किताब जीवन का सच ............ शब्दों के सच से कही गयी हैं हम सभी के समाज से जुड़ाव के साथ है । हमारे दिन प्रतिदिन में प्रेरणा या घटना के लिए अवाज बन कर हम देश या समाज के लिए जागरुक करने लचना माध्यम प्रयास है
इस किताब में केवल एक ही रचना है। उम्मीद करता हूँ सबको पसंद आएगी।
दृष्टिहीन जीवन तो बहुत कठिन बहुत असहनीय होता हैं हम सभी एक तिनके को आंख में बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं बस ऐसे ही एक लेख मन के अंतर्मन से आज कुछ लिखें।।
हे भोले नाथ हे शिव हे नीलकंठ तेरी महिमा है अजब निराली ! जाटा से गंगा निकली गले मे सर्पनागधारी , तन बदन भभूती सोभे माला तेरी अजब निराली! तेरी महिमा....... कैलास पर्वत पे इनका है ,डेरा , सर्प फन झुकाबे सुबह और सबेरा सती पार्वती से नेह लगवलन
प्रकृति के तत्वों से बना है शरीर जिसका आधर ही पंच तत्व है देखा जाए तो इन पाँच मुख्य तत्वो के आलावा और भी तत्व है जो इन तत्वों के ही दूसरे रूप है जैसे जल तत्व का दूसरा रूप है बर्फ जैसे आग से बनी है राख या आग की तरह जलता सूरज जैसे आकाश का अंग है ब
राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र) की बेहतरीन ग़ज़लें पढ़िएगा
एक ऐसी लड़की की कहानी जिसने अपने पिता का मान रखने के लिए अपने प्यार को ठुकरा दिया और साध्वी बनकर समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी ।।
ये कहानी है एक जादुई तितली रंगीली और उसके दोस्त टीनू की
बहु और बेटी दोनों में फर्क दिखता हैं.... बेटा और दामाद दोनों में फर्क दिखता हैं....।। आज भी हमारे समाज में ऐसे ना जाने कितने ही परिवार हैं.... जो ऐसी मानसिकता के साथ चल रहे हैं...।।।। इसी पर आधारित हैं मेरी ये छोटी सी कहानी...।।।
मेरी स्वरचित कविताओं का संग्रह
प्रिय पाठको मै दीपक सिंह अपनी इस पुस्तक “ झुक गई नफरत, के माध्यम से क्षेत्रीय धार्मिक सांस्कृतिक स्थानों की प्रसिद्धी एवं समाज में प्रचलित कुरीतियां दहेज प्रथा अमीरी गरीबी, उच नीच की भावनाओं को कम करने का प्रयत्न कर रहा हूँ साथ ही साथ अनेकता में एकता
फिर से मेरे पिछले पोस्ट, जो कि भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन के सम्बन्ध में था, उस पोस्ट के उत्तर में एक विचारधारा के मेरे कुछ मित्रो ने स्वतन्त्रता आन्दोलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान को लेकर सवाल दाग दिया. हमेशा मेरे पोस्ट में दिए हुए आं
इस पुस्तक पूर्ण रुपेण एक पारिवारिक रिश्तों को शर्मशार करने की कहानी है जिसमें एक संयुक्त परिवार के लोगों के बीच कैसे बिखराव होता है और वह परिवार अपनी बर्बादी का आलम अपनी आंखों के सामने देखता है।
समाज का आइना है मानव जीवन और मानव जीवन को सुचारू रूप से चलाने हेतु अनेकानेक संसाधन प्रकृति ने प्रदान किया है। समाज में रहने के लिए शिक्षा, दीक्षा, धर्म, कर्म, संस्कृति, सभ्यता, मानवता, ज्ञान, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से विविधता में
यह पुस्तक कविताओं का संकलन जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाती है। इस पुस्तक में मेरी स्वरचित मौलिक रचनाएं है।