मत दबा समय की चट्टानों के नीचे,
दोनों हाथों तेरी मूरत को खींचे,
चरणों को धोते, आधे से दृग मींचे,
मैं पड़ा रहूँगा तरु-छाया के नीचे,
स्वागत, जग चाहे कितना कीच उलीचे।
मत दबा समय की चट्टानों के नीचे।
18 अप्रैल 2022
मत दबा समय की चट्टानों के नीचे,
दोनों हाथों तेरी मूरत को खींचे,
चरणों को धोते, आधे से दृग मींचे,
मैं पड़ा रहूँगा तरु-छाया के नीचे,
स्वागत, जग चाहे कितना कीच उलीचे।
मत दबा समय की चट्टानों के नीचे।
6 फ़ॉलोअर्स
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 ई. में मध्य – प्रदेश के होशंगावाद जिले में बावाई नामक स्थान पर हुआ था. इनके पिताजी का नाम नंदलाल चतुर्वेदी और माता का नाम सुंदरीबाई था. इनके पिताजी अपने ग्राम सभा में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हुआ करते थे. प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, गुजराती अथवा अंग्रेजी आदि भाषाओं का ज्ञान घर पर ही प्राप्त किया था. माखनलाल जी जब 16 वर्ष के हुए तब ही स्कूल में अध्यापक बन गए थे. उन्होंने 1906 से 1910 तक एक विद्यालय में अध्यापन का कार्य किया. माखनलाल चतुर्वेदी जी एक राष्ट्र प्रेमी कवि हुआ करते थे. ये उन प्रमुख कवियों में से एक थे जिन्होंने अपना परम लक्ष्य राष्ट्र हित को माना है. राष्ट्र को समर्पित करने वाले यह स्वंत्रता संग्रामी कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी का 30 जनवरी सन 1938 ई. को निधन हो गया था. | माखनलाल चतुर्वेदी सरल भाषा के अनूठे हिन्दी रचनाकार थे। उन्हें 'एक भारतीय आत्मा' उपनाम से भी जाना जाता था। राष्ट्रीयता माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य का कलेवर तथा रहस्यात्मक प्रेम उनकी आत्मा रही। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय रूप से भाग लिया। माखनलाल चतुर्वेदी जी को हिंदी साहित्य की रचनाओं का प्रवर्तक माना जाता है। माखनलाल चतुर्वेदी जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया | D