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सच या मज़ाक

20 नवम्बर 2024

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उस रात अरमान को नींद नहीं आई। फोन को उसने अलमारी में रख दिया, लेकिन ऐसा लगा जैसे उस अलमारी से भी एक ठंडी लहर बाहर आ रही हो।
“क्या करूं इस फोन का? फेंक दूं?” उसने खुद से कहा।
लेकिन फिर दिमाग ने उसे टोका।
“अगर ये सब महज़ गड़बड़ी है तो? और अगर किसी ने जानबूझकर डराने के लिए कुछ किया है, तो उसे पकड़ना होगा।”

अरमान ने फैसला किया कि वह फोन को बंद नहीं करेगा। वह सच्चाई का पता लगाएगा।

अगली सुबह:
तनु फिर से अरमान के फ्लैट पर आई। उसके चेहरे पर गंभीरता थी।
“अरमान, मैंने कल की बातों को लेकर रातभर सोचा। ये फोन सामान्य नहीं है। तू दुकानदार के पास चल, उससे पूछते हैं।”

“हां, लेकिन मुझे डर है कि वह कुछ बताएगा भी या नहीं। ऐसा लगता है जैसे उसने जानबूझकर मुझे यह फोन दिया,” अरमान ने कहा।

जामा मार्केट में:
दोनों फिर से उसी दुकान पर पहुंचे। दुकानदार इस बार अरमान को देखकर मुस्कुराया।
“कैसा चल रहा है फोन?”
अरमान ने सीधे कहा, “यह क्या बकवास फोन है? यह अपने आप अजीब चीजें कर रहा है। और स्क्रीन पर हर बार कुछ डरावना दिखता है।”

दुकानदार ने बिना भाव बदले कहा, “कहा तो था संभाल कर रखना। यह फोन हर किसी के लिए नहीं है।”
“मतलब? तू कहना क्या चाहता है?” तनु ने गुस्से में कहा।

दुकानदार ने धीरे से कहा, “यह फोन सिर्फ उसी को चुनता है जिसे उसकी जरूरत होती है। इसे अब फेंकने की कोशिश मत करना, वरना नुकसान होगा।”

“तू पागल है क्या? ये कोई फिल्म नहीं है!” अरमान चिल्लाया।
लेकिन दुकानदार ने सिर्फ इतना कहा, “शुभकामनाएं।”

तनु और अरमान वहां से निकल आए, लेकिन मन में और सवाल पैदा हो गए।

फोन का डरावना पहलू:
शाम को तनु के कहने पर अरमान ने फोन को ऑन किया।
“अगर कुछ अजीब हुआ तो इसे रिकॉर्ड करेंगे। मैं सबूत चाहती हूं,” तनु ने कहा।

फोन ऑन होते ही स्क्रीन पर एक नई तस्वीर आई। यह तस्वीर अरमान के फ्लैट की थी, लेकिन तस्वीर में एक कोने में एक परछाईं दिख रही थी।
“ये कैसे हो सकता है?” अरमान ने डरते हुए कहा।
“तूने ये तस्वीर कब ली?” तनु ने पूछा।
“मैंने नहीं ली!”

तभी फोन से आवाज आई। यह आवाज अरमान की अपनी थी:
तुम सच से दूर भाग नहीं सकते।”


तनु तो डर के मारे चुप हो गई, लेकिन अरमान अब गुस्से में था।
“यह कोई मेरे साथ मजाक कर रहा है। मैं डरने वाला नहीं हूं। जो भी हो, मुझे इसका सच पता लगाना है,” उसने खुद से कहा।

लेकिन तभी फोन की स्क्रीन पर एक और शब्द उभरा: "चेतावनी।"
अरमान ने फोन फेंक दिया, लेकिन वह बंद नहीं हुआ। फोन से एक सरसराहट की आवाज आ रही थी, जैसे कोई धीमी फुसफुसाहट हो।


तनु ने कहा, “मुझे लगता है, तुझे किसी से मदद लेनी चाहिए। शायद किसी एक्सपर्ट से।”
अरमान ने सिर हिलाया।
“पहले यह पता करना होगा कि ये फोन पहले किसके पास था। मैं इस रहस्य को यहीं खत्म करूंगा।”

तनु ने धीमी आवाज में कहा, “अरमान, कभी-कभी कुछ रहस्य नहीं सुलझाए जाते। शायद यह भी उन्हीं में से एक है।”

फोन की स्क्रीन पर फिर से शब्द उभरे: "तुमने इसे अब अपना लिया है।"

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