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*** अवनि क़ी दुनिया ***

2 अक्टूबर 2021

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ऑफिस से लौटी मम्मा के पैरों से लिपटी अवनि के चेहरे क़ी चमक बता रही थी क़ी आज जरूर उसने कुछ अच्छा काम किया है।वरना रोज तो उसे काम वाली आंटी ऑफिस से आते ही नाश्ते क़ी जगह ढेरों शिकायतों और शैतानीयों का पुलन्दा उसके सामने परोसती थी... फिर ही उसे चाय का प्याला पकड़ाती थी ।प्रतिभा ने एक नज़र काम वाली आंटी पऱ डाली तो उसने भी सहमति में सिर हिला दिया।

प्रतिभा ने अवनि को गोदी में उठाया और बोली आज मेरी बेटी  खुश नज़र आ रही है ..चल बता तो जरा क्या किया?अवनि मम्मा क़ी गोदी से नीचे उतरी और ऊँगली पकड़कर अपनी रूम में ले गई।जहाँ आज उसने पूरे ही दिन बहुत मेहनत करके अपने रूम को सतसंग भवन में कन्वर्ट कर दिया था।
प्रतिभा ने देखा तो उसकी आंखे फ़टी क़ी फ़टी रह गईं।
हर चीज कायदे से ,साफ सुथरे ढंग से  व सुंदर तरीके से सजाई गईं थी।उसने नज़र डाली तो एक गुड़िया को लहंगा पहनाकर व चुनरी उड़ा कर दुर्गा जी बनाया गया था तथा  उन्हें एक ट्रेडिबेयर पऱ सवार कर चौकी पऱ आसन लगाकर बैठा दिया गया था।तथा फूलों क़ी एक छोटी सी डलिया भी उनके हाथ में पकड़ा दी गईं थी।प्रसाद स्वरुप ढेर सारे प्लास्टिक के फल एक प्लेट में तथा एक गिलास  पानी उनके आगे रख दिया था । एक प्लास्टिक क़ी कटोरी में दिया तथा एक गिलास में अगरबत्ती भी लगी हुई थी तथा कुछ फूलों से आरती भी सजी हुई थी।
उनके आस पास सतसंग करने वाले  गुड्डे गुड़िया, ट्रेडिबेयर, खिलौने और तमाम समान को करीने से सतसंग के लिये बैठाया गया था। इतना सुंदर दृश्य देखकर प्रतिभा बिना फोटो खींचे न रह सकी। उसने पर्स से मोबाइल निकाला और दो चार फोटो खींच ली।
इतने में काम वाली आंटी ने बताया मेमसाहब आज सतसंग इतना ही नहीं.और भी हुआ था। सारी तैयारियों के बाद मोबाइल से महिषासुर मर्दनी... क़ी आरती गायी गईं, नृत्य हुआ और सबके द्वारा ॐ नमः शिवायः का मंत्र जप किया गया। फिर सतसंग में आने वाले हर सदस्य को प्रसाद बांटा गया। सच बताऊं मेमसाहब आज तो ऐसा लग रहा था जैसे सच में को बड़ी पूजा रखी गईं है। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। बहुत मेहनत की आज अवनि ने पूजा के लिये।
यह सुनते ही प्रतिभा ने अवनि का हाथ खींचते हुए...अरे मेरी गुड़िया रानी... कहते हुए गले लगा लिया तथा ढेर सारा प्यार किया।
काम वाली आंटी ने बताया आप केऑफिस जाने के बाद पता नहीं इसे कौन सी जिद चढ़ी और मुझसे बोली आंटी आज मेरा खाना मत बनाना... आज मेरा व्रत है। आज मेरे घर सतसंग है आप भी आना। मैं अपने कमरे में जा रही हूँ पूजा क़ी तैयारी लगाने... थोड़ी मदद आंटी आप भी मेरी कर देना।सब लोग आना शुरू हो जायेंगे तो फिर मैं क्या करूंगी...? मैंने कहा मदद तो मैं तेरी कर दूंगी पऱ छोटे बच्चे व्रत नहीं करते...वो तो खुद भगवान होते है....मम्मा मुझे डांटेगी...फिर मैं क्या करूंगी? तो बोली आंटी आप परेशान मत हो... मैं हूँ न.. सब संभाल लूंगी।
