नंदनी रोज की तरह आज भी सुबह 5 बजे उठी थी। अपने करकमलों के दर्शन और धरती माँ को प्रणाम करते हुए सभी देवी देवताओं का सुमरन उसकी नियमित दिनचर्या थी। आज ज़ब उसने कुछ लिखने के लिये प्रतिलिपि का टाइटल देखा " प्यार " तो उसी टाइटल पर बने छाया चित्र पर उसका आंखे अटक गहुआई थी ।
वो दोनों बाल चेहरे उसके मन को छू गये थे । वो अपना पुराना सारा प्यार भूल गई और नए प्यारे चेहरों पर उसे प्यार आने लगा था । उसने मन ही मन ठान लिया आज तो इसी पर लिखेगी। नए नए प्यार की खुशबू की महक भी सोंधी सोंधी होती है।क्या लिखेगी ये तो उसे नहीं पता था?पर ज़ब प्यार आ ही गया तो कुछ न कुछ तो लिख ही डालेगी ये सोचकर वो मोबाइल उठाकर लिखने बैठ गई।
लिखते लिखते बाल प्रेम उसे बच्चों के बचपन में ले गया। ज़ब उम्र करीब 8 या 10 साल की होती है। नंदनी की सहेली अंकिता जो बचपन से ही हॉस्टल में पढ़ी थी अक्सर हॉस्टल की बातें नंदनी को बताया करती थी। आज नंदनी को अंकिता की बताई वो सारी बातें याद आ रही थीं जो उसने नंदनी को बताई थीं.।
अंकिता बताती थी पता है नंदनी ज़ब मैं six क्लास में थी तो मेरी मैम ने मुझे क्लास का मॉनिटर बना दिया था। एक तो मेरा रहन सहन बहुत अच्छा था दूसरे किसी से भी बात करने में मुझे डर नहीं लगता था।
मेरी क्लास के बच्चे मुझसे बहुत डरते थे। ज़ब भी किसी को कोई परेशान करता तो सब मेरे पास ही शिकायत लेकर आते थे। मैं लीडर होने के नाते सबको डांट डपट कर रखती थी।
एक बार मेरी क्लास की एक लड़की मेघना को एक लड़का बहुत परेशान करता था।. कभी उसे चुपके से फूल,तो कभी चॉकलेट, तो कभी दिल दिया करता था। मेघना के कई बार मना करने पर भी वो नहीं माना तो उसने मुझसे से शिकायत कि । मैंने अपने मॉनिटर होने का रौब जमाते हुए मेघना से पूँछा कौन है वो लड़का? नाम बताओ उसका । पहले तो मैं ही उसे सुधारूंगी ज़ब नहीं समझेगा तो प्रिंसिपल के पास ले जाउंगी।
मेघना बोली अंकिता मुझे नाम तो नहीं पता पर शक्ल पहचानती हूँ।
इंटरवल होते ही मेघना ने तीन लड़कों की तरफ इशारा करते हुए मुझे बताया जो बीच में सफ़ेद शर्ट पहने है वही है वो।मैं अपनी शेरनी सी चाल में उसके पास गई । इससे पहले की मैं वहाँ पहुंचती वो लड़का वहाँ से गायब हो गया ।
मैंने उन दो लड़कों को धर दवोचा और बोली अपने दोस्त को बता देना की अब अगर आगे से उसने मेघना को कुछ दिया तो अपनी गर्दन कटाने के लिये तैयार रहे। वो लडके मुझे देखकर सहम सेगये और डर भी गये ।मैं अपनी उसी चाल से वापस लौट आई और मेघना से बोली वो तुम्हें अब कभी परेशान नहीं करेगा। मेघना खुश हो गई ।
एक दिन मैं शाम को अकेली बाजार से लौट रही थी। कुछ लडके मुझे परेशान करने लगे। मैंने ने तेज दौड़ लगाना शुरू की तो उन लड़कों ने भी तेज दौड़ना शुरू कर दिया था । दौड़ते दौड़ते मेरा बैग भी सड़क पर गिर गया था पर मैं उसको उठाने की जगह खुद को बचाने के लिये दौड़ती ही जा रही थी..। दौड़ते दौड़तेअचानक मैं उसी सफ़ेद शर्ट वाले लडके से टकरा गई। उस वक़्त उसका वहाँ आना मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने उससे कहा.. कुछ लडके मेरा पीछा कर रहे हैं और मेरा बैग भी सड़क पर गिर गया है । मुझेतम्हारी मदद की जरूरत है। मुझे लगा जाने मदद करेगा या नहीं ? मेरी आंख में आंसू थे और पसीने से तर बतर हो रही थी ।मुझे उस दिन की बात भी याद आ गई तो थोड़ा उससे डर भी गई थी ।
वो सफ़ेद शर्ट वाला लड़का बोला अंकिता घबराओ नहीं तुम यहीं रुको मैं तुम्हारा बैग लेकर आता हूँ और उन लड़कों को भी मजा चखाता हूँ। मेरे चेहरे पर ख़ुशी दौड़ गई. मुझे अपनी गलती का पछतावा हो रहा था । इधर वो लड़का उन लड़कों से अकेले ही भिड़ गया था । इतने में उसके पापा वहाँ से निकले तो उसने उन्हें मेरी पूरी बात बतादी । उसके पापा ने उन लड़कों को डांट डपट कर भगा दिया औरमुझे अपनी गाड़ी पर बैठाकर हॉस्टल छोड़ दिया था । मेरी मैम मेरे देर हो जाने का कारण पूँछा तो मैंने सब कुछ साफ साफ बता दिया । तभी उसके पापा बोलें बेटा अकेले कहीं मत जाया करो अपनी किसी दोस्त या मैम के साथ ही बाहर निकला करो। मैं ज़ी अंकल कहकर अंदर चली जाती पर उस लडके को नहीं भूल पाई।
नंदनी पूंछने लगी फिर वो लड़का तुम्हें दुबारा मिला या नहीं। तो वो बोली नहीं कभी नहीं मिला.। पर जो प्यार मुझे उससे उस वक़्त हुआ था।वो अलग ही था।इसके बाद मुझे कभी वो प्यार नहीं हुआ। मेघना को दिया हुआ दिल और फूल काफ़ी वर्षो तक़ मेरे पास ही सुरक्षित रहे और फिर कब वो ख़ो गये पता नहीं। पर उसका वो प्यार आज भी मेरे दिल में सुरक्षित है।
@ विनीता कृष्णा