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स्वाइन फ्लू के नाम से जाना जाने वाला एक विशेष प्रकार के वायरस इनफ्लुएंजा ‘ए’ एच1 एन1 के कारण फैलता है । यह वायरस सूअर में पाए जाने वाले कई प्रकार के वायरसों में से एक है । सूअर के शरीर में इस वायरस के पैदा होने के कारण ही इसे स्वाइन फ्लू कहा जाता है।
वायरसों के ‘जीन्स’ में स्वाभाव के कारण समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं । 1918 में जब फ्लू की महामारी आई थी, और जिस वायरस के कारण यह फ्लू अत्यधिक फैला था। उस वायरस का स्रोत सूअर को माना गया था। यह तथ्य सर्वेक्षण में सामने आए थे। इस फ्लू को स्पेनिश फ्लू के नाम से भी जाना जाता है । इस बीमारी का संक्रमण स्वाइन फ्लू के मरीज के खांसने छींकने व संपर्क से यह फैलती है । इस तरह के मरीज अलग रख कर उचित देखभाल की जरूरत होती है ।
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सवाइन फ्लू के लक्षण:
जब लोग स्वाइन फ्लू के वायरस से ग्रसित होते हैं, तो उनके लक्षण आमतौर पर मौसमी इन्फ्लूएंजा के लोगों के समान ही होते हैं। इसमें बुखार, थकान, और भूख की कमी, खांसी और गले में खराश आदि होते हैं । कभी कभी कुछ लोगों को उल्टी और दस्त भी हो सकती है।
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