प्रतिभा को हँसी आ गईं और बोली इसने खाना खाया या नहीं? काम वाली आंटी ने बताया ज़ब पूरा सतसंग समाप्त हो गया तब थोड़े से दाल चावल खाये और सो गई अभी आपके आने के 10मिनट पहले ही उठी है।दूध दे दिया है मैंने इसे। मेमसाहब अब मैं जा रही हूँ।
काम वाली आंटी के जाते ही प्रतिभा  गेट बंद कर ,मुँह हाथ धोकर,कपड़े चेंज कर अवनि को लेकर पलंग पऱ लेट गईं और सोचने लगी...कि कहीं मैं अवनि के साथ ज़्यादती तो नहीं कर देती हुँ? मेरी नौकरी कहीं इसका बचपन तो नहीं छीन लेगी?
मम्मा को परेशान देख अवनि बोली मम्मा आज तो मैंने कोई गंदा काम नहीं किया फिर भी आप उदास  हो? प्रतिभा बोली आज मैं तेरी वजह से नहीं... अपनी नौकरी क़ी वजह से परेशान हूँ। ऑफिस क़ी जल्दी होने क़ी वजह से मैं तुझे अच्छे से नहीं देख पाती और अगर तू उसी टाइम कोई जिद करती है तो मैं तुझे डांटती हुँ और मार भी देती हुँ।
ऑफिस जाकर मुझे बहुत बुरा लगता है। ऐसा करती हूँ अवनि कल से मैं ऑफिस जाना बंद कर देती हूँ। अवनि चिंतित  स्वर में बोली .... ऐसा मत करना मम्मा। आप ऑफिस नहीं जाओगी तो फिर पैसे कहाँ से आएंगे.. और फिर आप मुझे ढेर सारे खिलोने कैसे दिलाओगी? प्रतिभा बोली लेकिन मुझे गंदी मम्मा नहीं बनना अवनि।
अवनि बोली ...मम्मा आप गंदी मम्मा नहीं हो।आप तो मेरी प्यारी मम्मा हो। जैसे मैं इन सबकी  प्यारी मम्मा हूँ....अवनि ने अपने सारे खिलौनों क़ी तरफ इशारा करते हुए कहा तो प्रतिभा को हँसी आ गईं ।
ज़ब ये सब मेरी बात नहीं मानते तो मैं भी तो इन सब से गुस्सा हो जाती हूँ और इन्हें फेंक देती हूँ और फिर बाद में इन्हें पुचकार कर अपने साथ खिलाती हूँ तथा खुद भी खेलती हूँ.।ये सब फिर मुझ से खुश हो जाते हैं। यही तो आप मेरे साथ करती हो।आप दुखी मत हो.। अब मैं आपके ऑफिस जाने के बाद आंटी को परेशान नहीं करूंगी। रोज ऐसे ही "अवनि कि दुनिया "बनाकर खेला करूंगी तथा खुश रहा करूंगी । कभी डॉक्टर, तो कभी नर्स, कभी टीचर,तो कभी मम्मा बनुँगी इन सबकी मैं। प्रतिभा ने अवनि को बांहों में भर लिया और बोली रहने दे मेरी मम्मा... मुझे अभी से तुझे इतना बड़ा नहीं बनाना। तेरे बचपन के साथ मुझे भी खेलना है जैसे तू इन सबके साथ खेलती है। तू बस पढ़ाई अच्छे से कर लिया कर... फिर मैं तुझे किसी चीज के लिये नहीं डाटूंगी।
मैं रोज ऑफिस जाउंगी,ढेर सारे खिलौने दिलाऊँगी,तुझे भी खुश रखूंगी और अपनी अवनि की दुनिया को भी खुश रखूंगी। माँ बेटी दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया और अपनी छोटी सी दुनिया में खो गईं।
@vineetakrishna


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