shabd-logo

स्नेह सदन 1

4 सितम्बर 2021

64 बार देखा गया 64

मनाली के एक छोटे से शहर में एक छोटा सा मगर सुंदर से सजाया गया घर ,जिसके चारों तरफ पेड़ पौधे व खूबसूरत फूल लगे हुए है।आस पास का दृश्य अति सुन्दर है। घर के बाहर एक छोटा सा name plate लगा है जिस पर लिखा गया है " स्नेह सदन " ।

स्नेह सदन के अंदर एक औरत (कल्याणी जी ,उम्र 60 साल) एक लड़की की बालों की चोटी बनाती है ( नाम - स्वाति उम्र 24 - 25 साल रंग गोरा  ) ,पास में ही   एक और लड़की हाथों में किताब लेकर सलोनी बैठी है जिसकी उम्र भी लगभग 23 -24 साल ,रंग सांवला  है। 
कल्याणी जी - सलोनी चलो खाना खा लो , सुबह से कुछ नहीं खाया है तुमने ।
सलोनी - नहीं मां, अभी पढ़ रही हूं थोड़ी देर बाद खा लूंगी । तभी वहां सुंदर सी 20-21 साल की  लड़की आती है जिसका नाम वर्षा है ।
वर्षा - मां आप  स्वाति दी और सलोनी दी से ज्यादा प्यार करती है ना ,मेरे से नहीं  क्यों??
कल्याणी जी - तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती हूं ?
वर्षा - ( उदास होकर ) आप इन्हे अपने हाथों से खिलाती हैं, इनके बाल बनाती हैं ,मेरे नहीं
कल्याणी जी मुस्कुराते हुए  - तुम ये अवसर मुझे कभी देती ही नहीं हो ।
सलोनी - जिस दिन मां तुम्हारे बाल बांध देती है तुम कमरे से बाहर ही नहीं निकलती  हो , आखिर मिस ब्यूटीफुल का लुक जो बदल जाता है
स्वाति हंसते हुए - खाने की तो बात ही मत पूछो।
तीनों हंसने लगते है तो वर्षा मुंह बनाकर सलोनी और स्वाति को घूरती है तभी वहां रौनक आता है और स्वाति और सलोनी को डांटते हुए कहता है - तुम दोनों मेरी वर्षा को क्यों परेशान कर रही हो , फिर वर्षा के गले में हाथ डालकर - don't worry वर्षा , मैं हूं ना ,  मैं इन्हें अभी और डांटता हूं ।
वर्षा - भाई जब आप पुलिस ऑफिसर बन जाना तो सबसे  
पहले मुझ बेचारी पर किए गए अत्याचार व मेरे अपमान के लिए इन्हें कड़ी सजा देना । वर्षा ने इतनी मासूमियत से कहा कि सभी हंस पड़ते है
रौनक - हां , जरूर दूंगा इन्हे सजा ।






