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श्री गणेश चतुर्थी

10 सितम्बर 2021

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 ॐ गं गणपतये नमः 

हिन्दू धर्म में कोई भी मंगल कार्य करते समय सर्वप्रथम गणपति का आह्वाहन स्थापन करते हैं | ऐसी मान्यता है कि यदि पूर्ण एकाग्रचित्त से संकल्प युक्त होकर गणपति की पूजा अर्चना की जाए तो उसके बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं | प्रायः सभी Vedic Astrologer बहुत सी समस्याओं के समाधान के लिए पार्वतीसुत श्री गणेश की उपासना का विधान बताते हैं | आज भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी – गणेशोत्सव का दशदिवसीय पर्व आरम्भ हो रहा है जो 19 सितम्बर यानी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी – अनन्त चतुर्दशी - को प्रतिमा विसर्जन के साथ सम्पन्न होगा... सर्वप्रथम सभी को गणेश चतुर्थी की अनेकशः हार्दिक शुभकामनाएँ... 

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर प्रतिमा विसर्जन के विरोध में अनेक लेख पढ़ने को मिल रहे हैं | हमारे कुछ मित्रों ने भी हमसे इस विषय में बात की कि प्रतिमा विसर्जन हिन्दू मान्यता में अशुभ मानी जाती है तो फिर गणपति और माँ भगवती की प्रतिमाओं का विसर्जन क्यों किया जाता है | वास्तव में देखा जाए तो वैदिक मान्यताओं में प्रतिमा विसर्जन का उल्लेख नहीं प्राप्त होता | तो इस विषय में तो तार्किक विद्वज्जन ही कोई उत्तर दे सकते हैं | हमें जितना समझ आया है वो हम यहाँ लिख रहे हैं |  

सर्वप्रथम तो एक पौराणिक कथा का यहाँ उल्लेख करेंगे | पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्री वेद व्यास जी ने गणेश चतुर्थी से गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाना आरम्भ किया था | व्यास जी कथा सुना रहे थे और भगवान गणेश उसे लिपिबद्ध करते जा रहे थे | दस दिनों तक नेत्र बन्द करके वेदव्यास जी कथा सुनाते रहे और गणेश जी लिखते चले गए | लेकिन जब दस दिनों के बाद वेद व्यास जी ने अपने नेत्र खोले तो देखा कि गणपति जी के शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ा हुआ था | ऐसा सम्भवतः थकान के कारण हुआ होगा | उस समय वेदव्यास जी को और तो कुछ समझ आया नहीं, उन्होंने गणेश जी को उठाकर जल में डूबा दिया तब उनके शरीर का ताप कम हुआ | जैसा कि आजकल भी ठण्डे पानी की पट्टी आदि रखने की सलाह ज्वर पीड़ित के लिए दी जाती है | मान्यता है कि तभी से इसी घटना की स्मृति में गणेश चतुर्थी से दश दिनों तक गणपति की पूजा अर्चना करके दसवें दिन गणपति की प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है | भगवान गणेश को जल का अधिपति भी माना जाता है सम्भवतः इसलिए भी प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता होगा |  

शारदीय नवरात्रों के बाद दुर्गा प्रतिमा विसर्जन – जो कि मूल रूप से बंगाल की परम्परा है – उसके पीछे भी कुछ सामाजिक कारण ही दृष्टिगत होते हैं | भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है | तो वर्षा ऋतु के बाद सितम्बर अक्तूबर अर्थात आश्विन माह में जब फसल पककर तैयार हो जाती है तब खेतिहर लोग अपने घरों की साफ़ सफाई करके फसल को अपने गोदामों में
सुरक्षित कर लेते हैं | वर्ष भर के कठोर परिश्रम के बाद अब उन्हें कुछ समय का अवकाश प्राप्त होता है | ऐसे में महिलाएँ प्रायः अपने माता पिता के घर चली जाती हैं और वहाँ से उन्हें उपहार आदि देकर आदर सम्मान के साथ विदा किया जाता है | माना जाता है कि इसी प्रकार माँ भगवती भी अपनी सखियों लक्ष्मी और सरस्वती तथा सन्तानों कार्तिक और गणेश के साथ कुछ समय के लिए अपने मायके अर्थात पृथिवी पर आ जाती हैं और कुछ दिन यहाँ विश्राम करके पुनः अपने पति भगवान शंकर के पास चली जाती हैं | जब वे वापस जाती हैं तब उन्हें भी पृथिवीवासी अनेक प्रकार के उपहारों के साथ विदा करते
हैं | भगवती की प्रतिमा को जल में विसर्जित करने के पीछे यही भाव है कि वे नौका में बैठकर भगवान शंकर के पास वापस जा रही हैं |  

किन्तु यदि इसका आध्यात्मिक पक्ष देखें तो कहीं भी इस प्रक्रिया में कुछ भी नीति विरुद्ध नहीं प्रतीत होता | हिन्दू मान्यता में जल को ब्रह्म माना गया | सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व भी चारों ओर जल ही जल था और सृष्टि के अन्त में भी जल ही रहेगा ऐसी भी
पौराणिक मान्यताएँ हैं | अर्थात आदि, मध्य और अन्त सब जल ही होने के कारण उसे शाश्वत तत्व माना गया है तथा उसी में
त्रिदेवों का वास माना गया है | और इसी कारण से किसी भी पूजा अर्चना के समय पवित्रीकरण में जल का ही प्रयोग किया जाता है | सम्भव है यह भी एक कारण हो कि कुछ स्थानों पर प्रतिमा विसर्जन की प्रथा है क्योंकि प्रतिमा विसर्जित करने से एक ओर तो जल के जीव जन्तुओं को भोजन उपलब्ध हो जाता है वहीं दूसरी ओर जल में त्रिदेवों का वास होने के कारण मूर्ति से प्राण निकलकर सीधे ब्रह्म में लीन हो जाते हैं |  

कुछ लोगों को यह भी द्विविधा है कि यदि गणेश और दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है तो राम कृष्ण की मूर्तियों का विसर्जन क्यों नहीं किया जाता | तो उनके लिए हम बस यही कहना चाहेंगे कि प्रतिमा विसर्जन प्रान्त विशेष की प्रथाएँ हैं – गणपति विसर्जन मूलतः महाराष्ट्र की प्रथा है – जिसका आरम्भ श्री बाल गंगाधर तिलक ने किया था | छत्रपति शिवाजी के
समय यह उत्सव उनके पारिवारिक उत्सव के रूप में मनाया जाता था क्योंकि भगवान गणेश उनके कुलदेवता माने गए हैं | बाद में जब अंग्रेजों ने क्रूरतापूर्ण व्यवहार आरम्भ कर दिया उस समय ब्राह्मण और ब्राह्मणेतर समुदायों को एक साथ लाने के उद्देश्य से श्री बाल गंगाधर तिलक जी ने इसे राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना आरम्भ किया और तभी से इसमें प्रतिमा विसर्जन भी आरम्भ हुआ | दुर्गा विसर्जन बंगाल की प्रथा है | हमें कोई अधिकार नहीं उनकी धार्मिक आस्थाओं पर प्रश्न चिह्न लगाने का – वह भी तब जब ये प्रथाएँ किसी न किसी रूप में तर्क संगत भी हैं | कुछ लोग कुतर्क करते हैं कि यदि ये दोनों प्रथाएँ उचित हैं तो फिर तो भगवान राम और कृष्ण की प्रतिमाओं का विसर्जन भी किया जाना चाहिए | तो यहाँ सबसे महत्त्वपूर्ण तो यही है कि भगवान राम और कृष्ण युगपुरुष माने जाते हैं – भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम और भगवान श्री कृष्ण को युग पुरुष के रूप में सम्मान दिया जाता है और इस प्रकार ये दोनों ही हमारे इतिहास पुरुष हैं | भारत का सबसे प्राचीन उपलब्ध इतिहास राम और कृष्ण का ही है |  

साथ ही एक बात और, किसी भी अनुष्ठान के समय – चाहे माँ भगवती की उपासना का अनुष्ठान अथवा गणेशोत्सव का अनुष्ठान हो या अन्य भी किसी प्रकार अनुष्ठान हो – उसके सम्पन्न होने पर सभी देवी देवताओं को “यानि कानि च पापानि
जन्मान्तरकृतानि च | तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिणा पदे पदे ||” मन्त्र से उनकी प्रदक्षिणा और क्षमा याचना करते हुए “ॐ स्वस्ति न: इन्द्रो वृद्धश्रवा: स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा: | स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमि: स्वस्ति नौ बृहस्पतिर्दधातु ||” मन्त्र से स्वस्ति वाचन करते हुए “यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीयम् | इष्टकामसमृद्ध्यर्थं पुनरागमनाय च ||” मन्त्र के साथ सम्मानपूर्वक विदा किया जाता है पुनः आगमन की प्रार्थना के साथ | ऐसा इसलिए भी किया जाता है कि जिन देवताओं को
हमने ससम्मान आमन्त्रित किया, उनकी स्थापना पूजा अर्चना की, अब वे अपने अपने निवास को प्रस्थान करें और सृष्टि के कल्याणार्थ अपने समस्त कर्मों में जुट जाएँ | यदि हमने उन्हें बाँध कर रखा तो निश्चित रूप से उनके प्रति स्वस्थ आचरण नहीं होगा | साथ ही, ये समस्त कार्य अनुष्ठानों के सम्पन्न होने पर किये जाते हैं | अनुष्ठान या तो किसी कामना की पूर्ति के लिए किये जाते हैं अथवा किसी विशेष पर्व के अन्तर्गत | अनुष्ठान में भगवान श्री गणेश और माँ भगवती को एक विशिष्ट अतिथि के रूप में आमन्त्रित किया जाता है | जब भी किसी अतिथि को अपने निवास पर आमन्त्रित करते हैं तो उसे कुछ उपहार आदि भेंट करके विदा करने की प्रथा सर्व विदित है | अतः इन देवताओं को भी इसी प्रकार विदा किया जाता है | विदा करने अर्थ यह नहीं हो गया कि ईश्वर हमारे साथ रहेंगे ही नहीं | बल्कि पूरे वर्ष भर के लिए आशीर्वाद देकर गए हैं इसलिए अब अगले वर्ष उन्हें कष्ट देंगे कि वे जन साधारण के कल्याण के लिए पुनः पृथिवी पर आएँ | भावनात्मक स्तर पर सभी देवी देवता जन साधारण के साथ ही रहते हैं | पञ्चतत्वों में जल क्योंकि अत्यन्त पवित्र मानकर उसे पवित्रीकरण के संकल्प के रूप में प्रयोग
करते हैं अतः उसी पवित्र जल के मार्ग से भगवान श्री गणेश और माँ भगवती को भी विदा करने की प्रथा यदि कुछ प्रान्तों में है तो उस पर विवाद किसलिए ?  

भगवान श्री राम और श्री कृष्ण को पुरुषों में सर्वाधिक श्रेष्ठ पुरुष स्वीकार किया गया है जिनका अवतरण ही मानव रूप में अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था | जिन्हें धर्म की रक्षार्थ अनेक प्रकार के मानवीय कर्म करने की आवश्यकता पड़ी और अनेक प्रकार की भावनाओं की आवश्यकता पड़ी | यही कारण था कि रावण वध के पूर्व शक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान श्री राम ने स्वयं भगवती की उपासना की थी | कहने का अभिप्राय यही है कि भगवान विष्णु के अवतारों के इतर जितने भी देवी देवता हैं वे पञ्च तत्वों से निर्मित स्थूल शरीर के रूप में पृथिवी पर अवतरित नहीं हुए | अतः किसी भी तर्क वितर्क की आवाश्यकता ही नहीं है |  

अस्तु, किसी भी वाद विवाद में न पड़ते हुए, आज से विघ्नविनाशक भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना आरम्भ की गई है, इसी निमित्त प्रस्तुत है “श्री गणपति द्वादशनामस्तोत्रम्”... 

यहाँ हम इस स्तोत्र के दो रूप प्रस्तुत कर रहे हैं | दोनों का ही भाव यही है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धाभक्ति पूर्वक इनका ध्यान करता है वह चारों पुरुषार्थों का पालन करते हुए समस्त पापों से मुक्त होकर सुख प्राप्त करता है... साधक अपनी सुविधानुसार किसी भी स्तोत्र का पठन अथवा श्रवण कर सकता है... 

|| अथ श्री गणपति द्वादश नाम स्तोत्रम् || 

सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः | 

लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः || 

धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः | 

द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि || 

विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा | 

संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते || 

सुन्दर मुख वाले, एकदन्त, कपिल, गजकर्णक, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र और गजानन – गणपति के इन बारह नामों का विद्यारम्भकाल में, विवाह के समय, प्रवेश के समय, प्रस्थान के समय, संग्राम के समय अथवा संकट के समय जो व्यक्ति पठन अथवा श्रवण करता है उसके समक्ष कभी किसी प्रकार का विघ्न नहीं उपस्थित
होता | 

|| अथ श्री गणेशस्तोत्रम् || 

नारद उवाच 

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् | 

भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थसिद्धये || 

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं दि्वतीयकम् | 

तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् || 

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च | 

सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम् || 

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् | 

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् || 

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः | 

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो || 

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् | 

पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् || 

जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत् | 

संवत्सरेण च संसिद्धिं लभते नात्र संशयः || 

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् | 

तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः || 

|| इतिश्रीनारदपुराणे संकटनाशननाम गणेशद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् || 

वक्रतुण्ड, एकदन्त, कृष्णपिंगाक्ष, गजवक्त्रं, लम्बोदर, विकट, विघ्नराज, धूम्रवर्ण, भालचन्द्र, विनायक, गणपति और गजानन – भगवान् गणेश के इन बाराह नामों का जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक पठन और श्रवण करता है उसकी समस्त कामनाएँ पूर्ण होती हैं | इस प्रकार प्रायः इन दो प्रकार से गणपति के द्वादश नामों का पाठ किया जाता है | शिव-पार्वती सुत गणेश सभी का मंगल करें, यही कामना है...  

Shailesh singh

Shailesh singh

बहुत ही उपयोगी जानकारी गणेश चतुर्थी को आपको और आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏 गणपति बप्पा मोरया

10 सितम्बर 2021

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May 10, 2017 – katyayani.purnimakatyayan

10 मई 2017
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“आज हम जो कुछ भी हैं वो हमारी आज तक की सोच का परिणाम है | इसलिए अपनी सोच ऐसी बनानी चाहिए ताकि क्रोध न आए | क्योंकि हमें अपने क्रोध के लिए दण्ड नहीं मिलता, अपितु क्रोध के कारण दण्ड मिलता है | क्योंकि क्रोध तो एक ऐसा जलता हुआ कोयला है जो दूसरों पर फेंकेंगे तो पहले हमारा हाथ

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शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

17 अगस्त 2017
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सरल और सुखी जीवन के लिए आवश्यक है हम अकारण ही प्रसन्न रहना सीख जाएँ, सदा व्यस्त रहने का प्रयास करें, भयहीन रहें, स्वयं पर और स्वयं की योग्यताओं पर विश्वास रखते हुए बड़े स्वप्न देखें और अपनी कल्पनाओं को – अपने स्वप्नों को – सत्य करने के लिए प्रयासरत रहें, अपनी भावनाओं को खु

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शुभ प्रभात – purnimakatyayan

24 दिसम्बर 2016
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आज शनिवार है, दो दिन मस्ती भरे – छुट्टी की मस्ती – ठण्ड की मस्ती – कोहरे से आँखमिचौली करते सूरज की मस्ती – और इस सबके साथ गरम चाय की चुस्कियों संग गरमागरम पकौड़ियों की मस्ती… तो कईं न माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी – जिनका कल सारा देश जन्मदिन मना रहा है – की पंक्तियाँ हम भी

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शुभ प्रभात – षष्ठं कात्यायनी – katyayani.purnimakatyayan

2 अप्रैल 2017
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विद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेषु वाद्येषु वाक्येषु च का त्वदन्या |ममत्वगर्तेSतिमहान्धकारे, विभ्रामत्येतदतीव विश्वम् ||षष्ठं कात्यायनी – देवी का छठा रूप कात्यायनी देवी का माना जाता है | इस रूप में भी इनके चार हाथ माने जाते हैं और माना जाता है कि इस रूप में भी ये शेर पर सवार

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एक अद्भुत अनुभूति – शून्य – purnimakatyayan

30 जनवरी 2017
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शून्य क्या है / एक अद्भुत अनुभूतिमुक्ति पानी है आवेगों से अपनेतो शून्य करना होगा सभी आवेगों कोपान करना है यदि अमृत कातो शून्य करना होगा कषाय जल से पूर्ण अपने हृदय रूपी घट कोपाना है प्रकाश / तो शून्य करना होगा अन्धकार कोबढ़ना है आगे / तो निरन्तर रहना होगा गतिमानऔर शून्य करन

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शुभ प्रभात

23 नवम्बर 2016
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आज का दिन मंगलमय हो

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बहारें – katyayani.purnimakatyayan

28 जून 2017
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दो तीन दिनों से भारी उमस और बीच बीच में घिर आई घटाओं को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे तेज़ बारिश होगी | पर लगान वाला क़िस्सा हो रहा था… मेघराज झलक दिखलाकर अपनी प्यारी सखी मस्त हवा के पंखों पर सवार हो न जाने कहाँ उड़ जाते थे… पर आख़िरकार आज सुबह कुछ अमृत की बूँदें अपने अमृतघट से छल

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बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ

13 अगस्त 2016
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आने वाली 16 अगस्त को हमारी संस्था WOW India और दिल्ली गायनाकोलोजिस्ट फोरम स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य में कुछ कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रही हैं | महिलाओं में रक्ताल्पता की जाँच कराके उसके निवारण का उपाय करना, सर्विकल केंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना, महिलाएँ अपना वार्षिक चेकअप कराएँ इस विषय में उन्

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ॐ भूर्भुवः स्वः…मकर संक्रान्ति के प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ… – purnimakatyayan

14 जनवरी 2017
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आज मकर संक्रान्ति का पावन पर्व है | मकर संक्रान्ति – जिसे “उत्तरायणी” भी कहा जाता है | इसका कारण है कि वर्ष को दो भागों में बाँटा गया है | प्रथम भाग “उत्तरायण” कहलाता है और द्वितीय भाग “दक्षिणायन” | पौष मास में मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारम्भ हो जा

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August 31, 2016 – purnimakatyayan

31 अगस्त 2016
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आज सुबह से अच्छी खासी बारिश हो रही है – मुरझाई प्रकृति में मानों नए प्राण मिल गए हों – बादलों का गम्भीर गर्जन मानों मृदंग की थाप… कोयल की पंचम के संग सुर मिलाते पपीहे की पियू पियू… पवन देव से मिल कर मतवाली हो चुकी बूँदों का मधुरिम गान… और इस सबको देख कर मस्त हुई दामिनी का

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शुभ प्रभात

23 मार्च 2017
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आपका दिन मंगलमय हो...

