उम्र बस एक आंकड़ा होता है, किसी की कमज़ोरी का मुकाम नहीं. लेकिन अकसर ऐसा देखने को मिलता है कि एक उम्र सीमा तय करने के बाद हमारे देश में लोग किसी काम को करने से डरते हैं और खुद को लाचार समझने लगते हैं. वही वक़्त होता है, जब उन्हें सहारे की ज़रुरत महसूस होने लगती है. लेकिन ये उम्र कमज़ोरी, लाचारी और बेबसी की नहीं है, बल्कि कुछ कर दिखाने की भी है. ऐसा ही कुछ साबित किया है कोयंबटूर की V. Nanammal ने. संभवतः इनको देश की सबसे वृद्ध योग इंस्ट्रक्टर माना जा रहा है. Nanammal की उम्र 98 साल है और इस उम्र में भी वो हर रोज़ योग करती हैं. हैरानी की बात ये है Nanammal अभी भी 20 से ज़्यादा आसनों को बहुत ही बेहतरीन तरीके से कर लेती हैं.
योग करने का सिलसिला, जो इन्होने बचपन में शरू किया था, वो अभी तक चला आ रहा है. इनको देश, विदेश के कई फेडरेशन्स से ऑफर मिले थे, पर अंग्रेज़ी ना आने के कारण उन्होंने सारे ऑफ़र्स ठुकरा दिए. उनके उत्तम स्वास्थ्य का राज़ यही है कि आज तक उन्होंने जीवन के किसी भी मोड़ पर योग करना नहीं छोड़ा. Nanammal ने योग अपने पिता से सीखी थी और उनके पति एक सिद्ध चिकित्सक थे. अपने डेली रुटीन के बारे में बात करते हुए Nanammal कहती हैं कि वो रोज़ सुबह जल्दी उठ जाती हैं. उठते ही सबसे पहले वो आधा लीटर पानी पीती हैं. Nanammal हमेशा से अपने दांत नीम के दातुन से ही साफ़ करती हैं. फिर वो अपने छात्रों को योग सिखाने चली जाती हैं. इनके खाने में ऐसी चीज़ें ही बनाई जाती हैं, जिसमें फाइबर और कैल्शियम की मात्रा ज़्यादा होती है. रात का खाना ये 7 बजे तक खा लेती हैं और ज़्यादातर खाने में फल और शहद होते हैं.
योग प्रशिक्षक होने के साथ ही साथ ये प्राकृतिक जीवन की बहुत बड़ी अनुयायी हैं.उनके अनुसार, प्रकृति के नजदीक रहने से हर आदमी स्वस्थ रहता है और उसमें एनर्जी भरी रहती है. इनसे जो भी मिलने आता है, उसको प्राकृतिक औषधियां और उसके फ़ायदे बताना नहीं भूलतीं. फ़िलहाल पूरी दुनिया में लगभग इनके 600 छात्र हैं. पहले वो अपने घर में कुछ लोगों को ही योग सिखाती थीं, पर एक प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद इनको प्रसिद्धि मिली. उसके बाद ये सौ से ज़्यादा प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं. इनके अलावा इनके परिवार के 36 अन्य सदस्य भी योग सिखाने लगे हैं, अब योग इनके परिवार की विरासत बन चुका है.
इसलिए उम्र को बहाना बताकर पीछे हटने वाले लोग मन से हार मान चुके होते हैं. V. Nanammal सहारे की तलाश में फिर रहे बुज़ुर्गों के लिए एक मिसाल हैं.