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वफादार

4 मई 2022

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उसका मासूम चेहरा देख जिसको उसका हर दर्द कम हो जाता

आंखे कहती मुझसे मासूम कोई नही कर शरारत चुपके से वो छिप जाता

उसके रहते ना कोई उसको कोई छू पाता घर से जाने पर जब तक वो वापस ना आ जाए वो वही

दरवाजे पर पहरेदार बन उसकी आने की राह तकता रहता बन साया चिपक उसके साथ वो दिन भर खूब बहलाता

हर पल वो पहरेदार बन अपने मालिक का साथ निभाता

• शायद ही इस से वफादार कोई जानवर होगा जो जी जान मालिक पे लूटता ऐसा ही है ड्रेगो अपना बहुत ही प्यारा सा

9 प्रतिलिपि

वफादार जानवर

- manju verma "@"
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रचनाएँ
दो नयना
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तेरे दो नयना, देखे मुझे ऐसे जैसे इनको है कुछ कहना | कहने को कुछ है है नहीं तेरी आंखो की भाषा, जो थी वो पहले से पड़ ही ली दिल तेरा अब है ही नहीं साया मेरा ही रहा अब सोच मत इतना भी यहीं देकर तूने एहसान ये किया जो मेरा था ही नहीं जो मेरा था ही नहीं माना तू गैर नहीं

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