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न जाने क्यों – purnimakatyayan

17 फरवरी 2017
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न जाने क्यों / आज फिर से तुम्हारी याद ने किया बेचैन मुझेचाहती हूँ कुछ सुनना / कुछ सुनानापर कैसे / प्रश्न है यही सबसे कठिनक्योंकि जा बैठी हो तुम दूर कहीं / बहुत दूरहालाँकि जानती हूँ मैं, नहीं हो दूर तुम मुझसेमैं जहाँ भी रहूँ / जैसे भी रहूँतुम जहाँ भी हो / जिस हाल में भी हो

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ज़रा सोचिये… – purnimakatyayan

1 नवम्बर 2016
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पहले बेटी की शादी, फिर उसकी पहली करवाचौथ और उसके बाद पहली दिवाली – सबसे फ्री होते होते आज भाई दूज का दिन आ गया | सभी “बहनों-भाइयों” को भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ |इस दीपावली पर हम कसौली चले गए थे | वैसे हर दीपावली से दो दिन पहले दिल्ली से बाहर जाना ही अच्छा समझते हैं |

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April 24, 2017 – katyayani.purnimakatyayan

24 अप्रैल 2017
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ढूँढती फिरी / कहीं तो दीख पड़े एक किरण प्रकाश कीनहीं दिखाई दी कहीं भी / तो कहा किसी ने / बाहर नहीं है कुछ भीक्य प्राप्त करोगी बाहर की रिक्तता से ?सब कुछ तो है तुम्हारे भीतर / एक अलग संसार |मैंने बन्द किये अपने नेत्र, झाँकने को अपने भीतरवहाँ था केवल अन्धकार, भय, चिन्ता |तब

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नन्ही सी चिड़िया - गोरैया

6 अगस्त 2016
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वैद्य को ही मूर्ख मान लेने वाले व्यक्ति इलाज़ सम्भव नहीं – katyayani.purnimakatyayan

6 जून 2017
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ज्ञान सत्वगुण सम्पन्न पुरुष को ही हो सकता है | शेष दो पुरुष साधारण श्रेणी में आते हैं | तामसी गुणों की वृद्धि होने पर पतन निश्चित है, किन्तु राजसी गुणों की वृद्धि होने पर कर्मफल की प्राप्ति मनुष्य का लक्ष्य होता है | किन्तु इस स्थिति में मूढ़ता नहीं आती, हाँ कभी विक्षिप्त

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शुभ प्रभात

7 दिसम्बर 2016
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सभी का आज का दिन रिश्तों की मिठास लिए हो...

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शुभ प्रभात - शुभ मैत्री दिवस

6 अगस्त 2017
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"फ्रेण्डशिप"डे की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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शुभ प्रभात

15 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात – शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ – katyayani.purnimakatyayan

5 सितम्बर 2017
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भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के जन्म दिवस “शिक्षक दिवस”की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ |हम कोई भी कार्य करते हैं तो हमसे यही कहा जाता है कि परिश्रम करोगे तो फल अच्छा मिलेगा और कार्य में सफलता भी प्राप्त होगी | सही बात है | बिना परिश्रम के कुछ भी प्राप्

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रक्षा बन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ

18 अगस्त 2016
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शुभ प्रभात

25 जनवरी 2017
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कल गणतन्त्र दिवस की प्रेममयी हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सभी को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात

22 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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जीवन – एक चक्र – purnimakatyayan

6 फरवरी 2017
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शून्य का एक बड़ा सा घेरा है ये जीवन / एक चक्रजो घूमता रहता है निरन्तर / अथकऔर उस चक्र को भी चारों ओर से घेरे रहती हैंनित नवीन घटनाएँ / पल पल घटतीकभी इसके पंखों को मिल जाता है इतना बलकि माप आते हैं आकाश की भी ऊंचाइयाँतो कभी लौट आना होता है वापस इसी धरा परकिसी इस या उस कारण

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श्रद्धापूर्वक नवरात्र – purnimakatyayan

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मित्रों कल अमावस्या थी – पितृविसर्जनी अमावस्या – समस्त हिन्दू धर्मावलम्बियों ने पितृपक्ष का समापन किया और आज यानी अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को घटस्थापना के साथ नवरात्रों का आरम्भ हो गया है | कैसा सुखद संयोग है कि पितृपक्ष के समापन के साथ ही आरम्भ हो जाती है नवरात्रों की चहल प

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सबही को एकरंग करो तो – purnimakatyayan

12 मार्च 2017
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जिससे यह तन मन रंग जाए ऐसा कोई रंग भरो तो |प्रेमगीत की पिचकारी से सबही को एकरंग करो तो ||यह दीवार घृणा की ऊँची आसमान तक खड़ी हुई हैभू पर ही जन जन में भू नभ जैसी दूरी पड़ी हुई है |आँगन समतल करो, ढहाने का इसके कुछ ढंग करो तोप्रेमगीत की पिचकारी से सबही को एकरंग करो तो ||दुर्भा

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February 23, 2017 – purnimakatyayan

23 फरवरी 2017
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ना हमारे बीच है कोई ऐसा खेलजिसमें हो हार या जीतफिर क्यों रूठी रहती है प्रीतआओ मिलकर इसे मनाएँ / ताकि बच जाए टूटने से / प्रेम के मधु का प्याला ।ना मुझमें है कोई खोट / ना ही हूँ मैं खान समस्त गुणों कीना तुममें है कोई खोट / ना तुम ही हो खान समस्त गुणों कीहम दोनों ही हैं एक

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नवमं सिद्धिदात्री – purnimakatyayan

10 अक्टूबर 2016
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या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः ।श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् ।।देवी का अन्तिम और नवं रूप है सिद्धिदात्री का | जैसा कि नाम से ही ध्वनित होता है – सिद्धि अर्थात् मोक्षप्रदायिनी देवी –

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शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

28 मार्च 2017
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प्रथमं शैलपुत्रीति द्वितीयं ब्रह्मचारिणी, तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् |पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनी तथा सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ||नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता:, उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ||आज चैत्र शुक्ल प्रतिप

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शुभ प्रभात

3 अगस्त 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात

12 अप्रैल 2017
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शुभ प्रभात

10 नवम्बर 2016
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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जीवन की धुरी – katyayani.purnimakatyayan

2 मई 2017
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भान है मुझे / मैं ही हूँ जीवन की धुरीमेरे चलने से ही तो भरती है / जीवन में लय और गति |रुक जाऊँ तनिक थककर / ठिठक जाऊँतो रुक जाती हैं गतिविधियाँ जीवन की सारी |भान है मुझे अपनी शक्ति का / मैं हूँ हिमगिरि की भांति दृढ़बड़े से बड़े तूफानों में भी खड़ी रहती हूँ अविचल |रहती हूँ सावध

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शुभ प्रभात

28 जून 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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हृदय पटल पर नाम तुम्हारा – katyayani.purnimakatyayan

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(एक रचना “चेहरों की क़िताब” के स्मृति पटल से)(A poem from the memory of fecebook)श्वास श्वास में गीत तुम्हारा, हर धड़कन में नाम तुम्हारामलय पवन की हरेक छुअन में मिलता है स्पर्श तुम्हारा ||तुमसे ही जीवन में गति है, मन में तुमसे ही लय भरतीभावों के ज्योतित दीपक में एक भरा बस न

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शुभ प्रभात

30 नवम्बर 2016
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आज का दिन मंगलमय हो

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मैं औरत ही रहना चाहूँ – katyayani.purnimakatyayan

19 जून 2017
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स्मृतियों के झरोखे से… २६ फरवरी २०१४ को ब्लॉग पर प्रकाशित मेरी एक रचना…मैं नहीं कोई प्रस्तर प्रतिमा, देवी सम जो पूजी जाऊँ |मैं जीव शक्ति से पूर्ण सदा एक औरत ही रहना चाहूँ ||है नहीं कामना स्वर्गलोक की, भू पर ही है घर मेरा |मुझको न बनाओ परलौकिक, है इसी लोक आँगन मेरा ||हों प

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Aaj rang hai - YouTube

11 अगस्त 2016
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Aaj rang hai - YouTubePublished on Aug 10, 2016Swasti Shree Sharma - (Live Performance) - Sufiyaana Qalaam Aaj rang hai - YouTube

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July 25, 2017 – katyayani.purnimakatyayan

25 जुलाई 2017
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ये बरखा का मौसम सजीला रसीला, घटाओं में मस्ती हवाओं में थिरकन |वो बलखाती बूँदों का फूलों से मिलना, वो शाख़ों का लहराके हर पल मचलना ||नशे में है डूबी, क़दम लड़खड़ाती, वो मेघों की टोली चली आ रही है |कि बिजली के हाथों से ताधिन ताधिन्ता, वो मादल बजाती बढ़ी आ रही है ||पपीहा सदा ही प

