इस किताब में सारी रचनाये मेरी स्वयं की हस्तलिखित और मौलिक हैं इसमें जिंदगी के सारे अनुभवो को दर्शाने की पूरी कोशिश की हैं, हर शब्दों में अपना दर्द और जिंदगी के नये -नये सोच के आयामो को पेश करने की कोशिश की हैं मैंने अब बाकी तो आप लोग ही पढ़कर सटीक
प्रिय पाठको हमारी पुस्तक 'मन कि मुंडेर पर', एक काव्य संग्रह है। जिसमें मन कि मुंडेर पर समेत अन्य कवितायें भी हैं। मन कि मुंडेर पर काव्य संग्रह में किसी मात्रा या मीटर की कोई पाबन्दी नहीं है। इसमें सिर्फ मेरे अन्तर मन में आईं हुयीं बातों को काव्य का र
मां - बाप तो हमसे बराबर ही प्यार करते है .. बस फर्क इतना सा है . . . . माँ का प्यार हमें दिख जाता है . . पिता के डांट से बचाते वक्त ...
कविताओं के विभिन्न स्वरूपों का संग्रह
आप और हम जीवन के सच में हकीकत और कल्पना को साकारात्मक और सच के साथ किसी नारी को अपनाना भी एक नारी को जीवन देने आई हैं आओ पढ़े
इस संग्रह में पशु पक्षिओ और संवेदनाओ के प्रति कविताये है. साभार
अक्सर ऐसा होता है कि जो हम चाहते हैं वह नहीं होता फिर भी हमें स्वीकार करते हुए संतुष्ट होना रहता है, हालांकि यह मन की चाहत नहीं होती है फिर भी अनेक बंदिशों के कारण स्वीकारना होता है।कभी समाज के लिये तो कभी अपनों के लिये।मन में लिये अपनी खुशी के लिये
"प्रथम प्रयास" असम प्रांत की अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन की बहनों का "प्रथम साझा काव्य संकलन" है। इस संकलन की रचनाओं में सभी बहनों ने अपने हृदय-उद्गार उड़ेल कर रख दिए हैं।नारी सृष्टि का एक अनमोल उपहार है। समाज का एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ है। स
वो बेहद गरीब और अनपढ़ थी , फटे पुराने कपड़े पहनती थी और रूखा सूखा खाती थी । पर अपने ही स्पष्ट विचारों से उसने अपने जीवन को सरस और प्रफुल्लित बना रखा था । और इसी ‘ बकरी बाई ‘ ने मुझे एक लेखिका बना दिया । ‘ चोरी के जेवर ‘ में जेवरों की चोरी ! किसके जे
पाठकों को समर्पित शब्द गुच्छ...
आप और हम जीवन के इस भाग में हम अपनी कहानी जोकि कल्पना के तहत लिखी गई है परंतु हो सकता है कि आप सभी को इस जीवन के सच्चे शब्दों का कुछ अच्छा असर लगे और प्रेरणा मिले कि हम आज देख रहे हैं देश में लव जिहाद बलात्कार और युवा लड़कियों और लड़कों का प्रेम प्
मेरी इस किताब में समाजिक रचनाएं हैं
धरोहर एक किस्सा संग्रह है। पहले गांव में लाइट नहीं होती थी तो ढ़लते सूरज की छांव में ही भोजन कर लिया जाता था और अंधेरा होते होते सब सोने की तैयारी करने लगते थे तब शुरू होता था किस्सों का सिलसिला। उस समय यही मनोरंजन का साधन हुआ करते थे। किस्सों में उन
कंजक्टिवाइटिस (पिंक आईज) आंख की बाहरी झिल्ली और पलक के भीतरी हिस्से में सूजन या संक्रमण. कंजंक्टिवाइटिस या आंख आना, कंजक्टिवा नाम की आंख की परत की जलन या सूजन है, जो आंख की पुतली के सफेद हिस्से को प्रभावित करती है. यह एलर्जी या बैक्टीरिया या वा
पाखी क्या है इसके लिए आपको किताब पढ़नी होगी और ये किताब 1 अप्रैल से पहले पूर्ण रूप से प्रकाशित कर दी जाएगी
विश्व रक्तदाता दिवस १४ जून को हर वर्ष महादान के साथ हम सभी जानते हैं और हम सभी मानवता के साथ हम सभी मिलकर सरकार और संस्थान के साथ हम सभी देशवासियों को अपने सामर्थ्य अनुसार रक्त दान करना चाहिए आओ पढ़े ।
सोने की चिड़िया था कभी , उन्मुक्त हवाओं का था बसेरा , नारी की जहाँ होती थी पूजा , ऐसी पावन भूमि का देश था मेरा ! हम तन से तो आज़ाद हुए है , पर मन और विचारों से अब भी है गुलाम ! जब यहाँ मानवता , भाईचारा और सौहार्द्र होगा , जब नारी का यहाँ सम्मान ह
शब्दों को अर्थपूर्ण ढंग से सहेजना।उनकी बोल को लोगों तक पहुचाना।
मुहर्रम :(अरबी/उर्दू/फ़ारसी : محرم) इस्लामी वर्ष यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना है। इस महीने में मुसलमान खास तौर पर शिया मुस्लिम पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत का गम मनाते हैं. इमाम हुसैन कर्बला के मैदान में अपने साथियों के साथ शहीद हो गए