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शब्दनगरी

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अनेक लोग अपना कार्य बीच में ही छोड़कर बैठ जाते हैं जबकि उन्हें सफलता मिलने वाली होती है। मन में करो या मरो की भावना जाग्रत रखने की भावना इनमें होती तो वे सफलता के शीर्ष पर होते। जो सफलता मिलने के पूर्व ही कार्य छोड़ देते हैं वे कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। ऐसा उन्हीं के साथ होता है जिनके मन में स्वार्

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1. टांट       क-टलना    ख-टाट    ग-खोपड़ी      2. ठकुरसुहाती क-ठाकुरों का समूह  ख-चापलूसी  ग-रीता    3. ठसक   क-अभिमान  ख-निठल्ला     ग-ठिकाना     4. ठाकना         क-नखरा   ख-अंदाज     ग-मना करना    उत्तर 1. ग   2. ख 3. क 4. ग

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    क्‍या आपको पता है कि सूर्य को जल क्‍यों चढ़ाते हैं? प्राय: उगते सूर्य को अर्ध्‍य देने (जल चढ़ाने) का महत्व है। इसके अनेक लाभ बताए गए हैं। ज्‍योतिष की दृष्टि से सूर्य देव प्रसन्‍न होते हैं।      जब किसी कुंडली में सूर्य की अन्‍य ग्रहों के साथ युति होती है और यदि दोनों ग्रहों के मध्‍य 15 अंश तक का

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चरित्र व्यक्ति की  मौलिक विशेषता व उसके द्वारा ही निर्मित होता है। चरित्र से व्यक्ति के निजी दृष्टिकोण, निश्चय, संकल्प व साहस के साथ-साथ बाह्य प्रभाव भी समिश्रित रहता है। परिस्थितियां सदैव सामान्य स्तर के लोगों पर हावी होती हैं। मौलिक विशेषता वाले लोग नदी के प्रवाह के विपरीत मछली सदृश निज पूंछ के बल

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    खुश कौन नहीं रहना चाहता है, सभी तो यही चाहते हैं।     खुश कैसे रहा जाए?      इस प्रश्‍न का उत्तर देने के लिए ही खुश रहने के लिए यहां कुछ बातों की चर्चा करेंगे।     यदि आपने इनको अपनाकर व्यवहार में लाएंगे तो निश्चित रूप से आप खुश रहेंगे।     ये बातें निम्नलिखित हैं-नई रुचियों का विकास करें लेकिन

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निरंतरता सीखनी चाहिए। जब तक आप कोई संकल्प लेकर उसमें निरंतरता नहीं रखेंगे उसका अच्छा प्रभाव भी नहीं मिलेगा और संकल्प भी अधूरा रह जाएगा। मान लो आपन संकल्प लिया कि कल से मैं प्रतिदिन आधा घंटा व्यायाम करूंगा। आपने अपने संकल्प के अनुसार प्रारम्भ भी कर दिया पर किसी न किसी कारणवश आप नागा करने लगे। ऐसा करन

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    जब किसी स्‍त्री के तीन कन्‍या के उपरान्‍त लड़के या लड़की का जन्‍म हो तो इस त्रिखल दोष कहते हैं    त्रिखल दोष अशुभ होता है।    लड़के का जन्‍म हो तो पिता को भय, रोग एवं धनहानि होती है।    लड़की का जन्‍म हो तो माता को कष्‍ट होता है।    यदि आपके संज्ञान में त्रिखल दोष हो तो निज पुरोहित से इसकी शान्त

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गुरु शब्द में दो व्यंजन (अक्षर) गु और रु के अर्थ इस प्रकार से हैं- गु शब्द का अर्थ है अज्ञान, जो कि अधिकांश मनुष्यों में होता है ।रु शब्द का अर्थ है, जो अज्ञान का नाश करता है ।अतः गुरु वह है जो मानव जाति के आध्यात्मिक अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाते हैं और उसे आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं । गुरु से

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       प्रकृति त्रिगुणमयी है इसलिए हमारा जीवन इनसे प्रभावित होता है। गुण तीन हैं-तमोगुण, रजोगुण व सतोगुण! तमोगुण अर्थात्  सुस्ती, आलस्य। ये कुछ भी मन से नहीं करते हैं, मजबूरी में करते हैं। ऐसे लोग अच्छा जीवन कदापि नहीं जीते हैं। ये कुछ करने से पहले सुविधा का सोचते हैं! ये अपने सुविधा क्षेत्र से बाहर

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     स्वर दो होते हैं-सूर्य स्वर(दायां) और चन्द्र स्वर(बायां)।      सूर्य स्वर दाएं नथुने से और चन्द्र स्वर बाएं नथुने से आता-जाता रहता है।      दोनों स्वर ढाई-ढाई घड़ी में बदलते रहते हैं।     जिस नथुने  से श्‍वास अधिक तेजी से अन्‍दर जाए या निकले वह स्‍वर चल रहा होता है।       आप यात्रा करने जा र

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1. झाबर      क-तालाब   ख-पोखर   ग-दलदल     2. झिल्लड़  क-पापड़ ख-झीना ग-झिल्ली   3. झीमर  क-मल्लाह ख-कीड़ा    ग-झूमना    4. झुटुंग        क-मल्लाह  ख-भ्रम    ग-जटाधारी   उत्तर 1. ग   2. ख 3. क 4. ग

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    जब कोई व्यक्ति मृत्यु शय्या पर पड़ा होता है, किसी असाध्य रोग से पीड़ित होता है, ऊपरी प्रभाव या हवाओं से निरन्तर रोगग्रस्त रहता है या अचानक दुर्घटना के कारण मृत्यु की घड़ियां गिन रहा होता है तो कहते हैं कि महामृत्युंजय मन्त्र का पाठ करा लो। इससे मृत्यु भी टल जाती है।    मन्त्र के लिए कह सकते हैं

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