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शुभ प्रभात

17 दिसम्बर 2016
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

10 अगस्त 2017
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जीवन है तो समस्याएँ भी होंगी | ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे कभी न कभी किसी न किसी समस्या का सामना न करना पडा हो | अब हमारे पास दो ही रास्ते होते हैं – या तो उन समस्याओं से हार मानकर शान्त होकर बैठ रहें और जो होता है हो जाने दें | या फिर साहस और बुद्धि के साथ उन समस्याओं का स

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स्वस्ति श्री शर्मा का "अन्दाज़-ए-बयाँ"

18 जून 2016
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शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

23 अगस्त 2017
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मनुष्य के विचार, भावनाएँ और सम्वेदनाएँ परस्पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं | मनुष्य जैसा सोचता है, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु अथवा किसी भी विषय में या स्वयं अपने ही विषय में जैसा विचार रखता है, वैसी ही उसकी सोच – उसकी कल्पना – बन जाती है, और उसी कल्पना के अनुरूप उसकी भावनाएँ बन

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शुभ प्रभात – purnimakatyayan

4 जनवरी 2017
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मंज़िल का भान हो न हो / पथ का भी ज्ञान हो न होआत्मा – हमारी अपनी चेतना / नित नवीन पंख लगाएसदा उड़ती ही जाती है / सतत / निरन्तर / अविरत…क्योंकि मैं “वही” हूँ / मेरे अतिरिक्त और कुछ भी नहीं“अहम् ब्रह्मास्मि” या कह लीजिये “सोSहमस्मि”तभी तो, कभी इस तन, कभी उस तनकभी तेरे तन तो क

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सहचर – purnimakatyayan

10 जनवरी 2017
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प्रेम – जो नहीं विकसित होगा अनायास ही |रोपित करना होगा बीज परस्पर विश्वास कादेनी होगी खाद निस्वार्थ स्नेह कीसींचना होगा उसे समर्पण के जल से |हो सकता है भाग्य साथ दे न देहो सकता है समय अनुकूल हो न होहो सकता है झकझोर दें इस पौधे कोअनिश्चितता और दुर्भावनाओं के भीषण झँझावातहृ

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शुभ प्रभात

18 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात

18 जनवरी 2017
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सभी का आज का दिन शान्तिपूर्ण व्यतीत हो

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ईश्वर

24 अगस्त 2016
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सुना था मैंने, ईश्वर है हर जगह |सोचा मैंने “क्यों नहीं सुन पाती उसका मधुर गान ?”उत्तर मिला अपने भीतर से ही“क्योंकि हमेशा करती हूँ प्रयाससुनने का उस मधुर गान को |”और प्रयास ले जाते हैं दूर लक्ष्य से |अपने इस प्रयास मेंसुनती हूँ मैं ध्वनियाँध्वनियाँ, परिचित और अपरिचितध्वनिय

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अनन्त की यात्रा – purnimakatyayan

26 जनवरी 2017
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प्रकृति बदलती है नित नवीन रूप / नित नवीन परिधानगर्मी, बरखा, सर्दी, पतझड़, मनभावन वसन्तमौसमों की – ऋतुओं की सन्धियाँचक्र की भाँति घूमते मौसम, वर्ष, युग, कालजिन्हें देख हो जाती हूँ मन्त्रमुग्धऔर देती हूँ धन्यवाद उस महाशक्ति कोजो न जाने कहाँ बैठी नचाती रहती समस्त जड़ चेतन कोऔर

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शुभ प्रभात

21 जून 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात

1 फरवरी 2017
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वसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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September 10, 2016 – purnimakatyayan

10 सितम्बर 2016
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प्रिय मित्रों, ६ सितम्बर से दिगम्बर जैन मतावलम्बियों के साम्वत्सरिक पर्व अर्थात पर्यूषण पर्व का आरम्भ हो चुका है जो दस दिनों तक चलेगा | इससे पूर्व २९ अगस्त से ५ सितम्बर तक आठ दिनों तक श्वेताम्बर मतावलम्बियों का पर्यूषण चल रहा था | मैं स्वयं पिछले दिनों कुछ पारिवारिक मंगल

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मैं ही हूँ वह – purnimakatyayan

11 फरवरी 2017
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ना मोक्ष की है चाह मुझे / ना आत्ममिलन की आस मुझेमोक्ष किससे ? अपने जीवन से ? जग की चिन्ताओं से ?क्या खोजना होगा मोक्ष को बाहर कहीं ?भटकना होगा कभी इस तीर्थ तो कभी उस तीर्थ ?गुज़रना होगा अनेक प्रकार की रीतियों से / ढकोसलों से ?क्या है ये आत्ममिलन / जब मैं ही हूँ वह / मुझमें

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शुभ प्रभात

25 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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बिना रुके / बिना थके – purnimakatyayan

21 फरवरी 2017
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जीवन क्या है ? एक ऐसी पगडण्डीपग पग पर जहाँ हैं तीखे और तेज़ मोड़जहाँ घटानी पड़ती है गति बार बारआगे क्या होगा / इसका कुछ भान नहींसामने से क्या आएगा / इसका भी कोई ज्ञान नहींबस चलते जाना है / बिना रुके / बिना थके |हर पल चुनौतियाँ / नवीन / कठिनऊँचे नीचे पथरीले उलझन भरे मार्गकहीं

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तृतीयं चन्द्रघन्टा – purnimakatyayan

4 अक्टूबर 2016
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तृतीयं चन्द्रघन्टा – आज तृतीया तिथि है – तीसरा नवरात्र | इस दिन चन्द्रघन्टा देवी की अर्चना की जाती है | चन्द्रः घंटायां यस्याः सा चन्द्रघन्टा – आल्हादकारी चन्द्रमा जिनकी घन्टा में स्थित हो वह देवी चन्द्रघन्टा के नाम से जानी जाती है | इस रूप में देवी के दस हाथ दिखाए गए हैं

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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ – purnimakatyayan

8 मार्च 2017
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँसारी की सारी प्रकृति ही नारीरूपा है – अपने भीतर अनेकों रहस्य समेटे – शक्ति के अनेकों स्रोत समेटे – जिनसे मानवमात्र प्रेरणा प्राप्त करता है… और जब सारी प्रकृति ही शक्तिरूपा है तो भला नारी किस प्रकार दुर्बल या अ

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ॐ नमः शिवाय

24 फरवरी 2017
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भगवान शिव सभी की मनोकामनाएँ पूर्ण करें... महाशिवरात्रि की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...

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सप्तमं कालरात्रीति – purnimakatyayan

8 अक्टूबर 2016
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त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमूर्धनि तेSपि हत्वा ।नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्तमस्माकमुन्मदसुरारि भवन्न्मस्ते ।।देवी का सातवाँ रूप कालरात्रि का रूप माना जाता है | सबका अन्त करने वाले काल की भी रात्रि अर्थात् विनाशिका होने के कारण इनका नाम कालरात्रि है | इस रूप म

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रंग बिरंगी होली है

13 मार्च 2017
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सभी मित्रों को होली की रंग भरी - अनुराग भरी - मस्ती भरी हार्दिक शुभकामनाएँ

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शुभ प्रभात

1 अगस्त 2016
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आप सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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चिकित्सा का अधिकारी विक्षिप्त है मूढ़ नहींमैं महिलाओं की एक संस्था से महासचि...

25 मार्च 2017
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चिकित्सा का अधिकारी विक्षिप्त है मूढ़ नहींमैं महिलाओं की एक संस्था से महासचिव के रूप में जुड़ी हुई हूँ काफ़ी समय से, जो महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का प्रयास कर रही है | इसके लिये हम जगह जगह हैल्थ चैकअप कैम्प्स लगाते हैं | मैं देखती हूँ कि कई महिलाओं को जब

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आँख का तारा – purnimakatyayan

20 अक्टूबर 2016
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बिटिया के विवाह के लिए सभी मित्रों ने शुभकामनाएँ प्रेषित कीं, सभी की ह्रदय से आभारी हूँ | बेटियाँ जितना सुख, जितना स्नेह, जितना सम्मान माता पिता को देती हैं उसके सामने संसार की सारी खुशियाँ, सारे सम्मान वास्तव में फीके पड़ जाते हैं | वही लाडली जब अपने मनमीत से मिलती है तो

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शुभ प्रभात – कूष्मांडेति चतुर्थकम् – katyayani.purnimakatyayan

31 मार्च 2017
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या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः |कूष्माण्डेति चतुर्थकम् – नवरात्रों के चतुर्थ दिन अर्थात चतुर्थी तिथि को कूष्मांडा देवी की पूजा अर्चना की जाती है | यह सृष्टि की आदिस्वरूपा आदिशक्ति है | इसका निवास सूर्यमंडल के भीतरी भाग में

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शुभ प्रभात

25 जून 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात – महागौरीति चाष्टमम् – katyayani.purnimakatyayan

4 अप्रैल 2017
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या श्री: स्वयं सुकृतीनाम् भवनेषु अलक्ष्मी:, पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि: |श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् ||महागौरीति चाष्टमम् – देवी का आठवाँ रूप है महागौरी का | माना जाता है कि महान तपस्या करके इन्होने अत्यन्त गौरवर्ण प्र

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शुभ प्रभात

8 नवम्बर 2016
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

18 अप्रैल 2017
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आज का दिन प्रेममय व्यतीत हो

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आओ मिलकर झूला झूलें

5 अगस्त 2016
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शुभ प्रभात

30 अप्रैल 2017
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सभी का आज का दिन प्रेमपूर्ण व्यतीत हो

