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उमिंद

Anju

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एक उम्मीद सी है ज़िन्दगी में। जो अब टूटती नजर आ यही है। ना मंजिल कोई ना रास्ता कोई नज़र आता है। हर राह बंद सी नज़र आ रही हैं जो नजर उठी था एक तिनका लेके। वो तिनका अब उड़ता नज़र आ रहा है। झुका सा है ।अब मेरी उमींदो का सफर टूट ता रहा हैं कही कोई मंजिल दूर नहीं आती हैं अब तो सब कुछ हारा सा लगता है। 

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