खुश कौन नहीं रहना चाहता है, सभी तो यही चाहते हैं। खुश कैसे रहा जाए? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए ही खुश रहने के लिए यहां कुछ बातों की चर्चा करेंगे। यदि आपने इनको अपनाकर व्यवहार में लाएंगे तो निश्चित रूप से आप खुश रहेंगे। ये बातें निम्नलिखित हैं-नई रुचियों का विकास करें लेकिन
जैसा चाहते हैं वैसा कर पाने के लिए जिस शक्ति से प्रेरित होते हैं उसे इच्छा शक्ति कहते हैं। इच्छा शक्ति का विकास करना सरल लगता है पर है नहीं। जीवन में बड़ी उपलब्धियां मात्र तभी मिल पाती हैं जब व्यक्ति अपनी प्राकृतिक मनोकामनाओं पर निज इच्छा शक्ति द्वारा विजय पा लेता है और इन्द्रियों पर संयम रखत
सुख पाने का सरल मार्ग क्या है? यह तो आप भी जानना चाहते होंगे। सुख पाने का मार्ग सरल है-ईश्वरार्पण। यदि आप सभी कार्य ईश्वर को अर्पण करके करें, अपनी सभी गतिविधियां उसकी इच्छा समझकर नीति और धर्म का पालन करते हुए करें, क्या होगा यह ईश्वर जाने, जो होगा वह भले के लिए होगा और जैसा भी ह
आप किसी भी क्षेत्र में फेल हो जाते हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप निराश हो जाएं।इस आंग्ल अक्षर FAIL का अर्थ समझेंगे तो आप कदापि निराश नहीं होंगे।फेल के चार अक्षर की सच्ची अभिव्यक्ति इस प्रकार है-F-FIRSTA-ATTEMPTI- INL-LEARNINGवस्तुतः स्पष्ट है कि फेल से तात्पर्य है कि पहला प्रयास सीखना होता है।यदि आ
क्रोध से अपना अहित होता है। क्रोध का कुटम्ब अवगुण सम्पन्न है। आईए क्रोध के कुटुम्ब का परिचय प्राप्त करें। क्रोध का दादा है-द्वेष! क्रोध का पिता है-भय! क्रोध की माता है-उपेक्षा! क्रोध की एक लाडली बहन है-जिद्द! क्रोध का अग्रज है-अंहकार! क्रोध की पत्नी है-हिंसा! क्रोध की पुत्रियां हैं-निंदा और चुगली!
अनिश्चय से सदैव बचें। अनिश्चय की स्थिति असफलता को निमन्त्रण देती है। अनिर्णय की स्थिति कुछ करने नहीं देती और अवसर यूं ही आंखों के सामने से फुर हो जाता है। होना तो यह चाहिए कि निर्णय लें और काम में लग जाएं। जब तक आप निर्णय नहीं लेंगे तो अनिश्चय की स्थिति में रहेंगे। यह सब जानते हैं कि
आपको निज ज्ञान की नींव को मजबूत बनाना चाहिए। सामान्यतः ज्ञान स्वाध्याय अर्थात् अध्ययन से बढ़ता है। प्रत्येक व्यक्ति को स्कूल व कॉलेज में पढ़ते हुए अपने ज्ञान को पूर्ण समर्पण भावना से अर्जित करना चाहिए। जो ज्ञान बढ़ाने में सक्रिय रहते हैं वे कठोर परिश्रम एवं सतत प्रयास से शेष सबकुछ पा लेते हैं।