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शुभ प्रभात

11 नवम्बर 2016
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

5 मई 2017
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

17 जून 2016
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कहाँ भला ये क्षमता मुझमें – katyayani.purnimakatyayan

14 मई 2017
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माँ में चन्दा की शीतलता, तो सूरज का तेज भी उसमें ।हिमगिरि जैसी ऊँची है, तो सागर की गहराई उसमें ।।शक्ति का भण्डार भरा है, वत्सलता की कोमलता भी ।भला बुरा सब गर्भ समाती, भेद भाव का बोध न उसमें ।।बरखा की रिमझिम रिमझिम बून्दों का है वह गान सुनाती ।नेह अमित है सदा लुटाती, मोती

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शुभ प्रभात – purnimakatyayan

25 नवम्बर 2016
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हम सभी आजकल नोट बन्दी पर चल रही पॉलिटिक्स में वैचारिक स्तर पर इतना उलझे हुए हैं कि दोस्तों को सुबह की राम-राम कहना भी भूल जाते हैं । मैं खुद भी इस बीमारी से अछूती नहीं हूँ और जाने अनजाने इसी जाल में फँसी हुई हूँ । सुबह जब मोबाइल चैक करते हैं तो व्हाट्सअप पर सिर्फ़ और सिर्फ़

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शुभ प्रभात

1 जून 2017
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आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

8 अगस्त 2016
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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अध्यात्म गुरु और मनोचिकित्सक – katyayani.purnimakatyayan

15 जून 2017
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अक्सर लोग ध्यान और वैराग्य के अभ्यास द्वारा मन का निग्रह करके ईश्वर प्राप्ति की बात करते हैं | यह प्रक्रिया अध्यात्म की प्रक्रिया है | इस प्रक्रिया के लिए गुरु के बताए मार्ग का अनुसरण करना होता है | मन को ध्यानावस्थित करना वास्तव में एक कठिन प्रक्रिया है – क्योंकि मन गतिम

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शुभ प्रभात

3 दिसम्बर 2016
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आज का दिन खुशियों से भरा हो

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रात भर छाए रहे हैं – katyayani.purnimakatyayan

20 जून 2017
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रात भर छाए रहे हैं, मेघ बौराए रहे हैंदेख बिजली का तड़पना, मेघ इतराए रहे हैं |बाँध कर बूँदों की पायल, है धरा भी तो मचलतीरस कलश को कर समर्पित, माघ हर्षाए रहे हैं ||पहन कर परिधान सतरंगी, धरा भी है ठुमकतीरास धरती का निरख कर, माघ ललचाए रहे हैं |तन मुदित, हर मन मुदित, और मस्त सा

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शुभ प्रभात

12 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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बेहद याद आते हो तुम – katyayani.purnimakatyayan

4 जुलाई 2017
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बेहद याद आते हो तुमजब बरसती हैं सुख की रसभीनी बून्दें / मानस पर मेरेजब होती है कोई उपलब्धि मुझे / या मेरे अपनों कोसोचती हूँ, काश तुम होते पास मेरे / सुनाती ख़ुशी से उछल कर तुम्हेंगिनाती अपनी सबकी उपलब्धियाँऔर तब तुम भी झूमते मेरे साथ ख़ुशी में / लगा लेते मुझे अपने गलेउत्साह

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शुभ प्रभात

15 दिसम्बर 2016
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सभी को अपना लक्ष्य प्राप्त हो... सभी का आज का दिन मंगलमय हो...

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August 12, 2016 – katyayani.purnimakatyayan

29 जुलाई 2017
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शब्दों का अस्तित्व यही, पल भर में व्यर्थ वो हो जाते हैंकिन्तु मौन की भाषा को सब युगों युगों तक दोहराते हैं |पल भर को एक कथा सुनाकर शब्द राह अपनी चल देतेकिन्तु मौन में जड़े शब्द निज छाप अमिट पड़वा जाते हैं ||शब्दों से कोलाहल बढ़ता, नित नवीन कोई घटना घटतीऔर विचित्र कोई अर्थ बत

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शब्दों का अस्तित्व

12 अगस्त 2016
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शब्दों का अस्तित्व यही, पल भर में व्यर्थ वो हो जाते हैं | किन्तु मौन की भाषा को सब युगों युगों तक दोहराते हैं.........<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:AllowPNG/> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w

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शुभ प्रभात

7 अगस्त 2017
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रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ

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भाव बन जाए अभाव – purnimakatyayan

22 दिसम्बर 2016
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कोई ध्वनि न हो हवा में, यदि वहाँ न हो कोई वृक्ष |कोई अर्थ न हो मौन का, यदि वहाँ न हो कोई लक्ष्य |मौन उत्पन्न होता है प्रेम में, मौन उत्पन्न होता है दया मेंमौन उत्पन्न होता है आनंद में, और मौन उत्पन्न होता है संगीत में |मौन, ऐसा गीत जो कभी गाया नहीं गया,फिर भी मुखरित हो गय

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जयहिन्द… वन्देमातरम्… – katyayani.purnimakatyayan

15 अगस्त 2017
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समानी व आकृति: समाना हृदयानि व:, समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति – ऋग्वेदहम सबके सामान आदर्श हों, हम सबके ह्रदय एक जैसे हों, हम सबके मनों में एक जैसे कल्याणकारी विचार उत्पन्न हों, ताकि सामाजिक समन्वय तथा समरसता बनी रहे |समानो मन्त्र: समिति: समानी, समानं मन: सहचित्तमेषाम्

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शुभ प्रभात

12 जून 2016
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दशलाक्षण पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ – katyayani.purnimakatyayan

19 अगस्त 2017
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मित्रों, आज १९ अगस्त से २६ अगस्त तक श्वेताम्बर जैन मतावलम्बियों का पर्यूषण पर्व आरम्भ हो चुका है | पर्यूषण के अन्तिम दिन यानी २६ अगस्त से दिगम्बरों के पर्यूषण पर्व अर्थात क्षमावाणी पर्व और दशलाक्षण पर्व का आरम्भ हो जाएगा जो ५ सितम्बर को सम्पन्न होगा | यों तो साल में तीन ब

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शुभ प्रभात – purnimakatyayan

31 दिसम्बर 2016
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मोती जैसी ओस की बूँदों में भीगी सर्दियों की सुबहकुछ ऐसी लगती मानों भोर की बयार गुनगुनाती हुईकोहरे की चादर समेटने का प्रयास करतीआई हो गर्म पानी से नहा करकोहरे में लिपटी धूप काकुछ श्वेत कुछ धूमिल सा परिधान लपेटे |पंछियों की चहचहाट के साथ गाती गुनगुनातीदूर कहीं झनझनाते किरणो

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शुभ प्रभात

29 अगस्त 2017
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कर्म तो हर व्यक्ति करता है, लेकिन बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है जो दृढ़ संकल्प ले साथ कार्य का आरम्भ करता है | क्योंकि संकल्प दृढ़ होगा तभी लक्ष्य पर दृष्टि टिकी रहेगी और लक्ष्य के प्रति एकाग्रता आएगी तो निश्चित रूप से कार्य में सफलता प्राप्त होगी | अन्यथा एकाग्रता के अभाव में कार्य बीच में ही छूट सकत

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स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

15 अगस्त 2016
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जयहिन्द... वन्देमातरम्...

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पण्डित यज्ञदत्त जी – katyayani.purnimakatyayan

6 सितम्बर 2017
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कल सारा दिन टी वी पर शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रमों के प्रसारण होते रहे और “प्रथम शिक्षक” विषय पर कुछ चैनल्स पर चर्चाएँ भी होती रहीं | उसी सबको देखकर आज स्मरण हो आया उस व्यक्तित्व का जो माँ और पिताजी के बाद हमारे प्रथम शिक्षक बने | हमारी शिक्षा हिन्दी माध्यम के व

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श्रावणी

17 अगस्त 2016
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आप सभी रक्षा बन्धन के पर्व की बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा में होंगे | कल रक्षा बन्धन का त्यौहार है | सभी को बहुत बहुत बधाई | जैसा कि हम सब ही जानते हैं कि भारत में पर्व-त्यौहारों का विशेष महत्व है । कोई न कोई त्यौहार साल भर लगा ही रहता है | किन्तु श्रावण मास की पूर्णिमा के

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लोहड़ी और मकर संक्रान्ति पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आज का शुभ प्रभात – purnimakatyayan

13 जनवरी 2017
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अरुण भोर सूरज की मनुहार सी करतीकाँपती धूप को आगे करतीधुँध से छिपती छिपाती प्रकट होती |मनों में नई उमंगें लिए नन्हे शिशु समान पंछीमीठी चहचहाट के तार झनकारतेशरद धूप के साथ उतर आते अँगना में |अरुण भोर की मनुहार से चमकता मुखमण्डल लिएशीत प्रियतमा के साथ अठखेलियाँ करतेमाघ के को

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शुभ प्रभात

20 जून 2016
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बन जाऊँ शाश्वत सदा के लिए – purnimakatyayan

17 जनवरी 2017
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मन मेरा बना हुआ है घुमक्कड़क्योंकि चाहता है अनुभव करना उन ऊंचाइयों काजहाँ पुष्पों के पराग से सुगन्धित समीरसहला रहा हो मेरी नासिका के अग्रभाग कोकिसी वन वृक्ष की लताएँसुलझा रही हों मेरे उलझे हुए केशगुनगुनी धूप की गर्माहट से युक्त धीमी पवन का स्पर्शकिसी मुलायम शाल की तरह पहुँ

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शुभ प्रभात

24 अगस्त 2016
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अमर उजाला में १८ जनवरी २०१३ को प्रकाशित लेख………… – purnimakatyayan

23 जनवरी 2017
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प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर गंगा और यमुना का मिलन तो दीखता है लेकिन सरस्वती अदृश्य है | कुम्भ पर्व के अवसर पर वैदिक काल से आराध्य इस नदी के लुप्त होने और बने रहने का मर्म…अंतस में बहती हुई नदीकुम्भ पर्व हिन्दू धर्मं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो इस वर्ष १४ जनवरी से आरम्भ ह

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अज्ञान्तिमिरान्धस्य ज्ञानांजनशलाकया चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः

19 जुलाई 2016
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 https://purnimakatyayan.wordpress.com/2016/07/19/

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गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

25 जनवरी 2017
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महिला सशक्तिकरण

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आखिर श्री कृष्ण ही क्यों हैं अलौकिक चरित्र के महामानव ?