कॉलेज में सभी फाइनल ईयर वाले  बच्चे अपना अपना ग्रुप  बनाकर खड़े थे  आज प्रिंसिपल सर ने क्लास में बताया कि अगले सप्ताह में दो बड़ी कंपनियां उनके कॉलेज में आ रही है बच्चों के प्लेसमेंट के लिए , इसीलिए आप लोग अपने interview की तैयारी कीजिए । आज सभी बच्चें इसी टॉपिक पर बात कर रहे थें।
विराज - हे सौम्य , किस कंपनी में अप्लाई करने को सोचा है ?
सौम्य - अभी सोचा नहीं है ,देखता हूं मनाली के लिए कौन सा बेस्ट रहेगा ,तू तो दिल्ली जा रहा है ना ।
विराज - हां यार , पापा चाहते हैं कि मै वहीं सेटल हो जाऊं  फिर family भी वहीं है ।
सौम्य - सही है यार  ।
तभी वहां रिचा आती है और दोनों से थोड़ा बहुत बात करती है विराज वहां से चला जाता है सौम्य और रिचा कैंटीन में आकर बैठ जाते हैं ।दोनों एक दूसरे को पसंद करते है ,रिचा सौम्य के परिवार से भी कई बार मिल चुकी होती है है , सौम्य के घर में सभी रिचा को बहुत पसंद करते है।
रिचा - मै सोच रही थी कि हम मुंबई में प्लेसमेंट होते है , तुम्हें क्या लगता है?
सौम्य - मुंबई में क्यों रिचा , हम मनाली में ही सेटल होते है ना ।
रिचा - नो वे , सौम्य मुंबई सही रहेगा , वहां डेवलप करने का जितना अच्छा चांस मिलेगा हमें , यहां मनाली में  कुछ नहीं मिलेगा।
सौम्य - पर रिचा मनाली में हमारी फैमिली है , हम उन्हें छोड़ कर कैसे जा सकते है ??
रिचा - यार हम उन्हें मिलने के लिए आएंगे ना , हमेशा के लिए थोड़ी ना जा रहे है ,   देखो सौम्य मनाली घूमने के लिए बहुत खूबसूरत जगह है पर यहां अपनी एक अलग पहचान बनाना और अपने सभी सपनों को पूरा करना मुश्किल है क्योंकि यह कोई इंडस्ट्रियल एरिया नहीं है जंहा कई सारे opportunity मौजूद होंगे ।सौम्य एकटक उसे देखता है फिर धीरे से कहता है कि मै मां को छोड़ कर नहीं जा सकता रिचा मैं........... "तुम अब बच्चे नहीं हो सौम्य , बेवकूफों जैसे बात मत करो , तुम्हारी मां अकेली तो नहीं है   यहां , बाकी सारे लोग तो है ना उनके देखभाल के लिए", सौम्य की बात काटते हुए रिचा ने खीजते हुए कहा तो सौम्य को भी गुस्सा आ जाता है वो जरा तेज आवाज में बोलता है - हां , मां यहां अकेली नहीं होंगी पर मैं तो वहां अकेला हो जाऊंगा ना , सही कहा तुमने ,यहां सारे लोग होंगे उनके साथ पर मै तो नहीं रह सकूंगा ना उनके साथ , मैं मां को छोड़ कर कहीं नहीं जाने वाला समझी तुम ...।सौम्य गुस्से में कैंटीन से बाहर निकल जाता है रिचा उसे आवाज देती है मगर  वह नहीं रुकता है , रिचा गुस्से में वहीं सिर पकड़ कर बैठ जाती है।

