जीने की तमन्ना इनमें नहीं,
जीती हैं यहां सब मर मर कर,
है गरम गोश्त का ये बाजार,
हो जाती है यहां किस्मत भी लाचार,।
नारी है शक्ति ,नारी है धरती,
पर नारी ही है यहां नारी की दुश्मन ,
है गरम गोश्त का ये बाजार,
हो जाती है यहां किस्मत भी लाचार,।
बिकती रही हैं सदियों से यहां
जीवन में इनके कुछ ना रहा
हुस्न बना है शुष्क यहां,
आबो हवा भी खुश्क यहां,
जीने की तमन्ना इनमें नहीं
जीती हैं यहां सब मर मर कर
है गरम गोश्त का ये बाजार
हो जाती यहां किस्मत भी लाचार
बिकती है बनकर अपनी यहां,
खो देती हैं ये अपनी जहां
जब तक है जमी ,जब तक है आसमा
ये बिकती रहेंगी यूं ही सदा
है गरम गोश्त का ये बाजार
हो जाती हैं है किस्मत भी लाचार,
जीने की तमन्ना इनमें नहीं,
जीती है सब मर मर के यहां,,,,!
हंसती हैं किस्मत इनपे यहां
आंखो में आंसू भर भर कर,,,।