25 अगस्त 2016
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मित्रों, आज हम सब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म महोत्सव मना रहे हैं | तो सबसे पहले तो सभी को इस महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ | आज कहीं लोग व्रत उपवास

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सत्य-शाश्वत-चिरन्तन – purnimakatyayan

28 जनवरी 2017
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जन्म और मरण / कोई अन्तर नहीं दोनों मेंछोड़कर एक ही भेद कोमृत्यु है जीवन की परिणति / फल जीवन का |जीवन के मार्ग पर चलते हुए पहुँचते हैं जहाँवह लक्ष्य समापन ही तो है हमारे अध्यवसाय काजहाँ प्राप्त करते हैं समस्त प्रयास अपनी पूर्णता कोहो जाती है मुक्ति समस्त कर्मों सेऔर इसीलिए

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पर फिर भी हो मुग्धमना मैं करती गुँजन

12 जून 2016
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मोक्ष – अनावृत मुक्त आत्मा – purnimakatyayan

31 जनवरी 2017
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मोक्ष, अहं का नाश |अहं क्या है ?मनुष्य के सुखी होने की अनुभूति ?या फिर दर्द का अहसास ?किसी का अपना होने की राहत ?या फिर पराया होने का दर्द ?लेकिन दुःख में भी तो है कष्ट का आनन्द |अपनेपन से ही उपजता है परायापन |एक ही भाव के दो अनुभाव हैं दोनों |उसी तरह जैसे समुद्र में जल ए

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शुभ प्रभात

2 सितम्बर 2016
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

5 फरवरी 2017
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आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

23 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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छिप ना जाना – purnimakatyayan

10 फरवरी 2017
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जग को देनी है शीतलता, रे चन्दा तू छिप ना जाना |गल जाएगा तन भी तेरा, पर फिर भी तू किरण लुटाना ||मुझे पता है दिन में सूरज की ज्वाला में तू तपता हैऔर रात में ओस की ठण्डी बूँदों में भीगा करता है |पर इसकी चिंता मत करना, और रात भर बढ़ते जाना ||रात रात भर शुभ्र ज्योत्स्ना तुझे जग

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विवाह – मनुष्य जीवन का एक अभिन्न अंग – purnimakatyayan

26 सितम्बर 2016
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अपनी बिटिया के विवाह की तैयारियों में आजकल व्यस्त हूँ, और जैसा कि हर परिवार में हर ब्याह शादी में होता है – समस्त व्यवस्थाएँ उचित रूप से हो जाएँ इसके लिए मित्रों – परिचितों तथा परिवारीजनों से सलाह भी लगभग हर बात में लेनी आवश्यक हो जाती है, क्योंकि विवाह कोई छोटा सा आयोजन

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ढाई अक्षर का शब्द – purnimakatyayan

13 फरवरी 2017
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कल वेलेंटाईन डे है, उत्साह है समस्त युवा वर्ग में… अभी एक फरवरी को पर्व था वसन्त पंचमी का – जिसे भारतीय वेलेंटाईन डे भी कहा जाता है… जिस दिन ज्ञान विज्ञान की दात्री माँ वाणी की पूजा अर्चना करने के साथ ही सब प्रेम के रंग में रंग जाते हैं, और केवल मानवमात्र ही नहीं, सारी प्

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शुभ प्रभात

22 जून 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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ईश्वर – purnimakatyayan

18 फरवरी 2017
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• कवियित्री, लेखिका, ज्योतिषी | ज्योतिष और योग से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद | कुछ प्रसिद्ध मीडिया कम्पनीज़ के लिये भी लेखन | प्रकाशित उपन्यासों में अरावली प्रकाशन दिल्ली से देवदासियों के जीवन संघर्षों पर आधारित उपन्यास “नूपरपाश”, भारत के म

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गीता और दुर्गा सप्तशती – purnimakatyayan

2 अक्टूबर 2016
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दुर्गा सप्तशती या श्रीमद्भगवद्गीता का जब भी अध्ययन करने बैठती हूँ तो बहुत से कथनों को पढ़कर कहीं न कहीं दोनों में दृष्टि का और कथनों का साम्य अनुभव होता है | यही कारण है कि कुछ वर्ष पूर्व लिखे इस लेख को पुनः पढने बैठ गई और अब एक बार फिर सुधी पाठकों के अवलोकनार्थ पोस्ट कर

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प्रेम के मधु घट का प्याला – purnimakatyayan

23 फरवरी 2017
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ना हमारे बीच है कोई ऐसा खेलजिसमें हो हार या जीतफिर क्यों रूठी रहती है प्रीतआओ मिलकर इसे मनाएँ / ताकि बच जाए टूटने से / प्रेम के मधु घट का प्याला ।ना मुझमें है कोई खोट / ना ही हूँ मैं खान समस्त गुणों कीना तुममें है कोई खोट / ना तुम ही हो खान समस्त गुणों कीहम दोनों ही हैं

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ऐसी आई बरखा रानी

26 जुलाई 2016
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शुभ प्रभात

24 फरवरी 2017
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आनंद, अपरिचित किन्तु परिचित बनी ऊर्जा

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कूष्माण्डेति चतुर्थकम् – purnimakatyayan

5 अक्टूबर 2016
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नवरात्रों के चतुर्थ दिन अर्थात चतुर्थी तिथि को कूष्मांडा देवी की पूजा अर्चना की जाती है | यह सृष्टि की आदिस्वरूपा आदिशक्ति है | इसका निवास सूर्यमंडल के भीतरी भाग में माना जाता है | अतः इनके शरीर की कान्ति भी सूर्य के ही सामान दैदीप्यमान और भास्वर है | देवी का चतुर्थ रूप क

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मिलकर मनाएँ महिला दिवस…. – purnimakatyayan

7 मार्च 2017
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित रहा ये सप्ताह, जिसका कल यानी आठ मार्च को समापन है अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में… सप्ताह भर विश्व भर में अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का, गोष्ठियों का, रैलियों का, कार्यशालाओं आदि का आयोजन होता रहा… तो इसी महिला दिवस के उपलक्ष्य

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शुभ प्रभात

5 मार्च 2017
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सन्मार्ग पर चलते हुए हम सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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षष्ठं कात्यायनी – purnimakatyayan

7 अक्टूबर 2016
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एतत्ते वदनं सौम्यम् लोचनत्रय भूषितम् ।पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायिनी नमोsस्तुते ।।देवी का छठा रूप कात्यायनी देवी का माना जाता है | इस रूप में भी इनके चार हाथ माने जाते हैं और माना जाता है कि इस रूप में भी ये शेर पर सवार हैं | इनके तीन हाथों में तलवार, ढाल और कमलपुष्प हैं

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शुभ प्रभात

10 मार्च 2017
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आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

30 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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Swasti Shree - YouTube

12 मार्च 2017
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Published on Feb 28, 2015Annual Function 2012 by Delhi Gynaecologist Forum / WOW India Swasti Shree - YouTube

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महागौरीति चाष्टमम् – purnimakatyayan

9 अक्टूबर 2016
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सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते ।।आज अष्टमी तिथि है, आठवाँ नवरात्र | आज महागौरी की पूजा अर्चना सबने की है | देवी का आठवाँ रूप है महागौरी का | माना जाता है कि महान तपस्या करके इन्होने अत्यन्त गौरवर्ण प्राप्त किया था | इस रू

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शुभ प्रभात

14 मार्च 2017
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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स्वस्ति श्री शर्मा का अन्दाज़-ए-बयाँ

22 जून 2016
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शहीद दिवस

23 मार्च 2017
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अमर शहीदों को शत शत नमन...

