व्यक्तित्व का निर्माण मूल रूप से विचारों पर निर्भर है। चिन्तन मन के साथ-साथ शरीर को भी प्रभावित करता है। चिन्तन की उत्कृष्टता को व्यवहार में लाने से ही भावात्मक व सामाजिक सामंजस्य बनता है। हमारे मन की बनावट ऐसी है कि वह चिन्तन के लिए आधार खोजता है। चिन्तन का जैसा माध्यम होगा वैसा ही उसका स्तर होगा।न
जैसा चाहते हैं वैसा कर पाने के लिए जिस शक्ति से प्रेरित होते हैं उसे इच्छा शक्ति कहते हैं। इच्छा शक्ति का विकास करना सरल लगता है पर है नहीं। जीवन में बड़ी उपलब्धियां मात्र तभी मिल पाती हैं जब व्यक्ति अपनी प्राकृतिक मनोकामनाओं पर निज इच्छा शक्ति द्वारा विजय पा लेता है और इन्द्रियों पर संयम रखत
1. तिय क-छाया ख-अंधकार ग-स्त्री 2. तिरिया क-पार होना ख-औरत ग-पत्ते 3. तिरोधान क-अंतर्धान ख-आड़ ग-अपमान 4. तीमार क-अंधेरा ख-परछाईं ग-सेवा उत्तर 1. ग 2. ख 3. क 4. ग
यदि आपके विवाह में विलम्ब हो रहा है और बिना बात की बाधांए आ रही है, काम बनते बनते बिगड़ रहा है! प्रयास कर-कर के थक गए हैं तो इस बाधा व विलम्ब को दूर करने के लिए एक अनुभूत प्रयोग बता रहे हैं। इस प्रयोग से विवाह की बाधाएं दूर होती हैं, विवाह होने का मार्ग प्रशस्त होता है और अच्छे व सम्पन्न परिवारों
1. तीय क-गीला ख-तीखा ग-औरत 2. तुंगिमा क-मुख ख-ऊंचाई ग-नाभि 3. तुमुल क-कोलाहल, हलचल ख-हल्का ग-दुर्बल 4. तुर्त-फुर्त क-घुड़सवार ख-घोड़ी ग-झटपट, तुरन्त उत्तर 1. ग 2. ख 3. क 4. ग
वास्तु प्रचलन में है और वास्तु सम्मत घर सुख-समृद्धि कारक है। वास्तु सम्मत घर सभी बनाना चाहते हैं। यदि आप भी अपनाना चाहते हैं पर अपना नहीं पा रहे हैं क्योंकि आपका घर तो पुराना है और बना हुआ है। ऐसे में वास्तु कैसे अपनाएं। आप चाहे तो वास्तु न अपनाएं पर ईशान का प्रबन्धन कर लेंगे तो बहु
1. झुठकाना क-झूठ बोलना ख-गोबरग-भ्रम में डालना 2.झौर क-गन्दगी ख-समूह ग-झटका 3. टल्लेबाजी क-बहानेबाजी ख-कीड़ा ग-झूमना 4. टसुआ क-टेसू के फूल ख-भारी वस्तु ग-आंसू उत्तर 1. ग 2. ख 3. क 4. ग
सुख पाने का सरल मार्ग क्या है? यह तो आप भी जानना चाहते होंगे। सुख पाने का मार्ग सरल है-ईश्वरार्पण। यदि आप सभी कार्य ईश्वर को अर्पण करके करें, अपनी सभी गतिविधियां उसकी इच्छा समझकर नीति और धर्म का पालन करते हुए करें, क्या होगा यह ईश्वर जाने, जो होगा वह भले के लिए होगा और जैसा भी ह
उपयोगी को ग्राह्य कर लेना चाहिए और अनुपयोगी को त्याज्य देना चाहिए। एक बार की बात है कि गांधी जी को किसी युवक द्वारा लिखा एक पत्र मिला जिसमें गांधी जी को बहुत गालियां दी गई थीं। गांधी जी ने शान्त भाव से तीन पन्नों का पत्र पढ़ा था और उसमें लगी आॅलपिन को निकालकर रख लिया और पत्र फाड़कर रद्दी की टोकरी म
आप को बता दें कि सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से ॐ शब्द प्रकट हुआ था वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। तदोपरान्त भूः, भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में ॐ में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड
अंगुलियों में जड़े नाखुन भी कुछ कहते हैं, यह कभी नहीं सोचा होगा आपने। आज नाखुनों की चर्चा करते हैं। मानव की ऊर्जा हमेशा खर्च होती रहती है, ऐसी स्थिति में उसे आहार की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति के भोजन से रस बनता है रस से मांस, मांस से मेदा, मेदा से मज्जा, मज्जा से शुक्र बनत
प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रशंसा चाहता है। सही अर्थों में प्रशंसा एक प्रकार का प्रोत्साहन है! प्रशंसा में सृजन की क्षमा होती है। इसलिए प्रशंसा करने का जब भी अवसर मिले उसे व्यक्त करने से नहीं चूकना चाहिए। प्रशंसा करने से प्रशंसक की प्रतिष्ठा बढ़ती है। सभी में गुण व दोष होते हैं। ऐसा नहीं है कि बुरे से ब
आप किसी भी क्षेत्र में फेल हो जाते हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप निराश हो जाएं।इस आंग्ल अक्षर FAIL का अर्थ समझेंगे तो आप कदापि निराश नहीं होंगे।फेल के चार अक्षर की सच्ची अभिव्यक्ति इस प्रकार है-F-FIRSTA-ATTEMPTI- INL-LEARNINGवस्तुतः स्पष्ट है कि फेल से तात्पर्य है कि पहला प्रयास सीखना होता है।यदि आ