अपने कमरे में बैठी सलोनी पढ़ाई कर रही होती है तभी वंहा स्वाति और वर्षा आती है । वर्षा - क्या सलोनी दी जब देखो तब पढ़ाई में लगी रहती हो , मिलता क्या है इन किताबों में जो हमेशा इन्हीं में घुसी रहती हो।
सलोनी - कभी खाने और मेकअप से फुर्सत मिले तो जरा कितने पढ़ के देखना की इनमें क्या - क्या मिलता है ?
वर्षा - पढ़ा है दी, और पता है हमें क्या मिला इन किताबों में ? स्वाति - क्या मिला डियर ?
वर्षा बेड पर लेट कर मुस्कुराते हुए - "नशा नींद की "
किताब खोलते ही मुझे बहुत सुंदर नींद आती है ।
सलोनी - तुमसे उम्मीद भी यही था।
तभी बगल के रूम से जोर जोर से चीखने - चिल्लाने की आवाज आती है, तीनों उस तरफ भागते हुए वहां पहुंचते है जहां बेड पर 18- 19 साल की लड़की अपने पैर को हाथों से पकड़ के बैठी हुई थी अपना सिर घुटनों से लगाई हुई थी।
स्वाति - क्या हुआ ऋद्धि , तुम ठीक हो?
सलोनी उसके पास बैठ कर उसके कंधे पर हाथ रख कर - तुम इतने जोर जोर से चिल्ला क्यों रही थी ? ऋद्धि कुछ नहीं बोलती है चुपचाप उन्हें बारी - बारी से देखती है ।सलोनी उससे फिर पूछती है कि क्या हुआ है वह क्यों जोर जोर से चीख रही थी ,तो ऋद्धि धीरे से बोलती है कि मैने एक सपना देखा तो बस...…..
सलोनी खीज कर - एक सपने के कारण इतना चिल्ला रही थी ,हम लोग यहां बेकार में परेशान  हो रहे थे ,वर्षा और स्वाति सिर पर हाथ रख कर वहीं बेड पर बैठ जाते है ।
ऋद्धि गुस्से से - पता है मैंने सपने में क्या देखा?
सलोनी आंखे बड़ी - बड़ी कर चिढ़ाते हुए - ऐसा क्या देख लिया ?
ऋद्धि बेड खड़ी हो जाती है और भाव - भंगिमा के साथ कहती है - मैंने देखा कि मैंने एक डांस शो में भाग लिया है उस शो में बड़े बड़े लोग आए है हजारों की संख्या में लोग डांस शो देखने आए है वहां स्टेज पर मेरा नाम अनाउंस किया गया तो लोग जोर जोर से हूटिंग करने लगे ,लोग तालियां बजा कर मेरा स्वागत कर रहे थे चारों ओर मेरा नाम गूंज रहा था ऋद्धि ,ऋद्धि ,ऋद्धि.........
( सीने पर हाथ रख कर ) मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था - धक धक धक .....  मैं एक सुंदर सा हैवी गाउन पहनकर स्टेज पर जाती हूं सभी तालियां बजाते है मैं खुश होकर बड़े ही अदा से उनके तरफ आगे बढ़ती हूं और बैकग्राउंड में music बजता है और तभी.......
वर्षा एक्साइटेड होकर - और तभी क्या ऋद्धि ....
ऋद्धि बेड पर बैठ जाती है और उदास होकर बोलती है - "और तभी मेरे पैर में मोच आ जाती है और मै नीचे गिर जाती हूं सभी लोग मेरे पर हंसने लगते है और मुझे स्टेज पर से नीचे उतार दिया जाता है ।" ऋद्धि ने इतने मासूमियत व दुःख के साथ बोली की तीनों जोर जोर से हंसने लगते है तो ऋद्धि उन्हें घूर कर देखने लगती है ,स्वाति उसके गाल पर किस करती है जिससे ऋद्धि हल्का सा मुस्कुरा देती है।
वर्षा - don't worry dear , ना तुमने किसी डांस शो में भाग ली हो ना तुम नीचे गिरी हो ना ही तुम्हारा इंसल्ट हुआ है । सभी हंसने लगते है।

रौनक ,सौम्य ,स्वाति ,सलोनी ,वर्षा और ऋद्धि सभी आंगन में बीछे चटाई पर बैठे हुए हैं कल्याणी जी किचेन से कुछ सामान लेकर आती है ,फिर रौनक से कहती कि - "अपने भाई को फोन लगा कर पूछ तो कहां रह गया और कितना  देर लगेगा " । तभी एक 27 - 28 साल का लड़का प्रवेश करता है और कहता है कि  मां रास्ते में कुछ दोस्त मिल गए थे इसलिए लेट हो गया ।
वर्षा - भैया जल्दी करो ना , सबके पेट में चूहे दौड़ - दौड़ कर बेहाल हो रहे है
रौनक - तुम्हारे चूहे कुछ ज्यादा ही बेहाल हो रहे है
कल्याणी जी - अंश बेटा जल्दी करो , वर्षा की हालत खराब हो रही है इंतजार करते करते
वर्षा मुंह बना कर - मां आप भी ..............। सभी  मुस्कुराते हुए खाना शुरू करते है ।
अंश - मां आप भी हमारे साथ ही खाइए ना
कल्याणी जी - नहीं तुम सब खाओ , मैं बाद में खा लूंगी।
सौम्य - आप रोज़ यही कहती है आज आप हमारे साथ ही खाएंगी ।
कल्याणी जी - बच्चों को खुशी खुशी खाते देख मां का हृदय तो वैसे ही संतुष्ट हो जाता है
रौनक - ये संतुष्टि पाने का मौका हमें भी मिलना चाहिए ...अपने हाथ से एक निवाला कल्याणी जी और बढ़ाता है फिर सभी बारी - बारी से उन्हें खिलाते है।
कल्याणी जी - ऋद्धि बेटा पराठा लो ।
ऋद्धि - नहीं मां हो गया
वर्षा - खा लो ,खा लो पैर का मोच ठीक हो जाएगा कहते हुए हंसने लगती है तो ऋद्धि उसे खा जाने वाली नज़रों से घूरती है ।
कल्याणी जी - पैर में मोच ... ये कब हुआ ?
स्वाति - "अरे कुछ नहीं मां  , आप परेशान ना हो" फिर सुबह वाली बात उन्हें बताती है तो फिर सभी हंसने लगते हैं ।
स्वाति - मां मै ऑफिस के लिए निकलती हूं ।
कल्याणी जी - ठीक है , सलोनी को साथ ही ले जा उसे कॉलेज तक छोड़ देना ,और हां ध्यान से जाना ।
स्वाति और सलोनी एक साथ - जी मां ।
अंश - मां मैं भी निकलता हूं
सौम्य - भईया , मैं भी आपके साथ ही चलता हूं ,मुझे आज college नहीं जाना है ।
अंश - ठीक है चलो ।
सभी अपने दैनिक दिनचर्या में लग जाते है