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अपराजिता देवी और विजयादशमी – purnimakatyayan

10 अक्टूबर 2016
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चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थिता जगत् ।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥कल विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा | कल सभी के लिए बहुत व्यस्तताओं भरा दिन होगा – किसी के घर अपराजिता देवी की पूजा अर्चना की जाएगी, तो किसी के घर भाइयों के कानों में नौरते रखकर उनके सफल और

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देवी प्रपन्नार्ति हरे प्रसीद – katyayani.purnimakatyayan

27 मार्च 2017
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प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणी, त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||माँ भगवती की इसी प्रार्थना के साथ सर्वप्रथम तो सभी को कल से आरम्भ हो रहे नव सम्वत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ…आंध्रप्रदेश में युगादि अथवा उगडि तिथि कहकर इस सत्य की उद्घोषणा की जाती है कि भार

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शुभ प्रभात

2 अगस्त 2016
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आप सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात – द्वितीयं ब्रह्मचारिणी – katyayani.purnimakatyayan

29 मार्च 2017
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या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमःआज द्वितीया तिथि है – दूसरा नवरात्र – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना का दिन | देवी का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है – ब्रह्म चारयितुं शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी – अर्थात् ब्रह्मस्वरूप की प्राप्

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दीपावली और पर्यावरण – purnimakatyayan

26 अक्टूबर 2016
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प्रिय मित्रों, आगामी 30 तारीख़ को प्रकाश का पर्व है, तो सर्व प्रथम तो सभी मित्रों को पाँच दिन पहले से ही प्रकाश पर्व दीपावली के मंगलमय त्यौहार पर हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएँ | दीपमालिका में प्रज्वलित प्रत्येक दीप की प्रत्येक किरण आपके जीवन में सुख, समृद्धि, स्नेह और स

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शुभ प्रभात – पञ्चमं स्कन्दमातेति – katyayani.purnimakatyayan

1 अप्रैल 2017
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सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी, परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी ।पंचमं स्कन्दमातेति – देवी का पंचम स्वरूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है और नवरात्र के पांचवे दिन माँ दुर्गा के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। कुमार कार्तिकेय को ही “भगवान स्कन्द” के नाम से

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शुभ प्रभात

16 जून 2016
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शुभ प्रभात – सप्तमं कालरात्रि – katyayani.purnimakatyayan

3 अप्रैल 2017
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त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमूर्धनि तेSपि हत्वा ।नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्तमस्माकमुन्मदसुरारि भवन्न्मस्ते ।।सप्तमं कालरात्रीति– देवी का सातवाँ रूप कालरात्रि का रूप माना जाता है | सबका अन्त करने वाले काल की भी रात्रि अर्थात् विनाशिका होने के कारण इनका नाम काल

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प्रेम बन जाएगा ध्यान – purnimakatyayan

4 नवम्बर 2016
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मैंने देखा, और मैं देखती रहीमैंने सुना, और मैं सुनती रहीमैंने सोचा, और मैं सोचती रहीद्वार खोलूँ या ना खोलूँ |प्रेम खटखटाता रहा मेरा द्वारऔर भ्रमित मैं बनी रही जड़खोई रही अपने ऊहापोह में |तभी कहा किसी ने, सम्भवतः मेरी अन्तरात्मा नेतुम द्वार खोलो या ना खोलोद्वार टूटेगा, और

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शुभ प्रभात

8 अप्रैल 2017
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आज का दिन शुभ हो

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शुभ प्रभात

5 अगस्त 2016
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

13 अप्रैल 2017
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शुभ प्रभात

9 नवम्बर 2016
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आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

20 अप्रैल 2017
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वर्तमान ही सत्य है, उसी को सँवारने का प्रयास करें...

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शुभ प्रभात

27 जून 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात – अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएँ – katyayani.purnimakatyayan

28 अप्रैल 2017
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अक्षय तृतीया – ॐ जमदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात ।भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी की जयन्तीअक्षय तृतीया – जिस दिन जैनियों के आदि तीर्थंकर ऋषभदेव ने अपने एक वर्ष के उपवास का पारायण किया था और जिसके उपलक्ष्य में आज भी भगवान ऋषभदेव की प्

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ऐसा क्यों…? – purnimakatyayan

10 नवम्बर 2016
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नौ नवम्बर की शाम कुछ आवश्यक लिखना था इस कारण टी वी ऑन ही नहीं कर पाई थी और मोदी जी का देश के नाम वो ऐतिहासिक सम्बोधन भी नहीं देख पाई थी | अचानक व्हाट्सअप पर धड़ाधड़ मैसेज आने शुरू हो गए | “इतने सारे मैसेजेज़, पल भर को भी नहीं रुक रहे, आज किस पर्व की बधाईयाँ लोग दे रहे हैं…”

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शुभ प्रभात

1 मई 2017
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हमारे मन हमारे कार्यों को साधने में सहायक हो... इसी कामना के साथ सभी को आज का शुभ प्रभात...

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शुभ प्रभात

6 अगस्त 2016
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

4 मई 2017
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जीवन एक बार ही प्राप्त होता है - जो व्यर्थ गँवाने के लिए नहीं होता... सभी का आज का दिन मंगलमय हो...

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शुभ प्रभात

18 नवम्बर 2016
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आप सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

7 मई 2017
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

11 जून 2016
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मातृ दिवस – मदर्स डे – katyayani.purnimakatyayan

13 मई 2017
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कल “मदर्स डे” है – यानी कि “मात्तृ दिवस” – हर माँ को सम्मान और आदर देने के लिये हर वर्ष एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में मातृदिवस को मनाया जाता है । यों भारत में तो मातृ शक्ति के सम्मान की महान परम्परा आरम्भ से ही रही है | उत्तरी अमेरिका में माताओं को सम्मान देने के लिये अ

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शुभ प्रभात

24 नवम्बर 2016
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आज का दिन मंगलमय हो

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यही है एकमात्र सत्य – katyayani.purnimakatyayan

15 मई 2017
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मन में अन्तर्विरोध / मन में लाचारीमन में हैरानी / परेशानी / क्यों है ये सब ?कैसे हैं ये नियम / सिद्धान्त / क्यों हैं ये इतने जटिल ?घूम रहा है हर कोई / लगाए हुए एक मुखौटा |क्या है कोई परिभाषा तथाकथित मित्र की ?क्या है कोई परिभाषा तथाकथित शत्रु की ?तथाकथित ??? हाँ तथाकथितक्

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शुभ प्रभात

7 अगस्त 2016
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

30 मई 2017
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सभी को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात

26 नवम्बर 2016
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आज का खुशियों भरा शुभ प्रभात

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अर्जुन विक्षिप्त थे – मूढ़ नहीं

2 जून 2017
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इतने विशाल संसार में हर पल कहीं न कहीं आँधी, तूफ़ान, बाढ़, भूकम्प, हिमस्खलन, अग्निकाण्ड आदि न जाने कितने प्रकार के विध्वंस होते रहते हैं | हर पल अनुभव होते रहने वाले उत्पत्ति-व

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शुभ प्रभात

7 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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शुभ प्रभात

7 जून 2017
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो...

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शुभ प्रभात

1 दिसम्बर 2016
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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अध्यात्मयुत सूक्ष्म मनोविज्ञान – katyayani.purnimakatyayan

19 जून 2017
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कर्ममार्ग पर अग्रसर होने में ऐसा अनेक बार हो सकता है कि व्यक्ति कर्तव्य और अकर्तव्य का भेद बुला बैठे और संशयग्रस्त हो जाए | जब जब भी इस प्रकार के संशय की स्थिति आती है कि व्यक्ति को कर्म अकर्म का कोई ज्ञान नहीं रहता तब तब श्रीकृष्ण जैसे किसी मनश्चिकित्सक की आवश्यकता होती

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शुभ प्रभात

10 अगस्त 2016
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आपका आज का दिन मंगलमय हो

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जीवन एक विश्रामगृह - YouTube

20 जून 2017
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शुभ प्रभात

5 दिसम्बर 2016
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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कालिदास – वर्तमान परिप्रेक्ष्य में – katyayani.purnimakatyayan

20 जून 2017
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कालिदास – वर्तमान परिप्रेक्ष्य मेंकल कविता वाचक्नवी का एक बड़ा सारगर्भित लेख पढ़ने को मिला, जिसका शीर्षक था “संस्कृत : छन्दविज्ञान, सैद्धान्तिकी और कबीर” | भाषा और व्याकरण से सम्बद्ध यह लेख वास्तव में सराहनीय है | मैं सहमत हूँ इस लेख से | कविता जी ने बड़ी सरल शैली में भाष

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"अन्दाज़-ए-बयाँ"

17 जून 2016
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मेघों ने बाँसुरी बजाई – katyayani.purnimakatyayan

30 जून 2017
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मौसम ने अपनी ही एक पुरानी रचना याद दिला दी:-मेघों ने बाँसुरी बजाई, झूम उठी पुरवाई रे |बरखा जब गा उठी, प्रकृति भी दुलहिन बन शरमाई रे ||उमड़ा स्नेह गगन के मन में, बादल बन कर बरस गयाप्रेमाकुल धरती ने नदियों की बाँहों से परस दिया |लहरों ने एकतारा छेड़ा, कोयलिया इतराई रेबरखा जब

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शुभ प्रभात

14 दिसम्बर 2016
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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नमोऽस्तु गुरुसत्तायै, श्रद्धाप्रज्ञायुता च या – katyayani.purnimakatyayan

9 जुलाई 2017
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मातृवत् लालयित्री च, पितृवत् मार्गदर्शिका, नमोऽस्तु गुरुसत्तायै, श्रद्धाप्रज्ञायुता च या ||वास्तव में ऐसी श्रद्धा और प्रज्ञा से युत होती है गुरु की सत्ता – गुरु की प्रकृति – जो माता के सामान ममत्व का भाव रखती है तो पिता के सामान उचित मार्गदर्शन भी करती है | आज गुरु पूर्ण

