सदा प्रबल ही बनी रहे नेह
की डोर इत ऊत चहुंओर
संबंधों में गर्मी और ऊर्जा
कायम रहे बिना किसी शोर
सदा सर्वदा काम आ सकूं
मैं अपनों के हित में काम
सतत फलता औ फूलता रहे
जनमानस में कुल का नाम
नववर्ष की उज्ज्वल किरणों
से मिले मन को ऊर्जा अनंत
सुकर्मों की सुगंध से महकती
रहे सकल फिजा. दिग दिगंत