शीर्षक --जय श्री गणेशवक्रांतुड महायाय सूर्यर्कोटि संप्रभह निर्विघ्न कुरु मे देव सर्वकार्युष सर्वदा।।आज की खुशियां,बप्पा के नाम करें।चलो आज अच्छे,काम करें।लेकर बप्पा का नाम,खुशियों की सौगात बाँटे।
सुमिरन करो प्रभु को,लगे नश्वर जग संसार।माया मोह के छूटे बंधन,लगे नश्वर जग संसार।।जिंदगी है दो पल की,सिर्फ नाम प्रभु का लीजै।पार लगेगी नैया तुम्हरी,इक बार सुमिरन कर लीजै।।आया है रे तू मनवा,देखन तू
मेरे प्यारे गणेशा देना साथ हमेशा तेरे रहते ना कोई उदास मन सदा करना सबके वास मुश्किलों में बनकर हौसला गणेशा तुम रहना सदा पास विश्वास मन में जगा देना डगमगाए कदम
हमारी भारतीय संस्कृति अध्यात्मवादी है, तभी तो उसका श्रोत कभी सूख नहीं पाता है। वह निरन्तर अलख जगाकर विपरीत परिस्थितियों को भी आनन्द और उल्लास से जोड़कर मानव-जीवन में नवचेतना का संचार करती रहती है।
ॐ गं गणपतये नमः हिन्दू धर्म में कोई भी मंगल कार्य करते समय सर