सरकार के तीन अंग कार्यपालिका न्यायपालिका और विधायिका शरीर के उन्हीं अंगों की भांति है जिसके द्वारा शरीर का संचालन सुचारू रूप से होता है उनके बिना शरीर नश्वर भांति बन जाता है जिस प्रकार बीमारी को दू
सरकार और न्यायपालिका ~किसी भी परिवेश ,समाज के संचालन के लिए व्यवस्था एक अनिवार्य तत्व है । व्यवस्था के इस निर्वहन की जिम्मेवारी शाश्वत रूप से राज्य की ही रही है । वर्तमान समय में संवैधानिक व्यवस्था के
आज का दैनिक लेखन का टैग है- सरकार और न्यायपालिका। सभी जानते हैं कि प्रजातंत में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि सरकार बनाकर चलाते हैं। सरकार व्यवस्थापिका या विधायिका और कार्यपालिका द्वारा क़ानून निर्
न्यायपालिका विश्वास खोती जा रही है।फैसलों से जनता असंतुष्ट होती जा रही है।।रूपयों से जज वकील बिक रहे हैं।सच्चाई के बोल थक रहे हैं।।दोषी की सजा माफ हो रही है।अंधा है कानून सत्यता खो रही है।।पीड़ित लोग
सरकार जिसे जनता अपने चुनाव से पांच वर्ष के लिये कुर्सी पर बिठाती है की वो उनके लिये कुछ अच्छा करेगी किंतु देखने वाली बात यह है की जिसे भी कुर्सी पर बैठा दो वो केवल और केवल पांच वर्षों में कितना पैसा क