अंजलि का घर बहुत बड़ा होने की वजह से अक्सर ही उसके घर में कभी आगे की तो कभी पीछे की बालकनी में पक्षी अपना घोंसला बना लिया करते थे। एक बार दिवाली की सफाई में एक चिड़िया के घोंसले के अंडे घोंसले में डंडा लग जाने की वजह से नीचे गिर गये उसे बहुत दुख हुआ और सोचने लगी अभी चिड़िया आएगी तो कितनी दुखी हो जाएगी? उसका दिवाली के काम करने का सारा उत्साह ठंडा हो गया था । दिनभर अंजलि चिड़िया का घोंसला उजड़ने का दुख मन ही मन मनाती रही। पर अब पछताए होत क्या ज़ब चिड़िया चुग गई खेत। उसने मन ही मन चिड़िया से माफ़ी मांगी और फिर धीरे धीरे उस बात को भूल गई।
एक दिन उसने देखा कि आगे की बालकनी में एक छोटी चिड़िया( गौरिया )अपना घोंसला फिर बना रही है। उसे वो दिवाली वाली बात याद आ गई तो इस बार वो पहले कि अपेक्षा काफ़ी सजग हो गई थी। चिड़ियों का एक एक तिनका लाकर इतनी मेहनत से अपना घोंसला बनाना, अपने अंडे देना, चूजों के मुँह में अपनी चोंच से दाना खिलाना और उन्हें उड़ने के लिये तैयार करना अंजलि को आत्मविभोर कर देता था।
एक दिन उसने देखा कि एक बड़ी चिड़िया उसके घोंसले को उजाड़ रही है । और गौरिया यह करते देख परेशान हो रही है। वो अपनी चीं चीं कि आवाज से उसे ऐसा करने के लिये मना कर रही है। पर गौरिया के जाते ही बड़ी चिड़िया फिर उसके घोंसले के पास आकर फिर वही उजाड़ने का काम कर रही है।
यह देखकर उसे अच्छा नहीं लगा और सोचने लगी इसमें तो उसे चिड़िया कि कुछ मदद करनी चाहिए। ज़ब चिड़िया अपने घोंसले में बैठी थी तभी अंजलि ने उसका घोंसला बड़ी चिड़िया कि नज़रों से दूर कहीं दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। पहले तो गौरिया डर गई कि शायद उसका घोंसला उजड़ने वाला है। वो जोर जोर से उसे ऐसा न करने के लिये चीं चीं कि आवाज निकालने लगी पर ज़ब उसने देखा कि उसका घोंसला उजड़ नहीं रहा बल्कि सुरक्षित किया जा रहा है तो पंख फड़फड़ाकर ख़ुशी जाहिर करने लगी।
अंजलि भी चिड़िया को खुश होते देख अपनी पुरानी भूल को माफ होते हुए महसूस कर रही थी। ज़ब पूरा घोंसला बन गया तो चिड़िया नें उसमें दो अंडे दिए और एक दिन वो चूजे बनकर बाहर निकल आये। अंजलि और चिड़िया दोनों खुश थी अपना अपना काम करके। और फिर एक दिन वो चिड़िया अपने बच्चों के सँग आसमान में उड़ गई थी।
बात अभी यहीँ खत्म नहीं हुई थी।अब बारी बड़ी चिड़िया की थी घोंसला बनाने की और अपना घर बसाने की । वो भी अंजलि की आगे की बालकनी में अपना घोंसला बना रही थी। पर शायद उसे वो जगह याद थी की इसी जगह पर उसने गौरिया का घोंसला नहीं बनने दिया था और उसे परेशान किया था । वो अपने घोंसले पर बराबर छोटी चिड़िया की नज़र रखे थी कि कहीं आकर उसका घोंसला न उजाड़ दे।जो किसी का घर उजाड़ता है उसे अपना घर उजड़ने का खतरा हमेशा बना रहता है। पर गौरिया तो वहाँ से उड़ चुकी थी।
एक दिन ज़ब बड़ी चिड़िया अपने अंडो को घोंसले में छोड़कर दाना पानी इकट्ठा करने निकल गई तो वही गौरिया वहाँ से निकली और उसकी नज़र अंजलि कि बालकनी पर पड़ी तो उसे अपने बच्चों कि जन्मभूमि याद आ गई। अतः दो मिनट सुस्ताने के हिसाब से बालकनी में लगी मालती कि लता पर बैठकर फूलों कि खुशबु का आनंद ले रही थी कि उसे बड़ी चिड़िया आती दिखाई दी। गौरिया और बड़ी चिड़िया कि नज़र मिल गई थी। बड़ी चिड़िया डर गई कि कहीं उसका घोंसला तो नहीं उजड़ गया। पर ज़ब उसने देखा कि घोंसला तो सुरक्षित है। बड़ी चिड़िया का हाव भाव देखकर छोटी चिड़िया भी घोंसले के पास आ गई और बोली तुमने मेरा घोंसला उजाड़ने में कोई कसर नहीं छोडी थी पर मैं यहाँ पर तुम्हारा घोंसला उजाड़ने नहीं आई थी। मैं तो यहाँ से निकल रही थी की मेरी नज़र अपने बच्चों की जन्मभूमि पर पड़ी तो थोड़ी देर यहाँ ठहर ली। पर अब यहाँ से न जाने का मन बना रही हूँ। बड़ी चिड़िया गिड़गिड़ाने लगी मुझसे गलती हो गई थी।मैंने बहुत मेहनत कर अपना घोंसला ये बनाया है तथा मैंने दो अंडे भी दिए हैं इसमें । प्लीज मेरा घर बस जाने दो। गौरिया बोली तुम्हें अगर इस बात का अहसास हो गया है तब तो ठीक है वरना बारी अब मेरी है।
बड़ी चिड़िया बहुत डर गई थी और फिर उससे माफ़ी मांगने लगी थी तो गौरिया बोली घोंसला तो मैं तुम्हारा वैसे भी नहीं उजाड़ती क्योंकि इस मकान की मकान मालिक से मैं यही शिक्षा लेकर गई थी की किसी का घर उजाड़ने में नहीं बसाने में मदद करनी चाहिए । अगर मैं तुम्हारा घर उजाड़ दूंगी तो तुम फिर किसी का घर उजाड़ने की सोचोगी इसलिए मैं ऐसा नहीं करूंगी। मैं तुम्हारे ऊपर एक ये अहसान छोड़ जाउंगी जिसके तले तुम सदा दबी रहोगी और फिर दुबारा ऐसी गलती नहीं करोगी। ऐसा कहकर गौरिया एक गीत गुनगुनाती हुई वहाँ से फुर्र से उड़ गईं....
क्या मिलेगा गर, जो मार दोगे जान से,
बख्श दोगे जान, तो मर जायेगा अहसान से।
मर नहीं सकता कभी नुकसान का मारा हुआ।
सर नहीं उठा सकता,कभी अहसान का मारा हुआ।
@ vineetakrishna