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ये भेजा किसने प्रेम संदेसा

11 अगस्त 2016
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 इन्द्रधनुष के रंगों में ये भेजा किसने प्रेम संदेसा |सावन में जैसे पेड़ों की डाली पर हो धूप बसेरा || धरा पहनती मुतियन माला, पीली साड़ी अंग लिपटती |पंछी गाते गान अनोखा, मीठी सी एक तान उभरती ||दूर गगन के ओर छोर तक पंछी देखो उड़ते जाते |और ओस से द्रवित निशा में राग भैरवी गाते जाते ||राग भरा अनुराग भरा है

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हरियाली तीज – katyayani.purnimakatyayan

26 जुलाई 2017
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सावन का महीना आते ही अपने पुराने दिनों की याद ताज़ा हो आती है | कई रोज़ पहले से पिताजी उत्साह में भर घर सर पर उठा लिया करते थे “अरे भई मास्टरनी जी (हमारी माँ को पिताजी मास्टरनी जी बुलाते थे) पूनम की चाचियों के चूड़ियों के नाप तो लाकर दो | और हाँ वो लाली और सरसुती की चूड़ियों

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शुभ प्रभात

16 दिसम्बर 2016
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आज का दिन मंगलमय हो

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चित्रों की अदला बदली – katyayani.purnimakatyayan

5 अगस्त 2017
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जीवन क्या हैमात्र चित्रों की एक अदला बदली…किसी अनदेखे चित्रकार द्वारा बनाया गया एक अद्भुत चित्र…जिसे देकर एक रूप / उकेर दी हैं हाव भाव और मुद्राएँऔर भर दिए हैं विविध रंग / उमंगों और उत्साहों केसुखों और दुखों के / रागों और विरागों केकर्तव्य और अकर्तव्य के / प्रेम और घृणा क

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शुभ प्रभात

13 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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फ्रेण्डशिप डे – katyayani.purnimakatyayan

6 अगस्त 2017
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आज “फ्रेण्डशिप डे” है… यानी “मैत्री दिवस”… सभी मित्रों को हार्दिक बधाई भी और धन्यवाद भी साथ जुड़े रहने के लिए…यों तो आज इस सोशल मीडिया की मेहरबानी से हर दिन ही “मैत्री दिवस” होता है – क्योंकि हर दिन मित्रों से वार्तालाप यानी “चैटिंग” होती रहती है… पर एक विशेष दिन को मित्रो

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परछाईं ही रहना चाहूँ मैं – purnimakatyayan

18 दिसम्बर 2016
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मेरा जीवन कितना ऊँचा कितना लम्बा, कितनी दूर तलक है इसका ताना बानाकिन्तु कहीं कुछ और, कहीं कुछ और बनी मैं, कहीं बनी परछाईं. कहीं आकार बनी मैं ||इसमें कितने ही हैं मैंने रूप समेटे, कितने ही छाया चित्रों के व्यूह समेटे |इसमें जुड़कर कितनों को है अर्थ मिल गया, निज सार्थकता से

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क्या अजीब सी चीज़ है ये ज़िन्दगी – katyayani.purnimakatyayan

8 अगस्त 2017
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क्या अजीब सी चीज़ है ये ज़िन्दगी |कभी कशमकश सी / नहीं है जिसका समाधान कहीं भीकितने ज्ञानी ध्यानी हार गए खोज खोज करपर नहीं पा सके एक निश्चित उत्तर |कभी आधे देखे स्वप्न सीज़रा सी आहट से ही टूट कर बिखर जाता है जो पल भर में ही |कभी भूल भुलैया सी / नहीं मिलती राह कभी भी जहाँचलते

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शुभ प्रभात

13 अगस्त 2016
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आपका दिन मंगलमय हो

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ – katyayani.purnimakatyayan

14 अगस्त 2017
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आज और कल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन और उल्लासपूर्ण पर्व देश भर में बड़ी धूम धाम से मनाया जाएगा | सभी को श्री कृष्ण के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |वास्तव में श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व इतना भव्य है कि न केवल भारतीय इतिहास के लिये, वरन विश्व के इतिहास के लिये भी अलौकिक एव

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शुभ प्रभात

23 दिसम्बर 2016
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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शुभ प्रभात

16 अगस्त 2017
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सभी का आज का दिन मंगलमय हो

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है तभी तो फूल जग सर चढ़ रहा

4 जून 2016
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ढेर सारा प्यार बिटिया… – katyayani.purnimakatyayan

17 अगस्त 2017
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तू मेरे साँसों की सरगम, मन वीणा की तू ही रागिनी |तुझसे ही जीवन में खुशियों की बजती है मधुर रागिनी ||तुझको पाकर धन्य हुई मैं, पूर्ण हुई और तृप्त हुई मैं |तुझमें अपना रूप देखकर सदा ख़ुशी से मस्त हुई मैं ||तेरी मुस्कानों से ही तो जीवन उजियाला है मेरा |और तेरी साँसों से हर पल

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मन में ऐसा भाव जगा है – purnimakatyayan

26 दिसम्बर 2016
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पूज्य पिताश्री पं. यमुना प्रसाद कात्यायन (स्वर्गीय नहीं, क्योंकि वे सदा मेरे साथ हैं – पूर्ववत अपने नेहाशीषों की वर्षा करते), मेरे गुरु-सखा-भाई एकमात्र मेरे पिताजी… आज ही के दिन अपनी मीठी बातों से सबका मन बहलाते बहलाते रात्रि को परमतत्व में विलीन हुए थे…मेरे जनक तुम्हारे

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सत्ता जो हो जाती है असत्य – katyayani.purnimakatyayan

22 अगस्त 2017
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नृत्य क्या है / जीवन जीने की एक कलाइसीलिए तो समूचा जीवन ही है एक नृत्यमस्ती में भर / भूलकर सारा विषाद / मिलकर एक दूसरे के साथवैसे ही जैसे / किया नृत्य नटवर नागर नेतो हुआ पूर्ण वो नृत्य / राधा के महारास के साथनटराज ने मचाया ताण्डवतो शान्त किया हिमसुता ने / रचकर मधुर लास्यर

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स्वतन्त्रता दिवस की बधाई - जयहिन्द

14 अगस्त 2016
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कल स्वतन्त्रता दिवस है, सभी को हार्दिक बधाई - वंदेमातरम्....

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शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

24 अगस्त 2017
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हम प्रायः अकेलेपन और एकान्त को समझने में भूल कर बैठते हैं और सोचने लगते हैं कि जो व्यक्ति अकेला रहता है वही वास्तव में एकान्तवासी होता है और वही एकाग्रचित्त होकर अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करके लक्ष्यप्राप्त कर सकता है | अथवा एकान्त मैं बैठकर साधना करके मोक्ष को प्राप

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आओ छेड़ें मधुर रागिनी, बीते कल को करें विदा अब – purnimakatyayan

31 दिसम्बर 2016
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कुछ है रीता, कुछ है बीता, कुछ है खोया, कुछ है पाया |बीते कल में जाने हमने क्या कुछ खोया क्या कुछ पाया ||क्या खोया ये ग़म ही क्यों हो, क्या पाया ये भ्रम ही क्यों हो |खोना पाना रीत जगत की, इसका भला वहम ही क्यों हो ||आशाओं से भरी सुबह का करना है अब स्वागत दिल से |इसीलिये मस्त

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शुभ प्रभात – katyayani.purnimakatyayan

4 सितम्बर 2017
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प्रायः लोगों को ऐसा कहते सुना होगा कि कुछ लोगों का जन्म केवल अपने स्वार्थों की सिद्धि के लिए ही होता है | स्वार्थों की सिद्धि अच्छी बात है – यदि उस स्वार्थ में किसी अन्य की भलाई निहित हो या आत्मोन्नति के मार्ग में सहायक हो | संसार में कोई सम्बन्ध ऐसा नहीं जिसमें स्वार्थ न

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शुभ प्रभात

16 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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मूर्त – purnimakatyayan

5 जनवरी 2017
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इस विशाल ब्रह्माण्ड में मैं क्या हूँ / शायद कुछ भी नहीं |शायद कहीं होगा कोई एक छोटा सा शून्यऔर उस छोटे से शून्य के मध्यमैं – एक छोटा सा बिन्दुशायद एक अत्यन्त सूक्ष्मातिसूक्ष्म अणुजिसे ढूँढ़ पाना भी मुश्किल |लेकिन फिर भी मैं हीन नहीं हूँलेकिन फिर भी मैं क्षीण नहीं हूँक्योंक

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कल्पनाओं का पंछी

3 जून 2016
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नहीं तनिक है भान मुझे

7 जून 2016
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"अन्दाज़-ए-बयाँ"

13 जून 2016
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स्वस्ति श्री शर्मा का "अन्दाज़-ए-बयाँ"

22 जून 2016
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शुभ प्रभात

27 जुलाई 2016
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सभी मित्रों को आज का शुभ प्रभात

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पंचमं स्कन्दमातेति – purnimakatyayan

6 अक्टूबर 2016
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सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी ।परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी ।।देवी का पंचम स्वरूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है और नवरात्र के पांचवे दिन माँ दुर्गा के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है। कुमार कार्तिकेय को ही “भगवान स्कन्द” के नाम से जाना जाता है । स्कन

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शुभ प्रभात

7 मार्च 2017
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सभी का आज का दिन आनन्द और प्रेमपूर्ण व्यतीत हो

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