गांधीजी एक विचारधारा
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी जन्मतिथी पर शत शत मन
महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्याग्रह से जुड़े विचारों का सम्मान पूरी दुनिया करती है ।
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 18 59 को पोरबंदर के हिंदू गुजराती वैश्य परिवार में हुआ था ।
जब गांधी 9 साल के हुए तब राजकोट में नजदीकी स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया। महात्मा गांधी पढ़ाई में औसत और कम बोलने वाले बच्चों में थे ।खेलों में कोई दिलचस्पी नहीं थी ,किताबों को ही उन्होंने अपना साथी बना रखा था।
13 साल की उम्र में कस्तूरबा गांधी से विवाह हुआ, नंबर 1887 को 18 साल की उम्र में महात्मा गांधी ने इलाहाबाद से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की ,।1888 में भावनगर के सामालदास कॉलेज में दाखिला लिया, हायर एजुकेशन के लिए कॉलेज में दाखिला लिया ,लेकिन गरीब परिवार से आने और किसी के सपोर्ट नहीं कर पाने के चलते उन्हें बीच में ही कॉलेज छोड़ना पड़ा ।
उनके मित्र मावशी दवे जोशी जी ने उनको लंदन जाकर लॉ की पढ़ाई करनी चाहिए ,ऐसी सलाह दी ।महात्मा गांधी चाहते थे कि वह पढ़ाई करने लंदन जाए ,इसलिए अपनी पत्नी को राजी करने के लिए उन्होंने कहा ,वह विदेश जाकर मीट ,शराब ,और औरतों से दूर रहेंगे। गांधी के भाई लक्ष्मी दास क्योंकि खुद भी पेशे से वकील थे ,उन्होंने गांधी का साथ दिया ,जिसके बाद उनकी मां पुतलीबाई उन्हें भेजने के लिए राजी हो गई।
जब वह लंदन में थे ,उस दौरान उनकी मां का देहांत हो गया ,लेकिन उनके परिवार इस बात की जानकारी महात्मा गांधी को नहीं दी।
महात्मा गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलाई ,अहिंसा सर्वोपरि है साथ में यह संदेश भी दिया।
महात्मा गांधी को सुभाष चंद्र बोस ने 6 जुलाई 1944को रेडियो रंगून से राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था ।30 जनवरी1948 को नाथूराम गोडसे ने एक प्रार्थना सभा में उनकी हत्या कर दी महात्मा गांधी की शव यात्रा 8 किलोमीटर लंबी थी कहा जाता है उन की शव यात्रा में करीब 10 लाख लोग चल रहे थे और लगभग 1500000 लोग रास्ते में खड़े थे बता दें कि भारत में छोटी सड़कों को छोड़ दे 56 ड़ी सड़कें तो 53 सड़कें महात्मा गांधी के नाम पर है जबकि विदेश में कुल 48 लड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं
गांधीजी के बारे में प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था, कि हजार साल बाद आने वाली नस्लें, इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी,कि हाड मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था ।
विश्व पटल पर महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नहीं शांति और अहिंसा का प्रतीक है।
गांधी एक व्यक्ति का नाम न होकर एक विचारधारा का नाम है किन्तु उसे पहचान एक गांधी नाम के व्यक्ति ने दी अपने देश को गुलामी के चक्रव्यूह से मुक्त कराने के लिए एक अभिमन्युः की नहीं बल्कि भिन्न भिन्न मानसिकता वाले अनेक अभिमन्युः की आवश्यकता थी गांधी जी ने समाज के एक बड़े वर्ग की मानसिकता का अध्ययन कर और उसे देश की स्वतंत्रता के आन्दोलन का हिस्सा बनाने के लिए अपने दर्शन की नींव रखी गांधी जी ने देखा कि समाज का एक बड़ा वर्ग अपने ऊपर हो रहे अत्याचार पर पलटवार नहीं कर सकता वह अपने और अपने परिवार के सदस्यों से स्नेह के कारण हिंसक न होकर अपने को सुरझित रखने के लिए भीरू बन गया है पैसे का अभाव उसकी नैतिक जिम्मेदारियों का बोझ बढा रहा है ऐसे मे कोई भी लालच उसे अपने रास्ते से हटा कर भीरु बना सकता है आज भी गांधी की विचारधारा अहिंसक सोच बनकर समाज के बड़े वर्ग के मस्तिष्क में गहरी पैठ बना चुकी है अहिंसा के रास्ते पर चलने वाले गांधी के भीतर भी एक उबाल था जिसने कभी कभी हिंसक बनने के लिए प्रेरित किया गीता दर्शन में अटूट श्रद्धा रखने वाले गांधी ने कहा अपराधी से बड़ा अपराधी अपराध को सहन करने वाला ही होता है पर इस सिद्धांत में हिंसा की झलक होते हुए भी गांधी ने अहिंसा का ही अनुसरण किया अहिंसा के मार्ग पर अपने एक समूह के साथ स्वतंत्रता आन्दोलन में अपना अमूल्य योगदान दिया गांधी के अहिंसक सिद्धात आज भी प्रासंगिक है अहिंसा के पुजारी को सादर नमन।
जया शर्मा