तेरी आँखों में क्या मद है जिस को पीने आता हूँ
जिस को पी कर प्रणय-पाश में तेरे मैं बँध जाता हूँ?
तेरे उर में क्या सुवर्ण है जिस को लेने आता हूँ
जिस को लेते हृदय-द्वार की राह भूल मैं जाता हूँ?
तेरी काया में क्या गुण है जिस को लखने आता हूँ
जिस को लख कर तेरे आगे हाथ जोड़ कर जाता हूँ?