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***पृथ्वी और आकाश ***

4 अक्टूबर 2021

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पृथ्वी और आकाश  दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों की दोस्ती कब प्यार में बदल गई दोनों को ही पता नहीं चला। एक दिन पृथ्वी आकाश से बोली आकाश मैं तुमको बहुत पसंद करती हूँ। क्या तुम्हारे साथ भी ऐसा है?
आकाश बोला लगती तो तुम भी मुझे बहुत अच्छी हो।ऊपर से खूबसूरत भी हो । पर हमें दोनों का मिलना असम्भव है। पृथ्वी बोली हाँ आकाश ये बात तो मुझे भी तुम्हारी समझ आ रही है। फिर तुम ही बताओ हम ऐसा क्या करें की हमारा और तुम्हारा मिलन हो जाये। आकाश हंसने लगा और बोला प्यार का मतलब दो दिलों का और दो आत्माओं का मिलन होता है पगली न की दो बदन का।
मेरी जिम्मेदारी इस सृष्टि को छत्र छाया देना है और तम्हारी इस सृष्टि का पालन पोषण करना है। तुम्हें जमीन रहकर अपना फर्ज निभाना है और मुझे आसमान में रहकर। हम इस सृष्टि के दो  किनारे हैं इसी से पूरी सृष्टि सम्भली हुई है। हम दोनों के त्याग से ही ये सृष्टि प्रेम के बंधन में बंधी हुई है। हमारा जरा भी विचलित होने का मतलब पूरी सृष्टि का विनाश होना है। क्या तुम ऐसा चाहोगी?
फर्ज  हमेशा प्यार से बड़ा होता है। जो हम दोनों को दूर रहकर भी निभाना है।आकाश से इतनी बड़ी बड़ी और उदारता भरी बातें सुनकर पृथ्वी की आंखे नम हो आई और वह आकाश से बोली आकाश तुम तो मेरी सोच से भी काफ़ी ऊपर निकले। तुम मेरे दिल में हमेशा ऊँचे स्थान पर रहोगे। माफ करना आकाश थोड़ी देर के लिये मैं बहक गई थी। पर अब मुझे तम्हारी बात हमेशा याद रहेगी। आकाश बोला कोई बात नहीं पृथ्वी मैं तम्हारी भावनाओं की कद्र करता हूँ।
पृथ्वी जाने को हुई तो आकाश का मन पसीजने लगा और बोला पृथ्वी ज़ब भी तुम्हें कोई कष्ट हो मुझे याद करना मैं तुम्हारा दुख दूर करने का पूरा प्रयास करूंगा। पृथ्वी बोली हाँ आकाश और अगर तुम्हें भी कभी किसी चीज की आवश्यकता हो तो मुझे याद करना मैं भी मदद करने की हर सम्भव कोशिश करूंगी।एक दूसरे से दूर होते समय दोनों की आँखों में आंसू थे मगर उन्हें अपना फर्ज निभाना था।
इस तरह पृथ्वी और आकाश अपने प्यार को भूलकर आज भी दूर दूर रहकर  अपना अपना फर्ज निभा रहे हैं।
और ज़ब कभी दोनों को एक दूसरे की याद आ जाती है तो वो एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कराते हैं। और अपना अपना काम करने में लग जाते हैं।
पृथ्वी और आकाश का ये प्यार और त्याग  उनके अंदर एक दूसरे के लिये समर्पण और प्रेम की मिसाल प्रकट करता है।आज ज़ब पृथ्वी कष्ट में आइ तो आकाश ने सारे देवी देवताओं को पृथ्वी का कष्ट दूर करने भेज दिया और अपना वादा निभाया। अब पृथ्वी आकाश की मदद कैसे करती है ये तो समय ही बता पायेगा। फिरहाल आकाश की यह मदद देखकर वो उसके और करीब महसूस कर रही हैं व खुश है।
@ vineetakrishna


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