रौनक और उसके दोस्त शहर के एक चौराहे के पास खड़े होकर बात करते रहते है तभी वहां कुछ लोगों में झगडा होता है ,सब वहां दौड़ कर जाते है और पूछते है की क्या हुआ तो उसमें से एक बुजुर्ग आदमी रौनक को बताता है कि उसने कुछ दिन पहले ( सामने खड़े लड़के के तरफ उंगली दिखा कर ) इनके पिता से कुछ पैसे उधार लिए थे और निश्चित समय पर वापस के देने का करार भी किया था लेकिन ये लोग समय के पहले ही पैसे मांग रहे है और धमका रहे है कि अगर कल तक उनके 5000 हजार नहीं दिए तो मेरी चाय की दुकान तोड़ देंगे । रौनक के कुछ दोस्त उन्हें वहां से हटा कर ले जाते है और उन्हें आश्वासन देते है फिर पानी  पिलाकर उनके दुकान तक उन्हें पहुंचाते है । इधर वो लड़का रौनक से कहता कि - देख रौनक तू हमारे बीच में मत पड़ , वो मेरे और उसके बीच की बात है तेरा यहां कोई काम नहीं समझा ...।
रौनक - मुझे भी तुम जैसो से बोलने का कोई शौक नहीं है , तू उस आदमी को परेशान करना बंद कर दे , मै कुछ नहीं कहूंगा ।
लड़का - ज्यादा पुलिस गर्दी मत दिखा चल निकल यहां से
रौनक ऐटिट्यूड से - पुलिस गर्दी ही दिखा रहा हूं तेरी तरह गुंडा गर्दी तो नहीं दिखा रहा ना ।
लड़का गुस्से से  - क्यों पीटना चाहता है मेरे हाथो से।
रौनक - पिटाई का मजा तो तुझे मिला था अंश भैया के हाथों से, ( मुस्कुराते हुए ) लगता है भूल गया है
लड़का मुट्ठी भिचंते हुए गुस्से से - उसका बदला तो मैं लेकर रहूंगा तुम सब से, ( कुटिल मुस्कान के साथ ) तेरा स्नेह सदन तो बहुत जल्दी बर्बाद होने वाला है। रौनक गुस्से में आकर उसका कॉलर पकड़ लेता है तो उसके दोस्त उसे वहां से खींचते हुए ले जाते है और उसे शांत कराते है ।



5
रचनाएँ
स्नेह सदन
4.7
यह किताब पारिवारिक रिश्तों का महत्व और समाज की कुरीतियों आओर कुप्रथाओं से एक स्त्री का संघर्ष दर्शाती है ,जो अपने बच्चों को सदैव प्रेम ,सौहार्द और नैतिकता का शिक्षा देती हुई उन्हें पालती है । इस कहानी में खून के रिश्ते नहीं बल्कि दिलों के रिश्तों का महत्व दिखाया गया है ।

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए