र श्रीगणेश जी अब आगे
रखियो बाधा विघ्न मुक्त मेरा पथ
दोनों हाथ जोड़कर दिल से यही
प्रार्थना आप से हे देवों के अधिपति
जन हित और जन कल्याण ही
सदा रहे मेरे लेखन का ध्येय
सन्मति और सद्मार्ग पकड़ कर
यूं चलूं कि बना रहे सबका नेह